देहरादून: उत्तराखंड में पिछले छह साल गरीबी उन्मूलन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट ने गरीबी को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। आयोगी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में बहुआयामी गरीबी में आठ फीसदी तक कमी आई है। एक आकलन के अनुसार आठ लाख से ज्यादा लोग गरीबी की रेखा से ऊपर आए हैं।
देश में यह आंकड़ा 13.50 करोड़ लोगों के जीवन स्तर में सुधार से जुड़ा है। पिछले दिनों आदि कैलाश के दर्शन को आए पीएम नरेंद्र मोदी ने भी गरीबी की रेखा के नीचे रह रहे लोगों के जीवन में आए बदलावों को प्रमुखता से साझा किया था। नीति आयेाग की जुलाई में जारी रिपेार्ट पीएम मोदी के बयान के बाद फिर प्रासंगिक हो गई है।
उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2015-16 और 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे को आधार बनाया गया है इसके अनुसार इन पांच साल के दौरान राज्य की बहुआयामी गरीबी में आठ फीसदी की गिरावट आई। वर्ष 2015-16 में राज्य में बहुआयामी गरीबी में रहने वालों लोगों का प्रतिशत कुल 17.67 था। जोकि वर्ष 2019-21 तक गिर कर महज 9.6 रह गया।
अल्मोड़ा में स्थिति बेहतर
जिला गिरावट % में
अल्मोड़ा 16.18
उत्तरकाशी 14.74
चंपावत 12.82
बागेश्वर 12.49
यूएसनगर 11.72
टिहरी 11.60
चमोली 9.96
रुद्रप्रयाग 8.77
हरिद्वार 8.41
पिथौरागढ़ 7.48
देहरादून 3.86
नैनीताल 3.31
पौड़ी 3.01
उत्तराखंड में आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। प्रदेश में इस वक्त 69 हजार स्वयं सहायता समूह हैं, जिनके साथ छह लाख से ज्यादा बहने जुड़ी हैं। उनके आर्थिक उन्नयन के लिए योजनाएं चल रही है। इसी प्रकार 21 हजार से ज्यादा पॉलीहाउस, एप्पल मिशन के तहत नए सेब के बागीचों के लिए सब्सिडी योजना शुरू की गई है।
गणेश जोशी, ग्राम्य विकास एवं कृषि मंत्री