उत्तराखंड में आज भी अस्थियां कर रही अपनों का इंतजार, लेने नहीं आ रहे परिजन

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हल्द्वानी: कोविड-19 की दूसरी लहर में प्रदेश में हालात बहुत बुरे थे. हालात ऐसे हो गए थे कि श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए लोगों को लाइनें लगानी पड़ी थी. हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को आत्मा की शांति के लिए सबसे बड़ा माना जाता है. यही नहीं अस्थि विसर्जन हरिद्वार में किया जाता है. लेकिन, ये खबर आपको सोचने पर मजबूर कर देगी. हल्द्वानी के राजपुरा श्मशान घाट में कोविड-19 के दौरान अंतिम संस्कार किए गए शवों के अस्थि कलश आज भी अपने लोगों का इंतजार कर रहे हैं.

अभी भी अस्थियां कर रही अपनों का इंतजार
करीब 50 अस्थि कलश जो अपने लोगों का इंतजार कर रही हैं. ये कलश आज भी हिंदू धर्म की आस्था के अनुसार अंतिम संस्कार की विसर्जन प्रक्रिया के लिए रखे गए हैं. मगर मई माह के बाद से यानी जब से कोविड की दूसरी लहर धीमी पड़ी तब से एक लंबा समय बीतने के बाद भी आज तक अस्थि कलश लेने कोई नहीं आया है.

हरिद्वार में विसर्जित किए जाएंगे ये अस्थि कलश
अप्रैल-मई माह में कोविड-19 के दूसरी लहर के दौरान रोजाना दर्जनों की संख्या में यहां शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा था. जिसमें कई लोगों के परिजन अपनों के अस्थि कलश ले गए हैं. लेकिन, अभी भी 50 अस्थि कलश श्मशान घाट में मौजूद हैं. मुक्ति धाम पदाधिकारियों के मुताबिक, अगर जल्द ही उनके परिजन अस्थि कलश लेने नहीं आते हैं तो समिति सामूहिक बैठक कर यह निर्णय लेगी कि सभी अस्थि कलश को हिंदू रिति-रिवाज के अनुसार हरिद्वार में विसर्जित किए जाए जिससे दिवंगत आत्माओं को शांति मिल सके.

नहीं है जानकारी
कोविड की दूसरी लहर के दौरान राजपुरा मुक्ति धाम में करीब 500 से ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए लाए गये थे. श्मशान घाट के मुंशी भागीरसन प्रसाद बताते हैं कि कोविड-19 के दौरान लोग शव को श्मशान घाट पर छोड़कर जा रहे थे. जिनका समिति द्वारा अंतिम संस्कार किया गया. कई लोग अपनों की अस्थियां ले गए है, अब यहां 50 अस्थि कलश हैं, जिनके स्वजन अभी तक यहां नहीं पहुंचे हैं. परिजन आएंगे या नहीं कोई जानकारी नहीं है.