यूपी पर कौन होगा अगला डीजीपी, यह नाम आए रेस में

Who will be the next DGP on UP, this name will come in the race
Who will be the next DGP on UP, this name will come in the race
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लखनऊ। next DGP of UP डीजीपी मुकुल गोयल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी भारी पड़ी है। शासकीय कार्यों की अवहेलना, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने के आरोपों में उन्हें डीजीपी के पद से हटा दिया गया है। मुकुल गोयल को नागरिक सुरक्षा के डीजी के पद पर तैनाती दी गई है। ‌

2014 में खत्म हो रहा था कार्यकाल
मुकुल गोयल का सेवाकाल फरवरी 2024 तक है वहीं शासन की इस कार्यवाही के पीछे हाल के दिनों की घटनाएं बड़ी वजह मानी जा रही है। शासन ने एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार को फिलहाल डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। गोयल को पिछले साल 1 जुलाई को तत्कालीन डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी की सेवानिवृत्ति के बाद डीजीपी बनाया गया था। गोयल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे थे। शुरू से ही उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। लखनऊ में एक इंस्पेक्टर को हटाए जाने को गोयल ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था। लेकिन वह इंस्पेक्टर को नहीं हटवा पाए थे। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा था मुख्यमंत्री योगी ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए वीडियो कांफ्रेंस तक में कहा था कि जिलों के थानेदारों की तैनाती के लिए मुख्यालय स्तर से दबाव न बनाया जाए। उसके बाद मुख्यमंत्री ने कई महत्वपूर्ण बैठकों में डीजीपी गोयल को नहीं बुलाया।
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कौन होगा अगला डीजीपी
वरिष्ठता के आधार पर 1987 बैच के आईपीएस अफसर आरपी सिंह सबसे वरिष्ठ डीजी हैं मौजूदा समय में प्रशिक्षण निदेशालय में है। दूसरे नंबर पर 1987 बैच के ही सीबीसीआईडी में डीजे सीएल मीना है। तीसरे पर 1988 बैच के डीजी भर्ती बोर्ड राजकुमार विश्वकर्मा चौथे पर है। 1988 बैच के डीजी इंटेलिजेंस देवेंद्र सिंह चौहान और पांचवें पर 1988 बैच के डीजी जेल आनंद कुमार है। इनमें देवेंद्र सिंह चौहान बीजेपी की रेस में सबसे आगे हैं उनकी गिनती मुख्यमंत्री के भरोसेमंद अफसरों में होती है पर अभी केंद्र के पैनल मांगा जाता है तो उनमें चौहान का नाम शामिल होना मुश्किल है क्योंकि चौहान का नंबर क्रम में चौथे नंबर पर हैं लेकिन पैनल अधिक जुलाई के बाद मांगा जाता है तो उसमें चौहान का नाम शामिल हो सकता है। क्योंकि, तब जीवन मिला का सेवाकाल 6 माह से कम रह जाएगा और यूपीएससी के नियमों के तहत 6 माह से कम कार्यकाल वाले को पैनल में शामिल नहीं किया जा सकता।