समाधि में गए संत के लौटने का इंतजार… 9 साल से फ्रीजर में शरीर, शिष्य बोले- आएंगे महाराज

Waiting for the return of the saint who went to the mausoleum… Body in freezer for 9 years, disciple said – Maharaj will come
Waiting for the return of the saint who went to the mausoleum… Body in freezer for 9 years, disciple said – Maharaj will come
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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक संत आशुतोष महाराज की समाधि का रहस्य आज नौ साल बाद भी बरकरार है. उनके शिष्यों को उम्मीद है कि महाराज अपने उसी शरीर में वापस लौटेंगे. कुछ शिष्यों का दावा है कि आशुतोष महाराज ने खुद अपने वापस लौटने की बात कही थी. इसलिए आज भी आशुतोष महाराज का शव जालंधर के नूर महल में सुरक्षित रखा गया है. शव को खराब होने से बचाने के लिए इसे शव डीप फ्रिजर में रखा गया है. वहीं बाहर से सुरक्षा के लिए सेवादारों के अलावा पंजाब पुलिस की भारी भरकम टुकड़ी तैनात है.

बता दें कि सांस लेने में तकलीफ की वजह से आशुतोष महाराज ने 28 जनवरी 2014 को शरीर छोड़ दिया था. मेडिकल रिपोर्ट में उनकी मौत की पुष्टि हो गई, लेकिन शिष्यों ने इसे ब्रह्मज्ञान की साधना बताते हुए दावा किया कि आशुतोष महाराज अंतर्ध्यान हुए हैं. इसलिए शव का अंतिम संस्कार भी नहीं होने दिया गया और फिर कोर्ट के आदेश पर शव को जालंधर के नूर महल में ही सुरक्षित रख दिया गया. इसके बाद उनकी संपत्ति को लेकर भी काफी विवाद हुआ. एक व्यक्ति ने उनके पुत्र होने का दावा करते हुए संपत्ति में अपना हिस्सा भी मांग लिया था. हालांकि कोर्ट में उसका दावा खारिज हो गया था.

जन्म स्थान को लेकर हैं कई मत
आशुतोष महाराज के जन्म को लेकर काफी विवाद है. ज्यादातर शिष्यों का दावा है कि आशुतोष महाराज का बिहार से गहरा नाता रहा है. 28 जनवरी 2014 की रात जब आशुतोष महाराज ने देह त्याग किया तो दस दिन बाद 7 फरवरी 2014 को बिहार के रहने वाले एक युवक ने उनका बेटा होने का दावा किया. युवक दिलीप झा ने इस संबंध में हरियाणा और पंजाब कोर्ट में याचिका दायर की और आशुतोष महाराज उर्फ मुहेश झा को अपना पिता बताते कहा कि उनका जन्म मधुबनी के लखनौर गांव में हुआ था. उसके दावे के मुताबिक साल 1970 में वह एक महीने का था, उसी समय उसके पिता गांव छोड़कर दिल्ली आ गए. दिलीप ने पिता के अंतिम संस्कार की अनुमति के साथ उनकी एक हजार करोड़ की संपत्ति में हिस्से की भी मांग की थी. आशुतोष महाराज के अधिकतर शिष्य भी उनका जन्मस्थान मिथिलांचल ही मानते हैं, लेकिन साथ में यह भी कहते हैं कि इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं है.

क्या लौटेंगे आशुतोष महाराज?
28 जनवरी 2014 की रात सांस की तकलीफ के बाद आशुतोष महाराज ने देह त्याग किया था. हालांकि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने यह बात 24 घंटे बाद दुनिया को बताया. चूंकि विवाद मौत के साथ ही शुरू हो गया था, इसलिए 3 डॉक्टरों के पैनल ने शव की जांच की और 31 जनवरी 2014 को उन्हें मृत घोषित किया. डॉक्टरों के इस दावे का शिष्यों ने विरोध किया और कोर्ट चले गए. दावा किया महाराज ने गहन समाधि ली है. वह पहले भी कई बार कई कई दिनों तक समाधि में जा चुके हैं. शिष्यों का दावा था कि महाराज ने खुद लौट कर आने का भरोसा दिया था. वह इसी शरीर में वापस आएंगे. कहा जाता है कि समाधि में जाने के 60 घंटे बाद तक इंतजार के बाद कुछ शिष्यों ने उनके अंतिम संस्कार की योजना बनाई, लेकिन कोर्ट ने शव की सुरक्षा करने के आदेश दे दिए. तब से यह शव जालंधर के नूरमहल में डीप फ्रिजर में शव को रखा गया है.

जलते पंजाब में शांति के लिए पहुंचे थे जालंधर
पूरा पंजाब आतंकवाद की आग में जल रहा था. उस समय आशुतोष महाराज ने विश्च शांति कायम करने के लिए उन्होंने पंजाब को अपना कर्मभूमि बना लिया. उनके शिष्यों का कहना है कि आशुतोष महाराज मानते थे कि कोई गुरु पूर्ण नहीं है. हालांकि वह अच्छे और सिद्ध गुरु की तलाश में जीवन भर भटकते रहे. कई बार उनका धर्मगुरुओं से शास्त्रार्थ भी हुआ. दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के प्रचारक स्वामी कपिलदेवानंद के मुताबिक बिहार और झारखंड में उनका काफी प्रभाव था. इसके चलते यहां से लाखों भक्तों ने ब्रह्मज्ञान पर आधारित ज्ञान पर दीक्षा ली है. उन्होंने बताया कि आशुतोष महाराज आतंकियों की हिट लिस्ट में थे. इसलिए उन्हें जेड प्लस सुरक्षा मिली थी. यह सुरक्षा 2014 में उनके देह त्याग के बाद भी काफी समय तक जारी रही.

एक हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति
आशुतोष महाराज की संपत्तियों का कहीं भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि महाराज के पास एक हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति है. इस संबंध में एक मुकदमा कोर्ट में दाखिल हुआ था. यह मुकदमा एक सेवादार मोहिंदर सिंह ने दाखिल किया था. इसमें कुल संपत्ति की कीमत एक हजार करोड़ बताई थी. इसमें 300 करोड़ रुपए की संपत्ति संस्थान में ही मौजूद होने की बात कही थी. बिहार के युवक दिलीप ने भी उनकी संपत्ति एक हजार करोड़ रुपए बताते हुए इसमें हिस्सा मांगा था. कहा जाता है कि आशुतोष महाराज के मृत शरीर को फ्रीजर में रखने के पीछे भी यह संपत्ति का विवाद ही है.

शव की सुरक्षा में हर साल करोड़ों का खर्च
नूरमहल आश्रम में कड़ी सुरक्षा में आशुतोष महाराज के शव को डीप फ्रीजर में रखा गया है. जिस कक्ष में यह फ्रीजर रखा है, वहां की सुरक्षा सेवादार करते हैं. इसके लिए उनकी रोटेशन में 24 घंटे की ड्यूटी लगती है. यहां आम लोगों को आने की अनुमति नहीं है. इसके बाहर की सुरक्षा पंजाब पुलिस के पास है. यहां पुलिस के जवानों का भी कड़ा सुरक्षा घेरा है. इसी प्रकार नूरमहल-नाकोदर मार्ग पर पुलिस का एक चेक पोस्ट भी बनाया गया है. दावा किया जा रहा है कि इन इंतजामों पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते हैं.