उत्‍तराखंड में होलिका दहन कब है? 6 या 7 मार्च को, दूर करें कन्‍फ्यूजन

When is Holika Dahan in Uttarakhand? On March 6 or 7, remove confusion
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देहरादून: होलिका दहन के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। विभिन्न सामाजिक संगठन कल सात मार्च को होलिका दहन करेंगे। इसके लिए मोहल्ले व चौक चौराहों पर होलिका सजाई गई है। आठ मार्च बुधवार को हर्षोल्लास के साथ रंगों का पर्व होली मनाई जाएगी। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर होली दहन किया जाता है। इसके लिए दून के विभिन्न सामाजिक संगठन मंगलवार को होलिका दहन करेंगे। कूर्मांचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिषद के अध्यक्ष कमल रजवार ने बताया कि इन दिनों मोहल्लों में जाकर खड़ी व बैठकी होली हो रही है।

बुधवार को खेली जाएगी होली
इसके अलावा क्षेत्र में हालिका दहन के लिए लोग लकड़ी एकत्र कर रहे हैं। मंगलवार सुबह पूजा के बाद रात को होली के गीतों के साथ होलिका दहन होगा। गढ़वाल सभा के महासचिव गजेंद्र भंडारी ने बताया कि सभा के सदस्य विभिन्न क्षेत्रों में सात को होलिका दहन करेंगे। बुधवार को होली खेली जाएगी।

श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर सेवादल के मंगलवार को होलिका दहन की जानकारी देते हुए सेवादार संजय गर्ग ने बताया कि लोग तैयारी में जुट गए हैं। सभी लोग मिलकर पूजा करेंगे। इस वजह से होता है होलिका दहन आचार्य डा. सुशांत राजन ने बताया कि होलिका दहन शरद ऋतु की समाप्ति व वसंत के आगमन पर किया जाता है।

इसके अलावा मान्यता है कि हिरण्यकश्यप ने बहन होलिका को आदेश दिया था कि वह प्रह़्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, लेकिन ईश्वर की भक्ति में लीन प्रह्लाद बच गए। ईश्वर भक्त प्रह़्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

इस तरह करें होली पूजन
होलिका दहन से पहले होली का पूजन किया जाता है।
पूजन सामग्री में एक लोटा गंगाजल लें यदि यह उपलब्ध न हो तो ताजा जल भी लिया जा सकता है।
रोली, माला, रंगीन अक्षत, धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कच्चे सूत धागा, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेहूं की बालियां, पके चने आदि शामिल करें।
पूजा सामग्री के साथ होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है।
होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर जो मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों से बनी चार मालाएं अलग से रख लें।
इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता और चौथी परिवार के नाम की रखी जाती है।
पूरी श्रद्धा से होलिका के चारों और परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत का धागा लपेटा जाता है।
तीन से सात बार होलिका की परिक्रमा करें।
शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित करें।
होली का पूजन कर जल से अर्ध्य दें और दहन के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, सतनाज, चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दें।
सतनाज में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, चावल जौ और मसूर शामिल की जा सकती है।
दुकानों में उमड़ी भीड़, दुकानदारों के खिले चेहरे
होली की तैयारी को लेकर राजधानी के बाजारों में रविवार को खरीदारों की भीड़ रही। सुबह से ही हनुमान चौक, पलटन बाजार, करनपुर बाजार, चकराता रोड, धर्मपुर, पटेलनगर, प्रेमनगर आदि क्षेत्रों की दुकानों में होली के कपड़े, खाद्य सामग्री, मिष्ठान, रंग, पानी के गुब्बारे, पिचकारी आदि की खरीदारी हुई। इसके अलावा गुजिया, पापड़ चिप्स, रेडीमेड दहीबड़ा पाउडर, पनीर, दही की भी खूब खरीदारी हुई।