अर्जेंटीना से ‘सफेद सोना’ भारत लाएगी ये कंपनी, खबर सुनते ही चीन का बढ़ गया ब्लड प्रेशर

This company will bring 'white gold' from Argentina to India, China's blood pressure increased after hearing the news
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India Deal With Argentina : लिथियम की खोज और खनन को लेकर भारत और अर्जेंटीना के बीच महत्वपूर्ण करार हुआ है. भारत दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. भारत ने अर्जेंटीना के साथ 5 लिथियम ब्राइम ब्लॉकों के अधिग्रहण के लिए बड़ी डील की है. भारतीय कंपनी इन ब्लॉकों के अन्वेषण और विकास के लिए काम करेगी. भारत की सरकारी कंपनी खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड यानि KABIL और अर्जेंटीना की सरकारी कंपनी Camyen SE के बीच ये डील हुई है. भारत की सरकारी कंपनी KABIL अर्जेंटीना से लिथियम खोजकर भारत लाएगी. लिथियम जिसे ‘सफेद सोना’ भी कहा जाता है इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए काफी अहम है. देश में जिस तरह से ईवी कारों की मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए यह करार काफी अहम है. सिर्फ कारों के लिए नहीं बल्कि मोबाइल फोन बैटरी, लैपटॉप और डिजिटल कैमरा आदि की बैट्रियों में लिथियम का ही इस्तेमाल होता है. वहीं इस डील के साथ ही चीन की टेंशन बढ़नी तय है.

KABIL को मिली बड़ी जिम्मेदारी
अर्जेंटीना में लिथियम की खोज और खनन की जिम्मेदारी भारतीय कंपनी KABIL को मिली है. भारत की तरफ से खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में 15703 हेक्टेयर में लिथियम की खोज और खनन करेगी. इस डील में पांच ब्लॉक को शामिल किया गया है. प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कंपनी कैटामार्का प्रांत में अपना ब्रांच खोलेगी. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में करीब 200 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है. KABIL की बात करें यह एक ज्वाइंट वेंचर है. साल 2019 में सार्वजनिक क्षेत्र के तीन केंद्रीय संस्थानों राष्‍ट्रीय एल्‍यूमि‍नियम कम्‍पनी लिमिटेड (NALCO), हिन्‍दुस्‍तान कॉपर लिमिटेड (HCL) और मिनरल एक्‍सप्लोरेशन कम्‍पनी लिमिटेड (MECL) की भागीदारी के साथ खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (Khanij Bidesh India Ltd.KABIL) की नींव रखी गई थी. इसमें NALCO की 40 फीसदी और हिन्दुस्तान कॉपर और मिनरल एक्सप्लोरेशन की 30-30 फीसदी की हिस्सेदारी है.इसका काम विदेशों में महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहचान करना, उसकी खोज और विकास ओर अधिग्रहण को पूरा करना है. कंपनी ऑस्‍ट्रेलिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे खनिज संपन्न देशों के साथ साझेदारी के साथ काम कर रही है. वर्तमान में कंपनी का फोकस लिथियम और कोबाल्ट जैसे बैटरी खनिजों की पहचान और उसे भारत लाने पर है. कंपनी के चेयरमैन श्रीधर पात्रा और सीईओ सदाशिव सामंतराय हैं.

क्यों चीन की बढ़ी टेंशन

भारत लिथियम के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर है. चिली और बोलिविया के बाद लिथियम का बड़ा भंडार अर्जेंटीना के पास है. दुनिया में लिथियम भंडार का आधा इन्हीं देशों के पास है. लिथियम महत्वपूर्ण खनिज है और भारत अभी लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है. चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को इसके विक्लप की तलाश है. अर्जेंटीना के साथ यह डील इन्हीं कोशिशों को नतीजा है.

क्यों जरूरी है लिथियम
कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए लिथियम बैटरी का बड़ा रोल है. लिथियम बैटरी बेहद हल्की, शक्तिशाली और रिचार्जेबल होती है. मोबाइल से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम बैटरी का इस्तेमाल होता है. लिथियम की उपलब्धता से इलेक्ट्रिक वाहन सस्ते हो जाएंगे. लिथियम की आपूर्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. जिस रफ्तार से भारत में ईवी व्हीक्लस को बढ़ावा मिल रहा है, उसमें लिथियम को लेकर हुई ये डील मील का पत्थर साबित हो सकती है.