उत्तराखंड मे बिजली उपभोक्ताओं की बढ़ेंगी मुश्किलें, वजह आप भी जाने

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देहरादून: उत्तराखंड में तीनों निगमों के बिजली कर्मचारी सोमवार रात 12 बजे से हड़ताल पर चले गए हैं। रात 12 बजकर पांच मिनट पर विधुत संविदा कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष विनोद कवि ने बताया कि सभी संगठन हड़ताल में शामिल हैं। कर्मचारियों से बढ़चढ़ कर हड़ताल में शामिल होने की अपील की गई है। शासन के साथ दिन से लेकर देर रात तक चली बैठक के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला। सचिव ऊर्जा सौजन्या के साथ बिजली कर्मचारियों की दो दौर की वार्ता बेनतीजा रही। पॉवर हाउस से उत्पादन ठप हुआ तो ग्रिड फेल होने का खतरा भी बढ़ जाएगा। हड़ताल में ठेका कर्मचारियों के भरोसे सप्लाई सिस्टम रहेगा।

आपको बता दें कि सोमवार को दोपहर में सचिव ऊर्जा के साथ संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई। एसीपी की पुरानी व्यवस्था, 2005 तक के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ, एई को तीन, जेई को दो, टीजी टू को एक इंक्रीमेंट देने समेत उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण, समान काम का समान वेतन देने की मांग पर वार्ता हुई। सचिव की ओर से इन मांगों के निस्तारण को लेकर कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों से समय मांगा गया। समय देने के लिए कर्मचारी तैयार नहीं हुए। वार्ता विफल होने पर कर्मचारी सचिव ऊर्जा के कमरे से बाहर आ गए।

इसके बाद मुख्य सचिव एसएस संधू की अध्यक्षता में अधिकारियों की बैठक हुई। कर्मचारियों की समस्याओं पर विचार हुआ। इस बैठक के बाद सचिव ऊर्जा ने कर्मचारियों को फिर वार्ता के लिए बुलाया। आश्वासन दिया गया कि कुछ मांगों को मंगलवार की होने वाली कैबिनेट की बैठक में ले जाया जाएगा। शेष मांगों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण होगा। इस पर कर्मचारी लिखित आश्वासन पर अड़ गए। देर रात तक कर्मचारियों को लिखित आश्वासन नहीं मिला। इस पर कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। वहीं दूसरी ओर, विकासनगर में उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के सभी अधिकारी कर्मचारी 26 जुलाई की मध्य रात्री को बारह बजे से हड़ताल पर चले गये हैं।

अधिकारी कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के बाद यमुना घाटी की पांचों जल विद्युत परियोजनाओं छिबरों 240 मेगावाट, खोदरी 120 मेगावाट, ढकरानी 33 मेगावाट, ढालीपुर 51 मेगावाट व कुल्हाल 30 मेगावाट की परियोजनाआों को सुरक्षा की दृष्टी से उत्पादन बंद कर दिया है। टौंस व यमुना नदी पर बनी बैराज से पानी को सीधे यमुन नदी में छोड दिया गया है। इन पांचों परियोजनाओं से प्रतिदिन कुल आठ मीलियन यूनटि बिजली उत्पादित होती है। जिसमें यूजजेवीएनएल उत्तराखंड सरकार को उत्पादन दर पर एक रुपये प्रति यूनिट (रेट टू रेट ) के हिसाब से बेचता है।

इन परियोजनाओं से उत्पादन ठप होने पर राज्य सरकार अब बाहरी राज्यों से चार से पांच रुपये प्रति यूनिट खरीदनी पड़ रही है। वहीं विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने डाकपत्थर ऊर्जा भवन, व्यासी बांध परियोजना कार्यालय परिसर व सभी पावर हाउस के गेट पर अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। ऊर्जा निगम के अधिकारी कर्मचारियों का कहना है कि कई बार समझौतों के बावजूद सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जिसके बाद ही हडताल शुरु की गयी है। मांगें पूरी होने पर ही हड़ताल समाप्त की जायेगी।

सरकार, शासन बिजली कर्मचारियों की मांगों के निस्तारण को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। यही वजह है, जो दिसंबर 2017 से मांगों का निस्तारण नहीं किया जा रहा है। अभी भी अधिकारियों को समय चाहिए। लिखित में आश्वासन देने को भी तैयार नहीं है। ऐसे में कर्मचारी अपने हड़ताल के फैसले पर अडिग है। हड़ताल सोमवार रात 12 बजे से शुरू हो गई है। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल में स्थायी कर्मचारियों के साथ ही उपनल समेत स्वयं सहायता समूह के कर्मचारी भी शामिल हैं। संविदा, आउटसोर्स कर्मचारियों ने नाइट एलाउंस, शिफ्ट एलाउंस के साथ ही उपनल कर्मचारियों ने महंगाई भत्ते का भी लाभ मांगा।

फैडरेशन ने दिया अपना समर्थन
उत्तराखंड इंजीनियर्स फैडरेशन ने भी उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आंदोलन को अपना समर्थन दिया। फैडरेशन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र पांडेय और महासचिव जितेंद्र सिंह देव ने कहा कि मोर्चा की जायज मांगों का आश्वासन देने के बाद भी निस्तारण नहीं किया गया। इसी कारण कर्मचारी हड़ताल को विवश हुए हैं। यदि किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कोई भी उत्पीड़न की कार्रवाई की गई, तो फैडरेशन भी आंदोलन में बिना किसी नोटिस के शामिल हो जाएगा।

विद्युत कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर शुरू की कामबंद हड़ताल
शासन से वार्ता बेअसर रहने के बाद मंगलवार को विद्युत कर्मचारियों पावर लेखा संघ तथा विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कामबंद हड़ताल शुरू कर दी है।