उत्तर प्रदेश में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे बिजली कर्मचारियों को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने 72 घंटे तक हड़ताल करने वाले विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के 28 अधिकारियों का एक महीने की सैलरी और पेंशन रोकने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि ये उन लोगों के लिए चेतावनी है कानून के नियमों का उल्लंघन करते हैं। यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यूपी के कई इलाकों में हड़ताल के कारण 12 से 18 घंटे बिजली नहीं मिली। उस दौरान बारिश होने और बिजली नहीं होने के कारण लोग सबसे ज्यादा परेशान हुए।
बिजली कर्मचारियों की 72 घंटे की हड़ताल से आम लोगों को हुई परेशानी को लेकर हाईकोर्ट के अधिवक्ता विभु राय ने कोर्ट के समक्ष अपील कर इस मामले को उठाया। मामले की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने कहा कि इससे पहले कि कोर्ट दोषी कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करके नुकसान की वसूली का आदेश जारी करने से पहले, हड़ताल से नुकसान का आकलन करना चाहती है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल कर उन एरिया की जानकारी देने के लिए कहा है जहां नुकसान हुआ है। उस सभी कर्मचारियों और यूनियन के नाम देने के लिए कहा है जो इस हड़ताल में शामिल थे। ताकि हड़ताल के नुकसान के लिए सभी को जिम्मेदार ठहराया जा सके। कोर्ट ने भी साफ कहा कि किसी मुद्दे पर बात करन या बैठक करने पर कोर्ट रोक नहीं लगा रही है। साथ में कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार के साथ बातचीत करने पर भी रोक नहीं लगाई है।