विकास दुबे जैसी शोहरत हासिल करने की जिद, एनकांउटर में पिता ढेर…कसा शिकंजा

इस खबर को शेयर करें
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी विकास दुबे के खास राजदारों में से एक विपुल दुबे के खिलाफ कानपुर पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। पुलिस ने विपुल के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक, फरेंसिक और गवाहों के बयानों को शामिल किया है। 50 हजार का इनामी बदमाश विपुल दुबे शातिर बदमाशों में से एक था, पुलिस 6 महीने बाद उसे गिरफ्तार कर पाई थी। विपुल में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तरह शोहरत हासिल करने की जिद थी। वहीं विपुल का पिता अतुल दुबे बिकरू कांड के अगले दिन एनकांउटर में मारा गया था।

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने बीती 2 जुलाई की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। विपुल दुबे ने विकास दुबे के साथ मिलकर पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसाईं थीं। इसके साथ ही वह पूरी साजिश में शामिल था। बिकरू कांड के बाद एसटीएफ ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को मार गिराया था। वहीं पुलिस इस मामले में 36 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। इसके साथ ही पुलिस 42 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी थी। पुलिस ने सजेती से विपुल दुबे को बीती 6 जनवरी को अरेस्ट किया था। उसकी चार्जशीट अब दाखिल की गई है।

विपुल और विकास दुबे का था परिवारिक रिश्ता
एनकांउटर में मारा गया अतुल दुबे रिश्ते में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का भतीजा लगता था। विकास के दम पर अतुल दुबे की बिकरू गांव समेत आसपास के गांवों में दबंगई चलती थी। नशे का लती होने की वजह से अतुल और उसकी पत्नी ज्योति का आए दिन झगड़ा होता था। परिवार में बड़ा बेटा विपुल, छोटा नकुल और बेटी दीक्षा थी। अतुल दुबे की हरकतों से परेशान होकर ज्योति बिना बताए तीन साल पहले कहीं चली गई थी। काफी खोजबीन के बाद भी उसका कहीं कुछ पता नहीं चला है। ज्योति के गुम हो जाने के बाद नकुल और दीक्षा ननिहाल में रहने लगे थे।

पिता के एनकांउटर की खबर न्यूज पेपर में पढ़ी थी
विपुल दुबे ने पिता अतुल दुबे और विकास दुबे के साथ मिलकर पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसाईं थी। वारदात को अंजाम देने के बाद विपुल पैदल ही रात के वक्त कानपुर देहात होते होते हुए औरैया की तरफ भाग गया था। बिकरू कांड की अगली सुबह बीते 3 जुलाई को पुलिस ने कांशीराम निवादा गांव के जंगलो में पुलिस ने अतुल दुबे और प्रेम प्रकाश पांडेय को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। विपुल ने अपने पिता के एनकांउटर की खबर 4 जुलाई को न्यूजपेपर में पढ़ी थी। विपुल पुलिस को 6 महीने तक चकमा देता रहा था। विपुल ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था। इसके साथ ही वो अपनी लोकेशन लगातार बदलता रहता था। मंदिरों और बस अड्डों में रात गुजारता था। पुलिस को विपुल की लोकेशन की भनक भी नहीं लग पाती थी।

जांच के दौरान विपुल का नाम आया था सामने
विपुल दुबे कल्यानपुर में रह कर पढ़ाई कर रहा था। इसके साथ ही विपुल आईटीबीपी की तैयारी भी कर रहा था। लेकिन विपुल का बिकरू आना जाना लगा रहता था। पुलिस की जांच में यह सामने आई थी कि घटना की रात विपुल दुबे गांव में ही मौजूद था। उसने भी पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसाईं थीं। विपुल का नाम प्रकाश में आने के बाद उसे आरोपी बनाया गया था। विपुल अपने पिता के नक्शे कदम पर चल कर, विकास जैसा बनना चाहता था।