बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर JNU में बवाल

Uproar in JNU over controversial BBC documentary
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नई दिल्ली। BBC Documentary Row: जेएनयू प्रशासन की सख्त चेतावनी के बावजूद वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों ने छात्र संघ कार्यालय पर एकत्र होकर 2002 के गुजरात दंगों पर बनी ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ नामक बीबीसी की डाक्यूमेंट्री देखी। छात्र प्रोजेक्टर पर डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग न कर सकें, इसके लिए जेएनयू प्रशासन ने कार्यालय के आसपास की बिजली कटवा दी और जैमर लगवाकर इंटरनेट सेवाएं बाधित करा दी। इसके बावजूद वहां मौजूद छात्रों ने फोन व लैपटाप में पहले से डाउनलोड डाक्यूमेंट्री सामूहिक तौर पर देखी।

वहीं, कुछ छात्रों ने परिसर के बाहर मोबाइल फोन पर डाक्यूमेंट्री को देखा। छात्रसंघ मंगलवार रात नौ बजे अपने कार्यालय में स्क्रीनिंग करना चाह रहा था, पर सोमवार को ही जेएनयू प्रशासन ने रोक लगा दी थी। 10 प्वाइंट्स में जानें पूरा मामला।

1- जेएनयू प्रशासन की सख्त चेतावनी के बावजूद भी जेएनयू छात्र संघ कार्यालय पर इकट्ठे होकर वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों ने 2002 के गुजरात दंगों पर बनी इंडिया द मोदी क्वेश्चन नामक बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को देखा।

2- छात्र डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग छात्र संघ कार्यालय में लगे प्रोजेक्टर पर ना कर सकें इसके लिए जेएनयू प्रशासन ने कार्यालय के आसपास की बिजली भी कटवा दी थी। इसके साथ ही वहां जैमर लगवा कर इंटरनेट सेवाएं भी बाधित करा दी थी। इसके बावजूद वहां मौजूद वामपंथी छात्रों ने अपने फोन और लैपटॉप में पहले से डाउनलोड की गई डॉक्यूमेंट्री को सामूहिक रूप से देखा।

3- वहीं, कुछ छात्रों ने जेएनयू परिसर से बाहर निकलकर भी मोबाइल का इंटरनेट चला कर डॉक्यूमेंट्री को डाउनलोड किया। उल्लेखनीय है कि जेएनयू छात्रसंघ की योजना मंगलवार रात नौ बजे इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग अपने कार्यालय में करने की थी।

4- सोमवार को जेएनयू प्रशासन ने स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद छात्र डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर आड़े रहे। रात नौ बजे स्क्रीनिंग के समय पर छात्र छात्रसंघ कार्यालय पर स्क्रीनिंग के लिए जमा हुए। मगर स्क्रीनिंग दिखाने की योजना पर पानी फिर गया, क्योंकि छात्र संघ कार्यालय के आसपास बिजली काट दी गई थी। छात्रों ने प्रशासन की अस्वीकृति के बावजूद इसे आगे बढ़ाने की योजना बनाई थी। जब बिजली चली गई तो एकत्र हुए छात्रों ने इसे मोबाइल और लैपटॉप पर साथ बैठ कर देखा।

5- इस दौरान मुख्य गेट के बाहर पुलिसकर्मी भी तैनात रहे। कुछ पुलिसकर्मी सदा वर्दी में भी परिसर के अंदर मौजूद रहे। मीडिया को भी गेट के बाहर ही रोक दिया गया था। उल्लेखनीय है कि वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया (एसएफआई) की केंद्रीय कार्य समिति ने अपनी सभी राज्य इकाइयों को इस डोक्यूमंट्री की स्क्रीनिंग कराने का निर्देश दिया था।

6- जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष ने एसएफआई की दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष होने के चलते केंद्रीय कार्य समिति के निर्देश पर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया था और स्क्रीनिंग को लेकर इंटरनेट मीडिया पर पोस्टर और परिसर में पैम्फलेट भी बांटे गए थे।

7- इस पर संज्ञान लेते हुए जेएनयू प्रशासन ने एडवाइजरी जारी कर कार्यक्रम रद करने की सलाह दी थी और ऐसा न करने पर स्क्रेनिंग में शामिल होने वाले छात्रों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी थी।

8- इस एडवाइजरी का जवाब देते हुए जेएनयू छात्र संघ ने प्रशासन से ही सवाल पूछे थे कि जेएनयू एक्ट में ऐसा कहीं नहीं लिखा हुआ कि यहां किसी फिल्म या डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं हो सकती। विद्यार्थी परिषद ने स्क्रीनिंग की निंदा करते हुए भारत की छवि को खराब करने के लिए वामपंथी छात्र संगठनों पर बीबीसी का साथ देने की बात कही।

9- डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों ने आरोप लगाया कि उन पर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने पत्थर फेंके। हालांकि, विद्यार्थी परिषद ने इससे इनकार किया है।

10- खबर लिखे जाने तक पुलिस भी पत्थरबाजी को लेकर छात्रों से पूछताछ करने में जुटी थी। इस दौरान किसी भी छात्र की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर गिरफ्तारी नहीं हुई थी और ना ही पत्थर लगने से कोई चोटिल हुआ था। जेएनयू छात्र संघ के नेतृत्व में वामपंथी छात्र पत्थरबाजी की एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन की ओर पैदल मार्च कर रहे थे।

सुरक्षा की मांग को लेकर वसंत कुंज थाने के लिए किया मार्च
देर रात जेएनयू छात्रों ने अपनी सुरक्षा को लेकर वसंत कुंज थाने में शिकायत देने के लिए मार्च किया। आइसा जेएनयू इकाई अध्यक्ष कासिम ने बताया कि जब स्क्रीनिंग चल रही थी तो हम पर पथराव हुआ। हम लोग शांतिपूर्वक मार्च करते हुए मैन गेट तक आए।