तो जेल से नहीं चलेगी दिल्ली सरकार! LG के बयान से लेकर जेल तक…

So Delhi government will not run from jail! From LG's statement to jail...
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नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल इस वक्त ईडी की रिमांड में हैं। आज दिल्ली हाईकोर्ट से भी उन्हें अंतरिम राहत नहीं मिल पाई है। अभी केजरीवाल ईडी की कस्टडी से सरकार चला रहे हैं लेकिन इस मामले पर दिल्ली के उपराज्यपाल ने वीके सक्सेना ने जो कहा वो आप नेता और सीएम केजरीवाल को बिल्कुल भी पसंद नहीं आने वाला है। दिल्ली एलजी ने टाइम्स नाउ समिट 2024 में बुधवार को कहा कि ‘मैं लोगों को भरोसा देता हूं कि दिल्ली की सरकार जेल से नहीं चलेगी।’ आइए जानते हैं कि दिल्ली एलजी ने ऐसा क्यों कहा होगा और जेल से सरकार चलाना कितना मुश्किल होता है।

जेल से सरकार चलाने में क्या दिक्कत
अरविंद केजरीवाल अभी तक ईडी की कस्टडी से दिल्ली सरकार को निर्देश दे रहे हैं लेकिन जेल में जाने के बाद कैदी को जेल के नियमों का पालन करना पड़ता है। जेल से किसी सरकार को चलाने में क्या मुश्किलें आती हैं। इस बारे में तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल से सरकार को चलाना आसान नहीं हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि जेल के नियमों के अनुसार किसी इमारत को भी जेल घोषित किया जा सकता है। जैसे घर को जेल डिक्लेयर कर दिया जाए लेकिन ये पावर सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटर यानी की एलजी के पास होती है। एलजी के आदेश पर किसी इमारत और भवन को जेल घोषित किया जा सकता है। हालांकि बुधवार को दिल्ली एलजी ने साफ कह दिया है कि दिल्ली की सरकार जेल से नहीं चलेगी। ऐसे अरविंद केजरीवाल को मुश्किलें हो सकती हैं।

क्या कहता है जेल मैनुअल

जेल मैनुअल के अनुसार कैदी हफ्ते में दो बार ही अपने दोस्तों यार घर परिवार वालों से मिल सकता है। ऐसे में अगर एक हफ्ते में दो बार ही अरविंद केजरीवाल को बाहर के लोगों से मिलने की परमिशन मिलती है तो वो कैसे सरकार चला पाएंगे।
कैदी जब जेल में आता है तो उसे 10 लोगों के नाम देने होते हैं। वो उनसे ही जेल में टेलीफोन पर बात कर सकेगा। ऐसे में 10 लोगों से फोन पर बात करके सरकार चलाना काफी मुश्किल है।

जेल मैनुअल के अनुसार अगर उन 10 लोगों में से कोई कैदी से मिलना चाहता है तो वो जेल ऑपरेटर को अपनी तारीख के बारे में बताएगा। इसके बाद जेल ऑपरेटर पर निर्भर करता है कि वो उसे तारीख पर मिलने की इजाजत देता है या किसी और तारीख पर मिलने के लिए बुलाता है।

जेल मैनुअल के अनुसार कैदी के दोस्त या परिवार वाले सिर्फ उससे सुबह 9.30 से दोपहर 12.30 के बीच ही मुलाकात कर सकते हैं। ऐसे में सीएम के ऊपर राज्य की पूरी जिम्मेदारी होती है। ऐसे में यहां पर भी अरविंद केजरीवाल को परेशानी हो सकती है।

जेल से कैदी को कोई फाइल साइन नहीं कर सकता है। हालांकि अगर कोई इंपॉर्टेंट फाइल है तो जेल सुपरिटेंडेंट के फैसले के बाद ही कैदी साइन कर सकता है।

जानिए क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ
अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चला पाएंगे या नहीं इस मामले में कानून विशेषज्ञों ने बताया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप के पास विधानसभा में पूर्ण बहुमत है जो उनके सीएम के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत बनाता है लेकिन जब वो जेल में बंद होंगे तो उन्हें जेल के नियमों का पालन करना होगा। पूर्व लोकसभा महासचिव और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य और कानूनी विशेषज्ञ एसएन साहू दोनों ने कहा कि जेल में कैदी को कई लोगों से मिलने की अनुमति नहीं होती है तो वो जेल से कैसे सरकार चला पाएंगे। उन्होंने आगे कहा अरविंद केजरीवाल को भी अपना उत्तराधिकारी चुन लेना चाहिए जैसे (तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री) जयललिता, (झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री) हेमंत सोरेन, (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री) लालू यादव सभी ने जेल जाने से पहले अपने उत्तराधिकारी चुन लिए थे।