मायावती बोली: भाजपा से दुखी है यूपी के मुसलमान, इसलिए इस बार…

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार को दावा किया कि राज्य में भाजपा सरकार से मुसलमान बेहद नाराज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों को “फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा है” और “नए नियमों और कानूनों” के माध्यम से भय की भावना पैदा की जा रही है।

मायावती ने यह आरोप मुस्लिम, जाट और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) समुदायों के पार्टी पदाधिकारियों की एक बैठक से पहले पत्रकारों से बात करते हुए लगाया, जिन्हें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित 84 विधानसभा सीटों पर जिम्मेदारी सौंपी गई है। बैठक का आयोजन लखनऊ बसपा मुख्यालय में किया गया। पिछले महीने उन्होंने गैर-आरक्षित सीटों पर तैनात उन समुदायों के नेताओं की बैठक की थी।

यूपी की मौजूदा बीजेपी सरकार में खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों के मुसलमान हर मामले और हर स्तर पर परेशान दिखाई दे रहे हैं। इस सरकार में उनकी तरक्की रोक दी गई है और फर्जी मुकदमों में फंसाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। साथ ही नए नियमों और कानूनों से उनमें भय की भावना पैदा की जा रही है।

उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट रूप से उनके प्रति भाजपा के सौतेले व्यवहार को दर्शाता है। दूसरी ओर, बसपा शासन के दौरान उनके जीवन की रक्षा की जाती थी, और उनकी प्रगति का भी ध्यान रखा जाता था।”

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि सत्ता में आने के बाद उनकी पार्टी फिर से मुसलमानों, जाटों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के हितों और कल्याण का ख्याल रखेगी। मायावती ने दावा किया, “ओबीसी, जाट और मुस्लिम समुदाय के पार्टी पदाधिकारी छोटी-छोटी बैठकों में अपने समुदाय के लोगों को यह बता रहे हैं। नतीजतन, उन समुदायों के लोग पार्टी से जुड़ रहे हैं।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र पर अपनी “जातिवादी मानसिकता” के कारण जाति जनगणना की ओबीसी की मांग को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की “जातिवादी” सरकारें नए नियम और कानून बनाकर आरक्षण नीति को अप्रभावी बनाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “बसपा जाति जनगणना के लिए ओबीसी समुदाय की मांग का समर्थन करती है। जातिवादी मानसिकता के कारण, केंद्र मांग की अनदेखी कर रहा है।”

एक दिन पहले विपक्ष से 12 राज्यसभा सांसदों के निलंबन के बारे में पूछे जाने पर मायावती ने कहा कि सरकार को इस तरह का सख्त रुख नहीं अपनाना चाहिए और किसी भी मुद्दे को हल करने और सदन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए सांसदों से बात करनी चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार को इस मामले में कड़ा रुख नहीं अपनाना चाहिए और बातचीत के जरिए मुद्दे का समाधान करना चाहिए। मामला पिछले संसद सत्र का है और अब शीतकालीन सत्र चल रहा है।

संसद के शेष शीतकालीन सत्र के लिए सांसदों को 11 अगस्त को मानसून सत्र के अंतिम दिन के दौरान उनके अनियंत्रित व्यवहार और कदाचार के लिए निलंबित कर दिया गया था।