यूपी में कम वोटिंग क्या BJP पर पड़ेगी भारी? पोलिंग बूथ तक नहीं आ रहे वोटर्स, जानें क्या है इसका मतलब

Will low voting in UP affect BJP? Voters are not coming to the polling booth, know what it means
Will low voting in UP affect BJP? Voters are not coming to the polling booth, know what it means
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BJP in Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनावों का दूसरा चरण भी खत्म हो गया है. उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरे चरण में वोटर्स ने पोलिंग बूथ से मुंह मोड़कर रखा है. दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर 54.85% ही मतदान हुआ है, जो इस चरण में शामिल 12 अन्य राज्यों की 76 सीटों से बेहद कम है. मथुरा लोकसभा सीट पर दो बार की सांसद व फिल्म एक्ट्रेस हेमा मालिनी और मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर रामायण के ‘श्रीराम’ अरुण गोविल जैसे स्टार चेहरे भी वोटर्स को बूथ पर नहीं खींच पाए हैं. एक्सपर्ट्स पिछले ट्रेंड्स को देखते हुए इसे भाजपा के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं. दरअसल पिछले चुनावों के रिजल्ट को आधार मानें तो कम वोटिंग परसंटेंज होने पर भाजपा के जीतने का चांस कम होता दिखाई देता है. क्या इस बार भी यही होने जा रहा है? आइए इसे जानने की कोशिश करते हैं.

पहले 2024 में यूपी में वोट परसंटेज

यूपी में अब तक 80 में से 16 सीटों पर चुनाव हो चुका है. ये सभी सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आती हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा (BJP) ने अपने साथ राष्ट्रीय लोकदल (RLD) को जोड़ा था, जिसे इस इलाके की मजबूत पार्टी माना जाता है. RLD को 2019 में भी इस इलाके में करीब 6% वोट हासिल हुए थे और उसे ही भगवा झंडे की राह में सबसे बड़ी बाधा माना जा रहा था. इस लिहाज से RLD को अपने साथ जोड़ना भाजपा के लिए इस इलाके को मजबूत गढ़ में बदलने जैसा होना चाहिए था, लेकिन अब तक हुए 16 सीट के चुनाव में वोटर्स पोलिंग बूथ तक आते हुए नहीं दिखे हैं.

शुक्रवार (26 अप्रैल) को दूसरे चरण के चुनाव में Hema Malini की मथुरा सीट पर 49.29%, Arun Govil की मेरठ-हापुड़ सीट पर 58.70%, रालोद के गढ़ बागपत सीट पर 55.93%, अलीगढ़ सीट पर 56.62%, अमरोहा सीट पर 64.02%, बुलंदशहर सीट पर 55.79%, गाजियाबाद सीट पर 49.55% और गौतमबुद्ध नगर सीट पर 53.21% वोट डाले गए हैं. 19 अप्रैल को पहले चरण में मुजफ्फरनगर सीट पर 59.13%, बिजनौर सीट पर 58.73%, कैराना सीट पर 62.46%, मुरादाबाद सीट पर 62.18%, नगीना सीट पर 60.75%, पीलीभीत सीट पर 63.11%, रामपुर सीट पर 55.85% और सहारनपुर सीट पर 66.14% वोट डाले गए थे.

2014 चुनाव में जमकर पड़े थे वोट, BJP ने किया था क्लीन स्वीप

लोकसभा चुनाव-2014 में इन 16 सीट पर सबसे कम 56.94% वोटिंग गाजियाबाद में हुई थी. बाकी सीटों पर मथुरा (64.10% वोटर टर्नआउट), अलीगढ़ (59.38% वोटर टर्नआउट), बुलंदशहर (58.18% वोटर टर्नआउट), गौतमबुद्ध नगर (60.39% वोटर टर्नआउट), बागपत (66.75% वोटर टर्नआउट), मेरठ (63.12% वोटर टर्नआउट), अमरोहा (70.97% वोटर टर्नआउट), बिजनौर (67.88% वोटर टर्नआउट), कैराना (73.10% वोटर टर्नआउट), मुरादाबाद (63.66% वोटर टर्नआउट), मुजफ्फरनगर (69.74% वोटर टर्नआउट), नगीना (63.12% वोटर टर्नआउट), पीलीभीत (62.86% वोटर टर्नआउट), रामपुर (59.27% वोटर टर्नआउट) और सहारनपुर (74.26% वोटर टर्नआउट) भाजपा के पक्ष में जमकर वोट पड़े थे. भाजपा ने इन सीटों पर 16-0 से क्लीन स्वीप किया था यानी सभी सीट जीत ली थीं.

2019 में क्या रहा था इन सीटों पर BJP का रिजल्ट

लोकसभा चुनाव-2019 में इन 16 सीट पर वोटर मतदान के लिए कम निकले. इसका नुकसान भाजपा को हुआ. भाजपा ने इन 16 सीट में से 6 सीट बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, सहारनपुर और नगीना गंवा दी थी, जबकि बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, बुलंदशहर, मथुरा, पीलीभीत और कैराना में उसे जीत मिली थी. इन चुनावों में वोट परसंटेज सहारनपुर (70.87% वोटर टर्नआउट), गाजियाबाद (55.89% वोटर टर्नआउट), मथुरा (61.08% वोटर टर्नआउट), अलीगढ़ (61.68% वोटर टर्नआउट), बुलंदशहर (62.92% वोटर टर्नआउट), गौतमबुद्ध नगर (60.49% वोटर टर्नआउट), बागपत (64.68% वोटर टर्नआउट), मेरठ (64.29% वोटर टर्नआउट), अमरोहा (70.97% वोटर टर्नआउट), बिजनौर (66.22% वोटर टर्नआउट), कैराना (67.45% वोटर टर्नआउट), मुरादाबाद (65.46% वोटर टर्नआउट), मुजफ्फरनगर (68.42% वोटर टर्नआउट), नगीना (63.66% वोटर टर्नआउट), पीलीभीत (67.41% वोटर टर्नआउट) और रामपुर (63.19% वोटर टर्नआउट) रहा था.

लोकसभा चुनाव 2024 में वोट देने नहीं आ रहे वोटर्स

उत्तर प्रदेश में ही नहीं देशभर में पिछले आम चुनावों के मुकाबले 2024 में मतदान कम दिख रहा है. लोकसभा चुनाव-2024 के पहले चरण में जहां देश में 102 सीट पर 66.1% मतदान हुआ था, वहीं दूसरे चरण में 88 सीटों पर शाम 7 बजे तक 60.96% (फाइनल आंकड़ा आना बाकी) वोटर टर्नआउट सामने आया है. कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर वोटर्स यह तय मानकर चल रहे हैं कि BJP लगातार तीसरी बार सरकार बना रही है. इसके चलते वे वोट देने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. दूसरी तरफ कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे इस बार जमकर उछले जरूर हैं, लेकिन वोटर्स का ध्रुवीकरण ना इन मुद्दों पर हुआ है और ना ही वोटर्स इस बार धर्म के आधार पर एकजुट होकर वोट डालने के लिए तैयार हो पा रहे हैं. इन सभी एंगल्स को एक्सपर्ट्स भाजपा नेतृत्व वाले NDA गठबंधन के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश कर रहा है.