मुजफ्फरनगर के मौलाना के काले कारनामों का खुलासा, घिनौनी सच्चाई से हर कोई चौंका

इस खबर को शेयर करें

मेरठ। मौलाना कलीम सिद्दीकी की धर्मांतरण प्रकरण में गिरफ्तारी की जानकारी मिलने के बाद से फुलत गांव के ग्रामीण सकते हैं। मदरसा प्रबंधन ने भी खामोशी अख्तियार कर ली है। एलआईयू ने मामले की पड़ताल के लिए फुलत में डेरा डाल दिया है।

गांव फुलत निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी का इस्लामिक विद्वानों में बड़ा नाम है। ग्रामीण बताते हैं कि वर्ष 2006 में मौलाना सिद्दीकी ने परिवार सहित दिल्ली के शाहीन बाग जाकर रहना शुरू किया, इसके बाद से अचानक मदरसे का विस्तार शुरू हुआ। यहां होने वाले आयोजनों में पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और डॉ. अनंत भागवत सहित कई प्रमुख हस्तियां भी शामिल हो चुकी हैं। मदरसे में देश-विदेश से भी लोग आने शुरू हुए, लेकिन मौलाना कलीम सिद्दीकी के प्रभाव के चलते स्थानीय ग्रामीण मदरसे में होने वाले कार्यक्रमों की अनदेखी करते रहे।

लोदी कालीन है फुलत का प्राचीन मदरसा
रतनपुरी क्षेत्र के गांव फुलत में स्थापित प्राचीन मदरसा फैजुल इस्लाम लोदीकाल का बताया जाता है। सिकंदर लोदी के समयकाल में उनके धर्मगुरु माने जाने वाले मुल्ला यूसुफ नासिही फुलत आए, जिन्होंने एक पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। बाद में इसे मदरसा फैजुल इस्लाम की शक्ल दी गई, जिससे वर्ष 1987 में फुलत निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी देखभाल करने के नाते जुड़े। उन्होंने प्राचीन ऐतिहासिक मदरसे के पास ही अपना खुद का नया मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया की शुरुआत की थी।

मदरसे में ही है मस्जिद और मेहमानखाना, लगातार होते रहे हैं आयोजन
गांव फुलत निवासी मोहम्मद अमीन के चार बेटों में तीसरे नंबर के मौलाना कलीम सिद्दीकी वर्ष 1987 में गांव स्थित पुराने ऐतिहासिक मदरसे फैजुल इस्लाम से जुड़े थे। इसके बाद वर्ष 1993 में उन्होंने इस मदरसे के पास ही अपना मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया शुरू किया। प्रदेश के अलावा कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार व झारखंड से भी सैंकड़ों छात्र पढ़ने आते हैं। यहां होने वाले आयोजनों और मेहमानों के खाने का इंतजाम मौलाना सलमान और शैक्षिक प्रबंधन मौलाना वसी करते हैं। प्रशासनिक मामलों के लिए मोहतमिम मोहम्मद ताहिर नियुक्त किए गए हैं। मदरसे में कक्षा-एक से कक्षा-आठ तक सरकारी कोर्स के हिसाब से पढ़ाई कराई जाती है। इसके बाद मौलवियत और कुराने-हिफ्ज की भी पढ़ाई होती है।

मौलाना कलीम सिद्दीकी के परिवार में पत्नी मुनीरा बेगम के साथ ही दो बेटे अहमद सिद्दीकी व असजद सिद्दीकी और दो बेटियां असमां व मसमां शामिल हैं। बड़ा बेटा अहमद सिद्दीकी गांव फुलत में ही रहकर पशुओं की दूध डेयरी चलाता है, जबकि वर्ष 2006 में परिवार दिल्ली के शाहीन बाग चला गया था और तभी से सभी लोग वहीं रहते हैं। मौलाना कलीम सिद्दीकी व छोटा बेटा असजद सिद्दीकी मदरसे की देख-रेख के लिए फुलत आते-जाते रहते हैं।

जुलाई माह में नैनीताल (उत्तराखंड) निवासी नितिन पंत ने सहारनपुर में बालाजी घाट पर शरण ली थी और धर्मांतरण के तार फुलत के मदरसे से जुड़े होने की बात कही थी। तब नितिन पंत ने बताया कि था कि वर्ष 2010 में वह नौकरी की तलाश में राजस्थान के भिवाड़ी गया था। वहां दूसरे वर्ग के कुछ लोग उसे मेवात ले गए, जहां धमकी देकर उसका धर्मांतरण करा दिया। उसकी शादी कराने की बात कही थी, साथ ही हिंदू समाज की लड़कियों का भी धर्म परिवर्तन करवाने का दबाव बनाया था, उसने यह भी खुलासा किया था कि उसको मुजफ्फरनगर के फुलत भी ले जाया गया था, जहां उसे इस्लामी तौर तरीके सिखाए गए थे। इसके बाद सहारनपुर में कोटा गांव के निकट मदरसे में रखा गया, जहां से किसी प्रकार से निकल आया था। मामले में निपुण भारद्वाज और बालाजी घाट के संचालक अतुल तुली ने नितिन पंत का शुद्धिकरण कराकर उसे हिंदू धर्म में वापसी कराई जाएगी।

मौलाना कलीम सिद्दीकी का मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया सात वर्ष पहले भी सुर्खियो में आया था। तब भी मामला धर्मांतरण था। मेरठ और मुजफ्फरनगर पुलिस ने मदरसे में सर्च अभियान चलाया था। बाद में युवती के अचानक घर पहुंचने पर परिजनों ने किसी प्रकार की कोई कार्रवाई से इनकार कर दिया था।

सात वर्ष पहले अगस्त 2014 को मेरठ क्षेत्र की एक युवती लापता हो गई थी। जिसकी तलाश में पुलिस जुटी थी। इसी बीच आठ अगस्त 2014 को लापता युवती की एक सहेली ने डायल 100 को एक सूचना देकर दी थी कि उसकी सहेली को नौकरी देने के बहाने बुलाकर उसका धर्म परिवर्तन करा दिया है और उसे फुलत के जामिया इमाम वली उल्लाह इस्लामिया मदरसे में बंधक बनाकर रखा गया है। सामूहिक दुष्कर्म का भी आरोप लगाया गया था। पुलिस जांच में सामने आया था कि धर्मांतरण के आरोपी का बेटा मदरसे का ही छात्र है। सहेली ने पुलिस को जिस फोन से सूचना दी थी, उसी से फुलत मदरसे के एक शिक्षक ने भी फोन किया था। पुलिस ने शिक्षक को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। शिक्षक से मोबाइल और सिम कार्ड बरामद किया था।

बताया गया कि तत्कालीन आईजी आलोक कुमार के निर्देश पर मेरठ और मुजफ्फरनगर पुलिस ने मदरसे में सर्च अभियान में चलाया था। शिक्षक के पकड़े जाने पर मदरसा संचालक मौलाना कलीम सिद्दीकी ने शिक्षक का मदरसे कोई संबंध नहीं होने की बात कही थी।

डॉक्टर नहीं बने, कलीम ने इस्लामिक शिक्षा को चुना
मौलाना कलीम की प्राथमिक शिक्षा फुलत के एक मदरसे में हुई। इसके बाद पिकेट इंटर कॉलेज खतौली से विज्ञान में इंटरमीडिएट किया। इसके बाद उन्होंने मेरठ कॉलेज मेरठ से बीएससी किया। मेडिकल सेक्टर में कॅरियर बनाने का उद्देश्य लेकर सीपीएमटी प्रवेश परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। इसमें उनकी 57वीं रैंक आई थी। इस्लामी साहित्यकारों से प्रभावित होने और इस्लामी लोगों के साथ अच्छे संबंध होने के कारण मौलाना कलीम ने एमबीबीएस करने के बजाय प्रसिद्घ इस्लामी संस्थान दारुल उलूम नदवतुल उलमा, लखनऊ में दाखिला लिया और इस्लामिक शिक्षा को चुना था।