जज के फैसले से ढाई साल की बच्ची बन गई करोड़पति, मां को भी कोर्ट से मिल गया न्याय

Two and a half year old girl became millionaire due to judge's decision, mother also got justice from court
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हाजीपुर : ढाई साल की बच्ची के पिता तो अब इस दुनिया में नहीं हैं पर उसे कोर्ट से शनिवार को बड़ा सहारा मिला है। सड़क हादसे में जान गंवाने वाले आइटी इंजीनियर शशिकांत सिंह के मामले में संभवत: देश में पहली बार वैशाली के जिला जज सत्येंद्र पांडेय की कोर्ट में 1.85 करोड़ रुपये के दावे पर मुहर लगी। राष्ट्रीय लोक अदालत में दावे के सेटलमेंट पर सभी पक्षों के बीच सहमति बन गई। देश में किसी लोक अदालत में निष्पादित किए जाने वाला भी संभवत: यह अब तक का सबसे बड़ा दावा वाद है।

राजस्थान के भिवाड़ी में हादसे में हो गई थी मौत
राजस्थान के भिवाड़ी स्थित आर-टेक ग्रुप में सिविल प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत रहे हाजीपुर के शशिकांत सिंह का निधन कंटेनर की ठोकर से 17 अगस्त 2018 को हो गया था। इस घटना को लेकर भिवाड़ी के अलवर थाने में प्राथमिकी कराई गई थी। शशिकांत की मौत के बाद उनकी पत्नी इंदिरा इंदू सिंह ने वैशाली के जिला जज के न्यायालय में 146/2019 के तहत दावा वाद दायर किया था।

दो करोड़ 16 लाख 61 हजार 300 का किया था दावा
पति की मौत पर पत्नी ने दो करोड़ 16 लाख 61 हजार 300 रुपये का दावा किया था। वैशाली के जिला जज एवं पक्ष-विपक्ष के वकील के साथ ही इंश्योरेंस कंपनी की आपसी सहमति के आधार पर 1.85 करोड़ रुपये विधवा महिला को देने की सहमति बन गई। शनिवार को जिला व्यवहार न्यायालय में संपन्न राष्ट्रीय लोक अदालत में इस पर मुहर लग गई।

पिता की मौत के छह माह बाद हुई थी बच्ची
सड़क हादसे में शशिकांत के जान गंवाने के छह माह के बाद इंदू को बेटी हुई थी। पिता के नाम पर ही बेटी का नाम शशिका रखा है। घर में शशिकांत के पिता अक्षय कुमार सिंह एवं मां माया देवी भी हैं। दावे में मिलने वाली राशि से परिवार की परवरिश होगी। बूढ़े माता-पिता को जहां अपने बेटे को खोने का गम है, वहीं पत्नी अपने पति को खोने को लेकर टूट चुकी है। मासूम बच्ची को तो यह भी नहीं मालूम कि उसके पिता के साथ क्या हुआ ? बड़ी होगी तब मालूम पड़ेगा।

जिला जज की पहल से परिवार को मिला न्याय
हाजीपुर कोर्ट में दायर दावा वाद में परिवार को न्याय दिलाने में सबसे अहम भूमिका वैशाली के जिला जज सत्येंद्र पांडेय ने निभाई। यूनिवर्सल सोंपो जेनरल इंश्योरेंस कंपनी के वकील राजेश कुमार शुक्ला, पीड़ित पक्ष के वकील अजय कुमार के साथ ही हादसे में मृत इंजीनियर की पत्नी एवं माता-पिता को बैठाकर कई दौर की बात की। इस दरम्यान करीब आधा दर्जन बार उन्हें कंपनी के अधिकृत अधिकारी से बात भी करनी पड़ी और आखिरकार सभी पक्षें की सहमति के आधार पर 1.85 करोड़ रुपये पर दावा वाद को निष्पादित कर दिया गया।

कोर्ट ने सभी सदस्यों का हिस्सा किया तय
जिला जज सत्येंद्र पांडेय ने इस मामले में सड़क हादसे में मारे गए परिवार के सभी सदस्यों का हिस्सा तय कर दिया है। परिवार के सदस्यों की आपसी सहमति के आधार पर मिली 1.85 करोड़ रुपये में सर्वाधिक 60 प्रतिशत राशि यानी 01 करोड़ 11 लाख रुपये ढाई वर्ष की बच्ची शशिका को मिलेगी। वहीं पत्नी को 18 प्रतिशत राशि यानी 33 लाख 30 हजार रुपये और बूढ़े माता-पिता को 22 प्रतिशत यानी 40 लाख 70 हजार रुपये मिलेंगे। मासूम बच्ची की राशि उसके नाम से बैंक में फिक्स की जाएगी, जो उसके बालिग होने के बाद उसे मिलेगी।

कंटेनर के नीचे आ गए थे इंजीनियर
हरियाणा के फरीदाबाद स्थित चौहान ट्रांसपोर्ट कंपनी के कंटेनर एचआर 38टी 2183 के चालक ने 17 अगस्त 2018 को रात्रि के करीब 9.45 बजे हाजीपुर के रहने वाले इंजीनियर शशिकांत सिंह को राजस्थान के भिवाड़ी के अलवर थाना क्षेत्र में कुचल दिया था। इस मामले में ट्रांसपोर्ट कंपनी के साथ ही कंटेनर के चालक को भी पार्टी बनाया गया था। ट्रांसपोर्ट कंपनी की ओर से भी दावा वाद में जिला जज के कोर्ट पक्ष रखा गया था।

प्रथम वकील की भी सड़क हादसे में हुई मौत
पीड़ित पक्ष की ओर से वैशाली के जिला जज के कोर्ट में मामला दायर करने वाले वकील की भी सड़क हादसे में मौत हो गई थी। जिला जज के कोर्ट में 2019 में अधिवक्ता महुआ के सलखन्नी के रहने वाले शशिभूषण प्रसाद ने दायर की थी। मामला दायर करने के बाद सुनवाई के दरम्यान ही महाराष्ट्र के मुंबई में अगले वर्ष ही अधिवक्ता की मौत हो गई थी। बाद में इस मामले में अजय कुमार पीड़ित पक्ष के वकील बने।

फैसला सुन स्वजनों की आखों से छलके आंसू
अपने इंजीनियर पति को खोने वाली करीब 33 वर्ष की इंदिरा इंदू सिंह को राष्ट्रीय लोक अदालत में अपनी आगे की जिंदगी जीने का सहारा मिल गया। उनकी आंखों से छलके आंसू यह बता रहे थे कि इन रुपयों का उनके पति के बिना कोई मोल नहीं है। उम्मीद की किरण बच्ची है, जिसके साथ वह अपनी आगे की जिंदगी को जीने की कोशिश करेंगी। वहीं बूढ़े माता-पिता भी रह-रहकर बेटे को याद करते रहते हैं।