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जयपुर। यात्री बसों में माल ढुलाई को वैध करने के विरोध में जयपुर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने शनिवार को चक्का जाम रखा। हड़ताल के कारण जयपुर में ढाई हजार ट्रांसपोर्ट कंपनियों के ऑफिस बंद रहे, जिसके कारण 7 हजार से ज्यादा ट्रकों के पहिए नहीं धूमे। इससे जयपुर में 200 करोड़ रुपए तक का कारोबार प्रभावित होगा और सरकार को भी 15 से 20 करोड़ रुपए के राजस्व की चपत लगेगी। जयपुर ट्रांसपोर्ट आॅपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश जैन का कहना आज की हड़ताल के बाद भी अगर सरकार की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आता है तो प्रदेशभर में अनिश्चित काल हड़ताल की योजना बनाई जाएगी। जैन ने कहा हड़ताल के दौरान कोई भी ट्रांसपोर्ट कंपनी नहीं खुलेगी और ना ही माल लोडिंग और अनलोडिंग होगा। जब तक सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेती है, जब तक ट्रांसपोर्ट चैन की सांस नहीं लेंगे। ट्रांसपोर्टर पहले ही कोरोना की मार से नहीं उबर पाए है और अब इस कानून से उनको अपनी कंपनी बंद करनी पड़ेगी। इस आंदोलन के लिए कई कमेटियां बनाई जाएंगी, जोकि जगह-जगह धरना प्रदर्शन करेंगे।
ट्रांसपोर्ट की परेशानी
दरअसल, पिछले दिनों गहलोत सरकार ने निजी बस मालिकों की मांग पर बसों को भी सामान ढोने की अनुमति दे दी है। ट्रक यूनियन को ऐतराज ये है कि अगर बसों पर सामान ढोया गया तो ट्रकों को कौन पूछेगा और उनका कारोबार प्रभावित होगा। अपनी इस मांग को लेकर ट्रक यूनियन ने मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों से भी बातचीत की, लेकिन उनसे कोई आश्वासन नहीं मिल सका। सरकार से अपनी मांग मनवाने के लिए ट्रक यूनियन अब हड़ताल करने जा रही है। 6 अगस्त को ये हड़ताल सांकेतिक होगी और उसके बाद अनिश्चित कालीन हड़ताल की रूप रेखा तैयार की जा रही है।
क्यों हो रहा है विरोध
परिवहन विभाग ने यात्री बसों में माल ढुलाई को वैध कर दिया है। बसों में माल ढुलाई संबंधी नियम-कायदों का गजट नोटिफिकेशन कर दिया है। इसके बाद प्रदेश में पंजीकृत 50 हजार बसों में आसानी से माल ढुलाई की जा सकेगी। इतना ही नहीं स्टेज कैरिज परमिट की 40 हजार बसों में तो छत पर भी माल का परिवहन किया जा सकेगा। वहीं कांट्रेक्ट कैरिज बसों में केवल डिग्गी व सीटों पर सामान ले जाने की अनुमति दी गई है। माल ढुलाई के लिए बस संचालकों को लाइसेंस लेना होगा। 40 हजार रुपए शुल्क चुकाकर एक साल तक के लिए लाइसेंस लिया जा सकेगा। वहीं एक महीने का शुल्क 6 हजार रुपए निर्धारित किया गया है। मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार बसों की छत पर सामान ढोना या यात्रियों को बैठाना गलत है। यह सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। कई बार अधिक ऊंचाई या यात्रियों के छत पर बैठने से हादसे हो चुके हैं। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भी बसों की छत पर माल नहीं ले जाया जा सकता है।