हरियाणा में बदला मौसम का अंदाज, बूंदाबादी के साथ कई जगहों पर हुई ओलावृष्टि, जानें ताजा अपडेट

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हरियाणा में 22 फरवरी को ज्यादातर क्षेत्रों में बादलवाई व तेज हवाएं चल रही हैं। वहीं उत्तरी हरियाणा में कहीं कहीं बूंदाबांदी व हल्की बारिश भी पूर्व में दर्ज की गई। तब से प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव लगातार देखने को मिल सकते है । शुक्रवार को एक और पश्चिमी विक्षोभ आया। इसके साथ ही पंजाब के ऊपर बनने वाले एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन से हरियाणा राज्य के उत्तर पश्चिम व दक्षिण क्षेत्रों में बारिश व ओलावृष्टि देखने काे मिली।

अब 26 फरवरी को हवाओं व गरज चमक के साथ कहीं-कहीं छिटपुट बूंदाबांदी या हल्की बारिश होने की संभावना है। इसके बाद एक और पाश्चिमी विक्षोभ का आंशिक प्रभाव 28 फरवरी के बाद भी राज्य में संभावित है। इस दौरान इन मौसमी सिस्टमों के प्रभाव से दिन के तापमान में हल्की गिरावट परन्तु रात्रि तापमान सामान्य के आसपास ही बने रहने की संभावना है।

प्रदेश में दोपहर तक गर्मी का माहौल बना हुआ था मगर सायं को बारिश ने मौसम को बदल दिया। कुछ क्षेत्रों में बारिश हुई तो वहीं भिवानी और चरखी दादरी में ओलावृष्टि होने से जनजीवन तो अस्त व्यस्त हुआ साथ ही फसलों को भी नुकसान हुआ है। सरसों, गेहूं और चना में सर्वाधिक नुकसान हुआ है। सरसों की फूल तैयार था तो वहां ओले गिरने से फूल गिरकर खेतों में बिछ गया। इसी बार गेहूं में भी बालियां पककर तैयार थी। इसके साथ ही चना की फसल पर भी गरज चमक का असर पड़ा है।
साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते मौसम में यह परिवर्तन आया

किसानों के लिए ओलावृष्टि ऐसे समय में आना काफी नुकसानदायक रहा है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के आने और साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते मौसम में यह परिवर्तन आया। मगर ओलावृष्टि का एक प्रमुख कारण कुमलोनिंबस क्लाउड है। शनिवार को भी यही स्थिति बनी रह सकती है। प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में बारिश होने के आसार हैं।

पश्चिमी विक्षोभ के आने से यह कुमलोनिंबस क्लाउड बनते हैं। यह धरती से अधिक दूर नहीं होते और पहाड़ की तरह दिखते हैं। इसमें कई परतें होती हैं। जैसे-जैसे तापमान कम होता है यह गरज चमक, ओलावृष्टि या बारिश करते हैं। इस बार इन बादलों ने कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि की है।