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आजकल की तनावपूर्ण जीवनशैली में हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्या काफी आम हो गई। बीते दिनों में ऐसी कई सारी खबरें देखने और सुनने को मिली है, जहां लोगों को हंसते-गाते हार्ट अटैक आया और वो मौत का शिकार बन गए। यहां तक कि जिम में एक्सरसाइज और वर्कआउट करने के दौरान भी लोग हार्ट अटैक का शिकार हुए हैं। ऐसे में हार्ट अटैक को लेकर लोगों के मन डर काफी हद तक बढ़ चुका है, ऐसी स्थिति में जागरूकता बेहद जरूरी हो जाती है।
खासतौर पर हार्ट अटैक या हृदयाघात आने पर किस तरह की सावधानी बरतनी जानी चाहिए इस बारे में सही जानकारी का होना आवश्यक है। असल में देखा जाए तो हार्ट अटैक आने के बाद तुरंत बाद अगर व्यक्ति को उचित इलाज मिल जाए तो मौत का जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है। लेकिन उपचार मिलने तक भी उसकी स्थिति स्थिर बनाए रखने के लिए प्राथमिक उपचार मिलना जरूरी है। ज्यादातर मामलों में लोगों को यह प्राथमिक उपचार ही नहीं मिल पाता है और इस कारण उनकी मौत हो जाती है।
ऐसे में हार्ट अटैक के दौरान दिए जाने वाले प्राथमिक उपचार के बारे में लोगों में जानकारी का होना बेहद जरूरी है, ताकि अगर इस तरह कोई इमरजेंसी स्थिति सामने आए तो व्यक्ति उसका सामना कर सके। इसलिए हम अपने रीडर्स को इस बारे में सही जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। दरअसल, इस बारे में हमने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉ. सतीश कुमार से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
इन लक्षणों से पहचाने हार्ट अटैक के खतरे को
हमारे हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सतीश कुमार कहते हैं कि हार्ट अटैक की स्थिति को भांपने के लिए इसके लक्षणों की पहचान होना बेहद जरूरी है। बात करें हार्ट अटैक के लक्षणों की तो इसका मुख्य लक्षण है सीने में तेज दर्द के साथ सांस लेने में परेशानी होना। वहीं ऐसी स्थिति में गर्दन, कंधे, पीठ और बाहों में दर्द महसूस हो सकता है। इसके साथ ही व्यक्ति को अधिक थकान महसूस होना और चक्कर आने की समस्या पेश आ सकती है।
प्राथमिक उपचार के लिए फॉलों करें ये स्टेप्स
हार्ट अटैक के लक्षणों की पहचान के बाद सबसे पहले तो आपको एंबुलेंस या मेडिकल ट्रीटमेंट लेने की कोशिश करनी चाहिए।
मेडिकल ट्रीटमेंट मिलने से पहले पीड़ित व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में लाने की कोशिश करें। इसके लिए उसे किसी समतल जगह पर लिटा दें।
इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन मिलना जरूरी है, इसलिए एसी, कूलर या पंखे के सामने व्यक्ति को लिटाएं।
अगर व्यक्ति ने टाइट कपड़े पहन रखे हैं तो पहले कपड़ों को ढ़ीला कर उसे सहज महसूस कराएं।
ब्लड क्लॉटिंग से बचाव के लिए एस्पिरिन दी जा सकती है, इसके लिए मरीज की जीभ के नीचे एस्पिरिन रखी जाती है।
लेकिन ध्यान रहे कि एस्पिरिन के सेवन से रक्तचाप गिर सकता है इसलिए अगर किसी व्यक्ति का बीपी पहले से लो है तो उसके लिए एस्पिरिन का सेवन सही नहीं है।
हृदयाघात के दौरान शरीर में खून और ऑक्सीजन का संचार बाधित हो जाता है। ऐसे में सीपीआर के जरिए सीने को दबाकर शरीर में रक्त के प्रवाह को सामान्य बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।
सीपीआर के लिए एक मिनट में दोनों हाथों को जोड़कर हथेलियों के सहारे लगभग 100-120 बार छाती को दबाया जाता है। पर ध्यान रखें कि बहुत तेजी से दबाव नहीं डालना है।
ध्यान रहे कि सीपीआर हार्ट अटैक का ट्रीटमेंट नहीं है,बल्कि यह एक उपाय है जिसके जरिए कृत्रिम रूप से शरीर में रक्त के संचार को सामान्य बनाने की कोशिश की जाती है।
सीपीआर के बाद जितनी जल्दी संभव हो सके मरीज को मेडिकल ट्रीटमेंट मिलना जरूरी है, ताकी मौत और दूसरे जोखिम से बचाव हो सके।
उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी और अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें। साथ ही अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।