अभी अभीः ज्ञानवापी में शिवलिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया सबसे बडा आदेश, बोलेः कोई भी…

Just now: Supreme Court has given the biggest order on Shivling in Gyanvapi, said: No one...
Just now: Supreme Court has given the biggest order on Shivling in Gyanvapi, said: No one...
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नई दिल्ली: ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शिवलिंग की जगह प्रोटेक्ट करने को कहा लेकिन साथ ही मुस्लिम को नमाज के लिए मस्जिद में प्रवेश पर निचली अदालत के आदेश से तहत कोई रोक नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्टीकरण इसलिए जारी किया क्योंकि निचली अदालत के आदेश में वादी के आवेदन को स्वीकार करने की बात कही गई थी और आवेदन में शिवलिंग की जगह प्रोटेक्ट करने की गुहार के साथ-साथ मस्जिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक की भी मांग की गई थी।

दरअसल वादी की ओर से वाराणसी कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कई गुहार लगाई गई थी जिसमें कहा गया था कि जहां शिवलिंग मिलने की बात कही गई है उस जगह को सील किया जाए और उसे प्रोटेक्ट किया जाए साथ ही गुहार थी कि मस्जिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए। बेंच ने महसूस किया कि इससे कुछ कंफ्यूजन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम शिवलिंग मिलने वाली जगह को संरक्षित और प्रोटेक्ट करने का आदेश को रखते हुए बाकी तीन रिलीफ को हटा रहे हैं। संतुलित आदेश होगा कि शिवलिंग की जगह प्रोटेक्ट किया जाए और मुस्लिम को मस्जिद में नमाज के लिए जाने की इजाजत दी जाए।

वाराणसी कोर्ट की ओर से मस्जिद के सर्वे के आदेश को चुनौती देते हुए कमिटी ऑफ मैनेजमेंट अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी ने अर्जी दाखिल की है। उनकी ओर से वकील हुजैफा अहमदी पेश हुए। यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल पेश हुए। दिल का दौरान पड़ने के कारण वाराणसी कोर्ट में आवेदन दाखिल करने वाले एडवोकेट हरिशंकर जैन पेश नहीं हो पाए।

कोर्ट की लाइव सुनवाई के मुख्य अंश-

सुप्रीम कोर्ट में याची के वकील हुजैफा अहमदी: पहले पूजा के लिए वाराणसी कोर्ट में गुहार थी लेकिन बाद में कई गुहार और की गई। वाराणसी कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया जो अयोध्या मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के विपरीत है। पहले आदेश में सर्वे के लिए कोर्ट ने कमीश्नर नियुक्त कर दिया। इसके बाद काई बातें हो गई। इसके बाद वादी ने कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कहा कि कमिश्नर ने सर्वे में शिवलिंग पाया है और ऐसे में उस जगह को सील किया जाए और उसे प्रोटेक्ट किया जाए। साथ ही मस्जिद में नमाज के लिए मुस्लिम को जाने पर रोक लगाई जाए। कमीश्नर की रिपोर्ट पर नहीं बल्कि वादी के आवेदन पर निचली अदालत ने उक्त आदेश पारित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में दिए फैसले में कहा था कि धार्मिक नेचर की जो भी जगह है वह 15 अगस्त 1947 को जहां थी उसी रूप में उसे संरक्षित किया जाएगा। मौजूदा आदेश नुकसानदायक है। ऑर्डर संसद के नियम के खिलाफ है उसे स्टे किया जाए।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: आपकी दलील में एक आधार यही है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का यह उल्लंघन है और आप इसी आधार पर रिलीफ चाहते हैं?

अहमदी: निचली अदालत में वादी के आवेदन का आधार क्या है कि इतिहास में गलत हुआ है। लेकिन अयोध्या जजमेंट में सुप्रीम करो्ट ने कहा था कि इतिहास में क्या गलत हुआ यह याचिका का आधार नहीं हो सकता है। शुरू से आवेदन पर गलत आदेश हुए हैं और आदेशों पर रोक होना चाहिए।