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पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सोमवार रात तुर्बत अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और नौसेना एयरबेस पर आतंकियों ने हमला किया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने नौसेना एयरबेस में हमले को रोकते हुए चार आतंकियों को मार गिराया. वहीं, तुर्बत में पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े नौसैनिक हवाई स्टेशन पीएनएस सिद्दीकी पर गोलियों से हमला किया गया है और क्षेत्र से कई विस्फोटों की सूचना मिली है.
इसके बाद प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की माजिद ब्रिगेड ने तुर्बत में नौसेना एयरबेस पर हमले की जिम्मेदारी ली है. मजीद ब्रिगेड बलूचिस्तान प्रांत में चीन के निवेश का विरोध करती है. साथ ही चीन और पाकिस्तान पर क्षेत्र के संसाधनों के शोषण का आरोप लगाती है.
एयरबेस में घुसे लड़ाके
द बलूचिस्तान पोस्ट के मुताबिक, बीएलए का दावा है कि उसके लड़ाके एयरबेस में घुस गए हैं. इसके अलावा, इस बेस पर चीनी ड्रोन भी तैनात हैं. हमले के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी केच ने टीचिंग हॉस्पिटल तुरबत में आपातकाल लगा दिया है और सभी डॉक्टरों को तुरंत ड्यूटी पर आने के लिए कहा गया है.
इस साल का तीसरा हमला
तुर्बत में यह हमला बीएलए मजीद ब्रिगेड द्वारा हफ्ते का दूसरा और इस साल का तीसरा हमला है. इससे पहले 29 जनवरी को इसने ग्वादर में सैन्य खुफिया मुख्यालय माच शहर को निशाना बनाया था, 20 मार्च को इसने तुर्बत में पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े नौसेना एयरबेस पर हमला किया, जैसा कि द बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है. 20 मार्च को, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स में कई विस्फोटों और गोलीबारी की सूचना के बाद शुरू हुई लड़ाई में कम से कम दो पाकिस्तानी सैनिक और आठ आतंकवादी मारे गए.
सुरक्षा बलों ने हमले को किया विफल
पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने एक बयान में बताया कि आठ आतंकवादियों के एक समूह ने पोर्ट अथॉरिटी कॉलोनी में प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा बलों के जवानों ने उन्हें सफलतापूर्वक विफल कर दिया. ग्वादर बंदरगाह, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के लिए महत्वपूर्ण है. यह जो चीन द्वारा नियंत्रित है. इसमें अरबों डॉलर की सड़कें और ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं और यह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का भी हिस्सा है.
विशेष रूप से, प्रतिबंधित आतंकवादी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान द्वारा नवंबर 2022 में सरकार के साथ अपना युद्धविराम समाप्त करने के बाद, पाकिस्तान में पिछले वर्ष, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है.