मैं अपने पति को खुश नहीं कर पाती, पति देखते हैं अंग्रेजी फिल्में, रात को पड़ता है भारी

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Meri Story मैं एक विवाहित महिला हूं। मेरी शादीशुदा जिंदगी एकदम पटरी पर है। लेकिन मेरी परेशानी यह है कि अपने पति के सामने खुश होने का दिखावा करती हूं। दरअसल, मेरे पति को अंग्रेजी फिल्में देखने का काफी शौक है। जब भी कोई नई फिल्म आती है, तो हम साथ में जरूर देखते हैं। हालांकि, सच्चाई यह है कि मुझे हॉलीवुड फिल्म्स देखना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मैं न केवल ऐसी फिल्मों से नफरत करती हूं बल्कि इस एक वजह से मुझे अपने पति से भी चिढ़ होने लगी है।हमारी शादी को 3 साल हो गए हैं। मुझे अच्छे से याद है कि हमने साथ में एक भी हिंदी फिल्म नहीं देखी है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे लगता है कि हिंदी फिल्में अच्छी नहीं होतीं। यही एक वजह अब मुझे लगता है कि मुझे अपनी पसंद के बारे में अपने पति को बता देना चाहिए। लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं उससे क्या कहूं? (सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं, हम यूजर्स द्वारा शेयर की गई स्टोरी में उनकी पहचान गुप्त रखते हैं)

एक्सपर्ट का जवाब
गुरुग्राम के आर्टेमिस अस्पताल में मनोविज्ञान की एचओडी डा. रचना खन्ना सिंह कहती हैं कि हर इंसान की पसंद नापसंद अलग-अलग होती है। इसलिए कहा भी गया है कि दो लोग कभी भी एक जैसे नहीं हो सकते हैं। आपके केस में भी मुझे ऐसा ही देखने को मिल रहा है। आप और आपके पति की पसंद भी एक-दूसरे से काफी अलग हैं, जिसमें कुछ भी गलत नहीं है।एक रिश्ते में रहते हुए सबसे ज्यादा यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने साथी को कितना अपना रहे हैं। हलांकि, इसमें भी दोनों लोगों की पसंद-नापसंद मायने रखती है, जहां कॉम्प्रोमाइज की बात आती है, वहां उस रिश्ते का ज्यादा दिन टिक पाना मुश्किल हो जाता है।

पति के साथ शेयर करें अपनी भावना
जैसा कि आपने बताया कि आपके पति अंग्रेजी फिल्म देखना पसंद करते हैं। ऐसे में मैं आपसे यही कहूंगी कि चुपचाप-पीड़ित या रिश्ते में समझौता करने से बेहतर है कि आप उन्हें भी अपनी पसंदीदा चीजों के बारे में बताएं। फिल्म्स देखने से लेकर बाहर खाना खाने तक में आप दोनों की सहमति मायने रखती है। ऐसा इसलिए क्योंकि रिश्ते में ताउम्र प्यार महसूस करने के लिए आप दोनों को ही अपनी-अपनी प्राथमिकताओं के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।दरअसल, हम दूसरों को खुश करने की कोशिश में इस कदर डूब जाते हैं कि हम भूल जाते हैं कि ‘हम भी हैं।’ आपके साथ भी इस समय कुछ ऐसा ही चल रहा है। आपको और आपके साथी दोनों को यह समझना होगा कि खुद की खुशी के साथ-साथ एक-दूसरे की देखभाल करने की जिम्मेदारी भी आप दोनों की है।

खुद को समझना भी जरूरी
मैं आपकी झिझक को समझ सकती हूं। लेकिन आपको यह भी समझना होगा कि स्वस्थ संबंधों की कुंजी एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना है। हां, अगर आपको लगता है कि आपकी जरूरतें आपके साथी द्वारा समझी नहीं जाएंगी, तब आप कोई ठोस कदम उठा सकती हैं। मेरा सुझाव यही है कि सबसे पहले आप खुद के साथ थोड़ा वक्त बिताएं। उन चीजों के बारे में जानें, जो आपको खुशी देती हैं। इसके बाद अपने साथी से बात करें।हालांकि, इस बात का भी ध्यान रखें कि अपने साथी के साथ चीजों का आनंद लेना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितनी कि अपनी खुशियों के साथ खुश होना है। इसलिए अपनी बात रखते वक्त ऐसा कुछ भी न कहें, जिसका असर आप दोनों के रिश्ते पर पड़ सकता हो।