लॉकडाउन के दौर से ही बॉलीवुड (Bollywood) अच्छा-खासा नुकसान झेल रहा है. बीते कुछ समय में सोशल मीडिया पर हिंदी फिल्मों को लेकर अलग ही धारा बहती नजर आ रही है. ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बॉलीवुड फिल्मों के बॉयकॉट की मांग है की खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही. इसी बहिष्कार के आह्वान का असर था, जो बीते दिनों कई बड़ी बॉलीवुड फिल्में रिलीज हुईं, लेकिन बॉक्स ऑफिस (Box Office) पर धड़ाम साबित हुईं. इनमें ऐसी कई फिल्में शामिल थीं, जिनसे इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें थीं और दर्शकों ने इनसे मुंह फेर लिया.
बीते कुछ समय में दर्शकों को ना बॉलीवुड रोमांस पसंद आया, ना ड्रामा, ना एक्शन और ना ही कॉमेडी. ‘भूल भुलैया 2’, ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘जुग जुग जीयो’ जैसी गिनी-चुनी फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो कुछ एक फिल्मों को दर्शकों ने पूछा भी नहीं. कई बड़ी बिग स्टारर फिल्में आईं, लेकिन हफ्ते भर भी बॉक्स ऑफिस पर टिक नहीं पाईं. सम्राट पृथ्वीराज, धाकड़, शमशेरा, बच्चन पांडे, ज्सी, जनहित में जारी, जयेशभाई जोरदार, हीरोपंति 2, लाइगर, किसी भी फिल्म का नाम ले लीजिए, फ्लॉप ही रहीं.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब दर्शकों से इन फिल्मों की कमाई नहीं होती, बॉक्स ऑफिस पर फिल्में धड़ाम हो जाती हैं तो मेकर्स इसके नुकसान की भरपाई कैसे करते हैं. इन बिग बजट फिल्मों के फ्लॉप होने के बाद भी प्रोड्यूसर्स और एक्टर्स की सेहत पर कोई असर नजर क्यों नहीं आता? आखिर वे कौन-कौन से स्रोत हैं, जिनसे फिल्मों की कमाई होती है? चलिए आपको बताते हैं.
जाने-माने ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा कहते हैं- ‘बिग बजट फिल्मों से होने वाले नुकसान से प्रोड्यूसर्स को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि ये नुकसान डिजिटल राइट खरीदने वाले, सैटेलाइट राइट खरीदने वाले और ड्रिस्टीब्यूटर्स को झेलना पड़ता है. बड़ी फिल्मों के साथ यही होता है. मेकर्स ये बात अच्छे से जानते हैं कि टेबल प्रॉफिट मिल ही जाएगा, फिर क्या मेहनत करना. फिल्म की रिलीज से पहले ही इसकी लागत निकल जाती है.’
ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के अनुसार, फिल्म की सफलता इसका बिजनेस और कलेक्शन तय करता है. कोरोना के बाद कई बॉलीवुड फिल्में फ्लॉप रहीं. जो फिल्में फ्लॉप रहीं, उन्होंने डिजिटल, सैटेलाइट राइट्स और नॉन थिएट्रिकल राइट्स की सहायता से अपना इंवेस्टमेंट रिकवर कर लिया. इसके लिए उन्होंने शमशेरा का उदाहरण दिया. वे कहते हैं- ‘फिल्म बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई. लेकिन, रिलीज से पहले ही यशराज फिल्म्स ने प्री-सेल्स की सहायता से इंवेस्टमेंट रिकवर कर लिया.’
कुछ समय पहले तक ओटीटी प्लेटफॉर्मस से भी मेकर्स अपने इंवेस्टमेंट की रिकवरी कर लेते थे. क्योंकि, बिग बजट फिल्मों को ओटीटी पर दिखाने की होड़ होती थी. लेकिन, अब जब बिग बजट फिल्मों ने भी बॉक्स ऑफिस पर घुटने टेक दिए हैं तो ओटीटी भी अपना गेम बदल रहा है. बीते समय में इतनी फ्लॉप फिल्में आई हैं कि ओटीटी ने भी स्मार्ट गेम खेलना शुरू कर दिया है.