मुगलों के हरम में घुस जाता बाहरी पुरुष करते ऐसा हाल! सुन कांप जाएगी रूह

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मुगलों की चर्चा होती है, तो उनके हरम का भी जिक्र होता है. अरबी शब्द ‘हराम’ से बने हरम का मतलब होता है पवित्र या वर्जित. जबकि फारसी में हरम का मतलब होता है अभ्यारण्य. मुगल काल में हरम को बहुत खास दर्जा मिला हुआ था. मुगल बादशाह अकबर (Akbar) जब साल 1556 में सल्तनत की गद्दी पर बैठे तो उन्होंने जो सबसे पहला काम किया वो था हरम को संस्थागत दर्जा देना. उन्होंने हरम के लिए तमाम नियम-कायदे बनाए और यहां काम करने वालों के लिए बाकायदे सैलरी तक तय की.

हरम में किसी पुरुष की एंट्री नहीं
owlcation की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकबर ने हरम के लिए अलग से सिक्योरिटी डिपार्टमेंट से लेकर राजस्व, मानव संसाधन और हरम की महिलाओं के लिए मनोरंजन वगैरह की व्यवस्था की. सारे नियम-कानून इस्लामी मान्यताओं के मुताबिक बनाए गए. इतिहासकार सर थॉमस कोरयाट लिखते हैं कि हरम के अंदर बादशाह के अलावा किसी भी पुरुष को घुसने की इजाजत नहीं थी.

हरम के अंदर सिर्फ महिलाएं और हिजडे़ रहा करते थे. हिजड़ों को ‘ख्वाजा सार’ कहा जाता था. यही हरम की सुरक्षा संभाला करते थे. अकबर के काल में हरम की सुरक्षा और पुख्ता की गई और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि कोई बाहरी शख़्स किसी भी सूरत में हरम में दाखिल न होने पाए.

अनीशा शेखर मुखर्जी ने अपनी किताब ‘द रेड फोर्ट ऑफ शाहजहानाबाद: एन आर्किटेक्चरल हिस्ट्री’ (The Red Fort of Shahjahanabad: An Architectural History) में मुगल हरम पर विस्तार से लिखा है. वह लिखती हैं कि हरम ऐसा हिस्सा था जहां किसी भी बाहरी शख़्स को किसी सूरत में जाने की इजाजत नहीं थी. इसकी दो वजहें थीं. पहला- बादशाह की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और दूसरा हरम में रहने वाली महिलाएं किसी बाहरी पुरुष से संबंध न बना लें.

हरम में 3 लेयर की सुरक्षा व्यवस्था हुआ करती थी. सबसे बाहरी लेयर की सुरक्षा आम सैनिक संभाला करते थे, जिसमें पुरुष सिपाही भी शामिल थे, पर अंदर की सुरक्षा सिर्फ और सिर्फ हिजड़ों को मिलती. तुर्की और कश्मीरी महिलाओं को भी हरम के अंदर गार्ड की ड्यूटी पर रखा गया. इसकी वजह यह थी कि वो स्थानीय भाषा नहीं समझ सकती थीं. ऐसे में बादशाह की बातें इधर-उधर होने का डर नहीं था.

इतिहासकार राणा सफवी एक आर्टिकल में लिखती हैं कि जब बादशाह हरम में जाते तो हिजड़े उनके आसपास सुरक्षा घेरा बना लेते थे. जब तक वो अंदर रहते, तबतक पूरी मुस्तैदी से उनके इर्दगिर्द डटे रहते.

चोरी-छिपे घुस जाते थे बाहरी पुरुष
इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद अक्सर बाहरी पुरुष चोरी-छिपे हरम में घुस जाया करते थे. मुगल इतिहास पर तमाम किताबें लिखने वाले प्रोफेसर आर. नाथ के मुताबिक हरम (Mughal Harem) के अंदर एक अंडरग्राउंड फांसीघर हुआ करता था. अगर हरम की कोई महिला, बादशाह के अलावा किसी और पुरुष से संबंध रखती पाई जाती तो उसे वहीं फांसी दे दी जाती. फिर लाश को सुरंग के रास्ते बाहर फेंक दिया जाता था.

हरम में अजबनी घुस आता तो?
मुगल बादशाह हरम में घुसने वाले बाहरी पुरुषों के साथ क्या करते थे, इसको एक और उदाहरण से समझ सकते हैं. औरंगजेब की छोटी बहन रोशनआरा का दिल एक बाहरी शख्स पर आ गया. वह चोरी-छिपे रोशनआरा बेगम तक पहुंच गया. राजकुमारी ने उस युवक को कई दिन तक हरम में छिपा कर रखा. इसके बाद अपनी सेविकाओं से उसे सुरक्षित बाहर निकालने को कहा. रात के अंधेरे में सेविकाएं उसे महल के अंदरूनी हिस्से में ही छोड़कर भाग गईं.

किले की दीवार से फेंक दिया था
सुबह उसे सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ लिया और औरंगजेब के सामने पेश किया. युवक को पता था कि अगर उसने हरम में घुसने की बात मान ली तो फौरन मारा जाएगा. उसने झूठ बोला कि वह नदी किनारे से किले की दीवार पर चढ़ गया और शाही महल तक पहुंचना चाहता था. औरंगजेब (Aurangzeb) ने उससे कहा कि वह जिस तरीके से किले के अंदर घुसा था उसी तरीके से नीचे उतरे. युवक को दीवार पर ले जाया गया. वह नीचे उतरता, इससे पहले ही हरम के हिजड़ों ने उसे 60 फीट ऊंची दीवार से नदी में फेंक दिया.