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Radhastami 2023: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में अष्टमी के दिन भगवती श्री राधा जी का जन्म हुआ था. इस दिन व्रत रखना चाहिए. विधि पूर्वक पूरी श्रद्धा से राधा रानी का व्रत करने वाला व्यक्ति ब्रज के गूढ़ रहस्यों को ही नहीं जान लेता है बल्कि राधा परिवारों में निवास करता है. राधा जी की आराधना और व्रत करने वाले के घर में लक्ष्मी जी सदैव वास करती हैं और उसे कभी भी सुख संपदा की कमी नहीं रहती है. जो लोग श्री राधा कृष्ण के उपासक हैं उन्हें तो व्रत अवश्य ही करना चाहिए.
इस तरह करनी चाहिए पूजा
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन स्नान आदि के बाद पूजा स्थल में मंडल बनाकर या चौक बनाकर उसके बीच में मिट्टी अथवा तांबे का कलश स्थापित करना चाहिए. उस पर एक तांबे का पात्र रख कर उसे वस्त्र आभूषण आदि से सुसज्जित कर राधा जी की मूर्ति स्थापित करें और उसका षोडशोपचार पूजन करें. विद्वानों ने राधा रानी की पूजा का समय ठीक दोपहर में बताया है. यदि सामर्थ्य हो तो दिन पर उपवास करना चाहिए नहीं तो एक भुक्त अर्थात एक समय भोजन करना चाहिए. दूसरे दिन भक्ति भाव से विवाहित महिलाओं को भोजन करा कर ब्राह्मणों को यथायोग्य दक्षिणा दान करनी चाहिए. उसके बाद स्वयं भी भोजन करना चाहिए. ऐसा करने से राधारानी की कृपा से घर में समृद्धि बढ़ती है, और कभी भी घर में कलह नहीं होती.
राधारानी के पूजन से मिलता है तीन तरह का फल
जो लोग श्री राधा जी के नाम मंत्र का स्मरण और जाप करते हैं उन्हें धर्मार्थी होने का लाभ प्राप्त होता है. जो लोग अर्थ की कामना से राधा जी का पूजन और व्रत करते हैं उन्हें अर्थार्थी होने और जो लोग बिना किसी इच्छा के भक्तिभाव से उनका पूजन करते हैं उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है, मान्यता है कि बिना राधा जी की पूजा किए भगवान श्री कृष्ण की पूजा अधूरी है.