श्रद्धा हत्याकांड ने याद दिलाई अनुपमा के साथ हुई दरिंदगी की कहानी, पति ने मर्डर के बाद किए थे 72 टुकड़े

Shraddha murder case reminded the story of cruelty with Anupama, husband cut her into 72 pieces after murder
Shraddha murder case reminded the story of cruelty with Anupama, husband cut her into 72 pieces after murder
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महरौली: दिल्ली के महरौली में सामने आए वीभत्स श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने 12 साल पहले देहरादून के ‘डीप फ्रीजर हत्याकांड’ की याद ताजा कर दी, जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने दंरिदगी की हदें पार करते हुए अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की हत्या करने के बाद उसके शव के 72 टुकड़े कर दिए थे. विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों हत्यारे एक क्रूर मानसिकता से ग्रस्त थे और उन्होंने हत्या क्षणिक आवेश में आकर नहीं, बल्कि सोच-समझकर की. उनका यह भी कहना है कि परिवार और मित्रों की सक्रिय भूमिका ऐसी घटनाओं को रोक सकती है.

पति ने टुकड़ों को नाले में फेंका
वर्ष 2010 में हुए अनुपमा हत्याकांड और हाल ही में सामने आए श्रद्धा हत्याकांड में केवल आरी से शव के टुकड़े किए जाने की ही समानता नहीं है, बल्कि दोनों मामलों में हत्यारे शवों की बदबू को छिपाने के लिए फ्रिज या डीप फ्रीजर खरीदकर ले आए. श्रद्धा के शव के टुकड़ों को ठिकाने लगाने के लिए उसका कथित हत्यारा आफताब पूनावाला जिस तरह से 18 दिन तक रात के अंधेरे में महरौली के जंगलों में जाता रहा, उसी प्रकार अनुपमा का पति राजेश गुलाटी भी कई दिन तक उसके शव के टुकड़े एक-एक कर राजपुर रोड पर मसूरी डायवर्जन के करीब पड़ने वाले नाले में फेंकता रहा.

दोनों ही घटनाओं में कातिल इतने शातिर निकले कि शव के टुकड़ों के कई दिनों तक घरों में मौजूद होने के बावजूद पड़ोसियों तक को वारदात के बारे में महीनों तक पता ही नहीं चला. हत्या के बाद गुलाटी अनुपमा के ईमेल से संदेश भेजकर उसके परिवार और मित्रों को गुमराह करता रहा. वहीं, पूनावाला भी श्रद्धा के सोशल मीडिया स्टेटस को कई सप्ताह तक अपडेट करता रहा.

अनुपमा की हत्या 17 अक्टूबर 2010 को हुई थी, लेकिन इसका खुलासा 12 दिसंबर 2010 को उस समय हुआ, जब कई कोशिशें के बावजूद अपनी बहन से संपर्क करने में नाकाम रहा उसका भाई पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंचा. हालांकि, महरौली हत्याकांड में श्रद्धा की सहेली ने उसके भाई को उसका फोन काफी दिनों से बंद आने की सूचना दी, जिसके बाद उसके पिता ने पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.

अनुपमा हत्याकांड की जांच की निगरानी करने वाले देहरादून के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गणेश सिंह मर्तोलिया ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि इस तरह की हत्याएं और शवों के टुकड़े करने वाला व्यक्ति सामान्य मानसिकता वाला नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, मैंने अपने पूरे करियर में ऐसा मामला नहीं देखा था, जिसमें शव के साथ इतनी दंरिदगी की गई हो.

हालांकि, मर्तोलिया ने कहा कि इस तरह की हत्याएं अचानक नहीं होतीं और दंपति के बीच झगड़ों और घरेलू हिंसा के रूप में वारदात के सिग्नल पहले से ही मिलने शुरू हो जाते हैं. प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि खतरा भांपने में परिवार और मित्रों की भूमिका अहम है, जो समय रहते पुलिस को सूचित कर ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं.