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नई दिल्ली: अपने पसंद का जीवन साथी चुनने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने एक बार फिर कहा कि यह दो वयस्क लोगों को का आधिकार है (Right To Choose Life Partner). कोर्ट ने कहा कि भले ही वे चाहे किसी भी धर्म के हों यह उनका अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि इस पर लड़की या लड़के के मां-बाप भी आपत्ति नहीं जता सकते.
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस दीपक वर्मा की पीठ ने मुस्लिम महिला शिफा हसन और उसके हिंदू साथी द्वारा दायर की गयी एक याचिका पर यह आदेश पारित किया. इन याचिकाकर्ताओं की दलील है कि वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं और अपनी इच्छा से साथ में रह रहे हैं. कोर्ट ने शिफा हसन और उसके साथी को सुरक्षा प्रदान करते हुए कहा कि इनके संबंधों को लेकर इनके माता पिता तक आपत्ति नहीं कर सकते.
कोई भी नहीं जता सकता दो व्यस्कों के संबंधों पर आपत्ति: कोर्ट
पीठ ने कहा, “इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि दो वयस्क व्यक्तियों के पास अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो. चूंकि यह याचिका दो ऐसे लोगों द्वारा दायर की गई है जो एक दूसरे से प्रेम करने का दावा करते हैं और वयस्क हैं, इसलिए हमारे विचार से कोई भी व्यक्ति उनके संबंधों को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता.”
लड़की ने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने के लिए किया आवेदन
पीठ ने पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इन याचिकाकर्ताओं को उनके माता पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी तरह से परेशान न किया जाए सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि युवती ने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने के लिए एक आवेदन भी दाखिल किया है. इस आवेदन पर जिलाधिकारी ने संबंधित थाने से रिपोर्ट मंगाई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, युवक का पिता इस विवाह को लेकर राजी नहीं है, लेकिन उसकी मां राजी है. उधर, शिफा के मां बाप इस शादी के खिलाफ हैं. इसे देखते हुए युवक और युवती ने हाई कोर्ट का रुख किया और उनका कहना है कि उनकी जान को खतरा है.