छत्तीसगढ़ में महिला ने पति और सास के संबंधों पर लगाए आरोप तो हाईकोर्ट ने लताड़ा, तलाक को दी मंजूरी

In Chhattisgarh, the woman accused the relationship between husband and mother-in-law, then the High Court reprimanded, approved the divorce
In Chhattisgarh, the woman accused the relationship between husband and mother-in-law, then the High Court reprimanded, approved the divorce
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दुर्ग : Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय अग्रवाल की बेंच ने हाल ही में एक तलाक के केस में दुर्ग की एक फैमिली कोर्ट की ओर से मार्च 2020 में पारित ऑर्डर को रद्द करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की. कोर्ट ने स्वीकार किया किसी पत्नी द्वारा उसके पति और उसकी मां के बीच अवैध संबंधों के आरोप लगाए जाते हैं, तो इसे मानसिक क्रूरता माना जाएगा, जो उसे तलाक लेने का हक देगी. दुर्ग के उसी फैमली कोर्ट के आदेश ने अपीलकर्ता-पति को तलाक देने इंकार कर दिया था.

हाईकोर्ट में पत्नी की ओर से उसके पति और उसकी मां के बीच अवैध संबंध होने का आरोप लगाया गया था. उसने ये भी आरोप लगया था कि उसके ससुर की उस पर बूरी नजर थी. बेंच ने कहा कि पत्नी ने इस तरह का आरोप लगाकर अपनी सास का चरित्र हनन किया है. इस आरोप को केवल ये कहकर दरकिनार नहीं किया जा सकता की ये केवस क्षण भर के लिए लगाया आरोप था. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा ” इस तरह के बयान पति- पत्नी की प्रतिष्ठा और मुल्य को एक दूसरे की नजरों में नष्ट कर देते हैं. इसे सामान्य टूट-फूट और अलग घटना नहीं माना जा सकता. जब पत्नी इस तरह के आरोप लगाती है, जिसमें मां बेटे के पाक रिश्ते पर हमला किया जा रहा है, तो ये निश्चित रूप से मानसिक क्रूरता को बढ़ावा देगा.”

5 नंवबर 2011 को हुई थी हुई थी शादी
बता दें इस दंपत्ती की शादी 5 नंवबर 2011 को हुई थी. पति ने अपनी पत्नी का व्यवहार उसके प्रति अच्छा न होने का आरोप लगाया. इतना ही नहीं उसने ये भी आरोप लगाया कि पत्नी उसकी मां को गालियां देती थी. यहां तक की पति ने पत्नी पर अक्सर खाना न बनाने का भी आरोप लगाया. पति ने ये दावा भी किया उसकी पत्नी उसे झूठा मामला दर्ज कराने की धमकी भी देती थी. पति ने ये भी आरोप लगाया कि जब वो दोनों 2013 में छत्तीसगढ़ के भाटपारा में अपने माता-पिता के घर गए थे तो उसकी पत्नी वहां दो दिन से ज्यादा नहीं रुकी और भिलाई में अपने मायके चली गई और फिर कभी वापस नहीं आई. वहीं पत्नी ने पति के इस सभी आरोपों से इंकार किया.

पत्नी ने लगाए ये आरोप
पत्नी ने अपनी ओर से ये दावा किया कि उसके काम करने के दौरान उसकी पूरी सैलरी परिवार के सदस्यों को जाती थी. जब उसने अपने पति से एक बच्चा पैदा करने की इच्छा जाहिर की, तो पति इंकार कर दिया और कहा कि उन्हें बेटी हो सकती है. पत्नी की ओर से ये दावा भी किया गया कि 2013 में उसे भाटपारा रेलवे स्टेशन पर ही छोड़ दिया गया. इतना ही नहीं उसके पति ने उसे साथ ले जाने से मना कर दिया. इसीलिए वो अपने मायके चली गई.

दोनों पक्षों की दलीले सुनने और मौजूद सबूतों की जांच के बाद हाईकोर्ट की बेंच की ओर से रानी नरसिम्हा शास्त्री बनाम सुनिला रानी के केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और फैमली कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए जोड़े के तलाक को मंजूरी दे दी. पीठ ने पति को ये आदेश भी दिया कि वो अपने पत्नी को 35 हजार रुपये महीने का गुजारा भत्ता भी देगा.