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लंदन: ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से तैयार मलेरिया की नई वैक्सीन को दुनिया की सबसे प्रभावी वैक्सीन करार दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अगले साल तक यह वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। ट्रायल्स के बाद खतरनाक मलेरिया से बचाव में मरीज को 80 फीसदी तक सुरक्षा मिलने की बात कही गई है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह वैक्सीन काफी सस्ती है। हर साल इसकी 100 मिलियन डोज तैयार करने की डील पहले ही हो चुकी है।
अब बच सकेगी जान
चैरिटी मलेरिया नो मोर की तरफ से बताया गया है कि इस वैक्सीन का तैयार होना यानी बच्चों को मलेरिया से होने वाली मौतों से बचाना है। साथ ही अब यह मान सकते हैं कि मलेरिया को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है। मलेरिया की प्रभावी दवाई को तैयार करने में एक सदी से ज्यादा का वक्त लग गया है। मच्छरों से फैलने वाली यह बीमारी बहुत ही जटिल मानी जाती है। बीमारी शरीर के अंदर ही कई तरह के स्वरूप ले लेती है और इस वजह से इससे बचाना नामुमकिन माना गया था।
पिछले वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जीएसके की तरफ से डेवलप पहली वैक्सीन को एतिहासिक तौर पर हरी झंडी दी थी। इस वैक्सीन का प्रयोग अफ्रीका में हो रहा है। लेकिन ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों का दावा है कि उनकी वैक्सीन ज्यादा प्रभावी है और इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सकता है। इसका ट्रायल में बुरकिना फासो के नानोरो में 409 बच्चों पर किया गया था। इसके नतीजे लैंसेट इनफेक्शियस डिजीजेस में पब्लिश हुए हैं। इसमें साफ नजर आता है कि शुरुआती तीन खुराक और एक बूस्टर के बाद 80 फीसदी तक की सुरक्षा मिलती है।
क्या है वैक्सीन का नाम
यूनिवर्सिटी में जेनर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर अड्रियान हिल का कहना है कि किसी भी मलेरिया वैक्सीन के लिए आए आंकड़ों में ये आंकड़ें बेस्ट हैं। टीम की तरफ से वैक्सीन के लिए मंजूरी लेने का काम अगले कुछ दिनों में शुरू हो जाएगा। मगर अंतिम निर्णय इस साल के अंत में 4800 बच्चों पर होने वाले ट्रायल के बाद लिया जाएगा। दुनिया में सबसे बड़ी दवाई बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने पहले ही इसके 100 मिलियन डोज तैयार करने की डील हासिल कर ली है।
प्रोफेसर हिल ने बताया कि वैक्सीन को R21 नाम दिया गया है और इसे सिर्फ कुछ डॉलर्स में ही तैयार किया जा सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वैक्सीन को लोगों की जिंदगियां बचाने और हर किसी के लिए उपलब्ध कराने के मकसद से डेवलप किया जाएगा। मलेरियर को दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी करार दिया जाता है। इस बीमारी की वजह से ज्यादातर नवजात बच्चों और शिशुओं की मौत हो जाती है। इस बीमारी की वजह से हर साल दुनियाभर में करीब 400000 लोग मारे जाते हैं।