लव बर्ड्स के लिए मशहूर है ये फूलों की वादियां, हनीमून पर जाने वालों के लिए माना जाता है स्वर्ग

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क्या आपने देखी हैं फूलों की ये 5 मशहूर घाटियां? नजारा देखकर दिल लेंगे थाम
भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है. जो पर्यटकों के लिए स्वर्ग कहा जाता है. यहां पर एक ही समय में समुद्र के बीच, बर्फ से लदे पहाड़, रेगिस्तान और हरे-भरे जंगल देख सकते हैं.

नई दिल्ली: अगर बात फूलों की हो तो हमारे देश में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं. जो पर्यावरण की खूबसूरती बढ़ाने के साथ ही पर्यटन को आकर्षित करने का भी काम करती हैं. अगर आप भी कुछ नई जगह घूमने के शौकीन हैं तो आज हम आपको देश की ऐसी अनजान 5 फूलों की घाटियोंके बारे में बताएंगे. जहां पर घूमना देश-विदेश के हरेक पर्यटक का सपना रहता है.

प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है. अगर आप भागमभाग भरे जीवन से हटकर कुछ शांत समय गुजारना चाहते हैं तो सिक्किम की युमथांग घाटी आपके लिए आदर्श जगह है. यह घाटी समुद्र तल से 3596 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस घाटी में आपको शानदार फूलों के नजारे, याक और गर्म झरनों का कॉम्बिनेशन देखने को मिलेगा. यहां पर आपको Cinquefoils, Rhododendrons, Iris, Poppies, Lousworts, Primroses, और Cobra-lilies सहित तमाम विदेशी फूलों की किस्में देखने को मिलेंगी. इसी घाटी में ‘शिंगबा रोडोडेंड्रोन’ अभयारण्य भी है. आपको यहां पर इस खूबसूरत फूल की 24 से अधिक किस्में दिखेंगीं.

महाराष्ट्र के कास पठार को हैरानी का पर्यायवाची भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आश्चर्यजनक जगह का नाम कासा फूल से मिलता है, जो यहां पाई जाने वाली सबसे आम प्रजाति है. यह यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर स्थल घोषित है. इस पठार पर फूलों की 850 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. जिनमें ऑर्किड, टूथब्रश ऑर्किड, भारतीय अरारोट, दीपकाडी फूल, उष्णकटिबंधीय सूंड, वाई-तुरा और कई अन्य प्रजातियों के फूल शामिल हैं. सुंदर फूलों की यह घाटी पुणे शहर से तीन घंटे की ड्राइव दूर है. अगर आप इस पठार पर पहुंचते हैं तो पास में कास झील या वजराई और वोघर झरने तक भी जा सकते हैं.

यह घाटी नए शादीशुदा जोड़ों के बीच में बहुत लोकप्रिय है. इस घाटी को खासतौर पर हनीमूनर के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है. अगर आप अगस्त के महीने में यहां की यात्रा की योजना बनाते हैं तो आप नीलकुरिंजी नाम के शानदार लैवेंडर रंग के फूलों के साथ हरे घास के मैदान भी देख सकते हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि ये फूल हर 12 साल में एक बार ही खिलते हैं. इस साल, यह फूल फिर से खिल गया है. इस फूल का वैज्ञानिक नाम Strobilanthes Kunthiana है. जिसे मलयालम और तमिल में नीलकुरिंजी या कुरिंजी के नाम से जाना जाता है. यह असल में एक झाड़ी है, जो केरल और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट के शोला जंगलों में पाई जाती है.

यह भारत में लोकप्रिय फूलों की घाटियों में से एक है. यहां पहुंचने के लिए आपको उत्तराखंड के गोबिंदघाट गांव से 17 किमी लंबे ट्रेक से गुजरना होगा. ट्रेकर्स के बीच बहुत लोकप्रिय यह फूलों की घाटी नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है. यह यूनेस्को के वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में से एक है. यहां पर आपको हिमालयी मेपल, ब्लू हिमालयन पोस्पी, ब्रह्मकमल, मैरीगोल्ड, रोडोडेंड्रोन, डेज़ी, प्राइमुलस, ऑर्किड और वालच कोबरा लिली समेत वनस्पतियों की एक विशाल रेंज देखने को मिलेगी. अगर आप इस फूलों की घाटी में पहुंचते हैं तो आप पास में ही हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की भी यात्रा कर सकते हैं.

फूलों की यह घाटी समुद्र तल से 2452 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. देश-विदेश में फूलों की इस घाटी के बारे में लोगों को अभी ज्यादा जानकारी नहीं है. यह घाटी नागालैंड-मणिपुर सीमा के पास स्थित है. अगर आप शहर के कोलाहल से दूर केवल प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह जगह वाकई आपके लिए बनी है. इस घाटी में दिलचस्प बात यह है कि डज़ुकौ लिली नाम के फूल खिलते हैं. खास बात ये है कि फूलों की यह प्रजाति केवल नागालैंड में पाई जाती है. इन फूलों के अलावा आप एकोनिटम, यूफोरबियास, रोडोडेंड्रोन और दूसरी प्रजातियां भी देख सकते हैं.