अतीक के नाम से खाली होती थी सडकें, कहता थाः मुसलमान छाती तानकर…आज लोगों ने मुंह पर ही…

Roads used to be empty in the name of Atiq, he used to say: Muslim with chest stretched... Today people...
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नई दिल्ली: फला धारा हटवा दो, नाम कटवा दो साहब… एक समय अतीक अहमद ने खुले मंच से कहा था कि लोग मेरे पास ये सब करवाने के लिए आते हैं। वह ‘लाठी में ताकत’ की बात दहाड़ते हुए कहता था। प्रयागराज में उसके करेली इलाके की बात होते ही लोग सकपका जाते थे।कुछ साल पहले जेल से छूटने के बाद मंच पर बोलने का मौका मिला तो उसने कहा कहा था कि मैं पांच-पांच मर्तबा विधायक रहा, सांसद रहा। इज्जत-शोहरत मिली। अल्लाह ने लाठी में भी ताकत दी। यह सुनते ही वहां मौजूद लोग तालियां बजाने लगे थे। अतीक जब सांसद बना तो उसके चर्चे दिल्ली तक होने लगे थे लेकिन प्रयागराज में उसके खिलाफ कार्रवाई करने की न तो किसी पुलिसवाले की हिम्मत होती, न कोई नेता मुंह खोलता था। यही समझ लीजिए कि आरोपों की सेंचुरी लगाने वाले शख्स को आज पहली बार सजा मिली है। समाज का एक तबका उसे ‘अतीक साहब’ कहता था। ऐसे लोगों को खुद से ज्यादा अतीक पर भरोसा होता था कि कुछ भी हो जाए वो सब संभाल लेंगे। कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने एक बार मंच से अपने दिल की ये बात कह दी थी। लेकिन आज तोते उड़ गए हैं। वक्त बदल चुका है। तलवार जैसी मूंछें और सिर पर सफेद कपड़े लपेटने वाले अतीक अहमद का रुतबा हवा हो चुका है। सितारे गर्दिश में नहीं, पूरी तरह ‘ब्लैक होल’ में चले गए हैं, जहां से बाहर आना नामुमिकन जैसा है। उसने गैंग बनाई, माफिया बना, जातिगत समीकरण साधने के चक्कर में सियासत ने लोकसभा भी पहुंचा दिया लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि अब सारी जिंदगी जेल में काटनी पड़ेगी।

फांसी के नारे सुन घूर रहा था अतीक
आज जब उसे प्रयागराज में एमपी-एमएलए कोर्ट में सजा सुनाए जाने के लिए पेश किया गया तो वह खामोश था। पास खड़े लोगों को वह थोड़ा सहमा-सहमा दिखा। आज उसकी हर जगह थू-थू हो रही है लेकिन एक वक्त था जब इलाहाबाद में अतीक अहमद की तूती बोलती थी। अतीक यही चाहता भी था कि उसका टेरर बना रहे। आज कोर्ट ले जाते समय जब अतीक अहमद मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे, फांसी दो-फांसी दो का शोर था तो वह धीरे-धीरे सिर घुमाते हुए नारे लगा रहे उन लोगों को देख रहा था। जैसे समझ रहा हो कि क्या से क्या हो गया देखते-देखते। यही वो शहर था जहां लोग अतीक अहमद के नाम से खौफ खाते थे। नाम सुनते ही सड़कें खाली हो जाती थीं। जो लोग जा रहे होते थे किनारे खड़े हो जाते थे। ये तब था जब वह जनप्रतिनिधि हुआ करता था। आज खुलकर लोग उसके सामने गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।

इमरान प्रतापगढ़ी ने कुछ साल पहले अतीक अहमद की तारीफ में कसीदे पढ़े थे। उस समय मंच पर माफिया डॉन भी बैठा था। इमरान ने कहा कि वह जनाब अतीक साहब के बारे में अच्छाई-बुराई सब सुनते थे। फिर भी इस शायर ने अतीक की तारीफ करते हुए कह दिया कि तमाम लोग उन जैसा बनने की कोशिशों में लगे हुए हैं। पता नहीं इमरान कैसा बनने की बात कर रहे थे। लोग इंजीनियर, डॉक्टर, ऐक्टर, आईएएस बनने की प्रेरणा लेते हैं लेकिन खुलेआम मंच से यह शायर माफिया बनने के कथित ट्रेंड पर शायरी सुना रहा था। उन्होंने कहा, ‘ये एक शायर का दावा है कभी भी रद नहीं होगा। तेरे कद के बराबर अब किसी का कद नहीं होगा। इलाहाबाद वालों बात मेरी याद रखना तुम। कई सदियों तलक कोई अतीक अहमद नहीं होगा।’ आज के फैसले के बाद शायद इमरान प्रतापगढ़ी अतीक अहमद पर उस शायरी को संशोधित करें।

डर तो सबको लगता है… रोने लगा अतीक

आज कोर्ट ने उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद, दिनेश पासी और हनीफ को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सालों पहले जब अतीक फूलपुर से लोकसभा सांसद हुआ करता था तो उसके काफिले को लोग सलाम करते थे। उसकी टाटा सूमो से झांकती दो नली खौफ पैदा करती थी। यह टेरर उसके कारनामों से पैदा हुआ था। आज अतीक अहमद को कैमरे में रिकॉर्ड करने वाले आज कई लोग ऐसे थे, जो मीडिया से नहीं थे। अतीक के मूछों का रौब कमतर दिखा। जबकि गुजरात से आते समय उसे मूछों पर ताव देते भी देखा गया था। जब पत्रकारों ने पूछा कि डर लग रहा है? तो उसने इलाहाबादी स्टाइल में कहा था- काहे का डर। आज कोर्ट का फैसला सुनने के बाद पता चला कि अतीक अशरफ को पकड़कर रोने लगा।

​दंगा क्या होता है? अतीक ने बताया था​

एक बार मंच से अतीक ने कहा था कि जब मुलायम सिंह की सरकार होती है तो मुसलमान सीना तानकर सड़क पर चलता है और मायावती या भाजपा की सरकार रहती है तो आप दबकर अपने घर में रहते हैं। जब सीना तानकर आप (मुसलमान) चलते हो तो दूसरों को नागवार गुजरता है और इसीलिए दंगा होता है। यही नहीं, उसने कहा कि यूपी में जब-जब सपा की सरकार होती है मुसलमान को यकीन रहता है कि हमारे साथ इंसाफ होगा।

तब मंच से धमकाया, बंद करो राजा-रानी

एक बार प्रतापगढ़ में कार्यक्रम था। अतीक अहमद जेल से बाहर था। उसने कहा, ‘मैं जेल में था, बड़ी दिक्कत में था। हमारे लोगों ने कहा कि आप प्रतापगढ़ से चुनाव लड़िए। जिले के लोग बड़ी संख्या में हमारे पास जेल में मिलने गए।’ आगे अतीक ने कहा कि प्रतापगढ़ से हमेशा हमने जुड़ना चाहा है। हमारे मन में ये कसक आज भी है कि ये जाना जाता है राजा रानी के नाम से और आप ही जनवाते हो। वह सीधे तौर पर जनता को इस तरह सुना रहा था। राजा-राना कहते हुए उसका इशारा वहां से चुनाव जीतने वाले ‘कुंवर और राजकुमारी’ नेताओं पर था। अतीक आगे कहता है कि जब देखो तब पता चलता है कि फला राजा साहब आ रहे हैं, फला रानी साहिबा आ रही हैं। अब बंद करो ये राजा रानी का नाम करना। अब राजा-रानी बैलट पेपर से पैदा होता है। ये शब्द उस शख्स के हैं जिस पर हत्या समेत कई मामले दर्ज थे। आज दिन ये आ गए हैं कि वह कोर्ट से खुद को प्रयागराज से दूर साबरमती जेल वापस भेजने की गुहार लगा रहा है। वह नैनी जेल जाने से भी डर रहा है, मतलब आज अतीक अहमद खुद खौफ में है। उसका सूरज डूब चुका है।