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काबुल। अफगानिस्तान से अमेरिका के आखिरी सैनिक के जाने के बाद भारत की अध्यक्षता में यूनाइटेड नेशन्स सिक्यॉरिटी काउंसिल ने एक प्रस्ताव पर मोहर लगा दी है जिसके तहत तालिबान को अफगानिस्तान में कामकाज संभालने की ‘सशर्त मान्यता; दे दी गई है। UNSC के प्रस्ताव में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान अस्थायी सरकार की तरह काम कर रहा है ऐसे में उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि वहां आतंकवाद न पनपने पाए। भारत समेत 13 देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। हालांकि वीटो पावर वाले चीन और रूस ने इस मामले से दूरी बना ली।
फ्रांस की तरफ से स्पॉन्सर्ड इस प्रस्ताव पर यूके, यूएस और भारत समेत 13 देशों ने सहमति जताई। वहीं वीटो पावर वाले रूस और चीन ने दूरी बना ली। इन दोनों देशों ने न तो पक्ष में वोट किया और न ही विपक्ष में। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद यह प्रस्ताव लाया गया है जिसमें कहा गया है कि अफगानी जमीन को आतंकवादियों को शरण देने के लिए न इस्तेमाल किया जाए और जो लोग देश छोड़ना चाहते हैं उन्हें सुरक्षित निकलने में मदद की जाए।
पहली बार भारत ने तालिबान से की सीधी बातचीत
जिस सत्र में इस प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, उसकी अध्यक्षता भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में जो बातें रखी गई हैं, उनमें अहम है कि अफगानिस्तान की धरती का प्रयोग किसी देश को धमकाने, बदला लेने या फिर आतंकवाद के लिए न किया जाए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसके माध्यम से काबुल को एक कड़ा संदेश देना चाहता है।