गंगा समेत दूसरी नदियों के किनारों पर शवों को दफनाने पर लगाई गई पाबंदी का दिखा असर, पढ़ें खबर 

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प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में गंगा समेत दूसरी नदियों के किनारों पर शवों को दफनाने पर लगाई गई पाबंदी का पहले ही दिन जबरदस्त असर देखने को मिला है. प्रशासन की सख्ती और मुस्तैदी के चलते ज्यादातर घाटों पर मंगलवार को किसी भी शव को नहीं दफनाया गया. आज पहले दिन मजिस्ट्रेट की अगुवाई में पुलिस प्रशासन और राजस्व की टीमें लगातार घाटों का गश्त करती रहीं. जो लोग शवों को दफनाने के लिए आए, उन्हें समझा-बुझाकर दाह संस्कार के लिए तैयार किया गया. हालांकि, कुछ जगहों पर लोगों ने कुछ एतराज जरूर जताया, लेकिन बाद में उन्हें अपना फैसला बदलना ही पड़ा.

मुस्तैद नजर आईं सरकारी टीमें
प्रयागराज में शहर से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित श्रृंगवेरपुर घाट पर इलाके के एसडीएम अनिल कुमार चतुर्वेदी पुलिस और दूसरी विभागों की टीम के साथ घंटों गश्त करते दिखाई दिए. उनका कहना था लोगों को समझा-बुझाकर तैयार किया जा रहा है, लेकिन बाद में अगर किसी ने चोरी-छिपे शवों को नदियों के किनारे दफनाया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी. श्रृंगवेरपुर के साथ ही फाफामऊ, अरैल और छतनाग घाट पर भी सरकारी टीमें मुस्तैद नजर आईं.

बड़ी संख्या में शवों को दफनाया गया था
गौरतलब है कि, आर्थिक तंगी और दूसरी वजह से प्रयागराज में पिछले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में शवों को गंगा और दूसरी नदियों के किनारे दफना दिया गया था. कई जगहों पर तो घाट कब्रिस्तान में तब्दील हुए नजर आ रहे थे. एबीपी चैनल पर प्रमुखता से खबर दिखाए जाने के बाद प्रयागराज का सरकारी अमला हरकत में आया था और उसने नदियों के किनारे शवों को दफनाए जाने पर पाबंदी लगाए जाने का एलान किया था. आशंका ये जताई जा रही थी कि महीने भर बाद नदियों का जलस्तर जब बढ़ेगा तब सैकड़ों की संख्या में शव नदियों में बहते हुए नजर आ सकते हैं.

पहले दिन ही दिखा असर
अंतिम संस्कार कराने वाले पुरोहितों और दूसरे लोगों के मुताबिक कोरोना काल में रोजगार और आमदनी घटने के साथ ही दाह संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी और दूसरे सामानों के दाम बढ़कर तकरीबन दोगुने हो जाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों ने नदियों के किनारे शवों को दफना दिया. सरकारी अमला पहले दिन भले ही मुस्तैद नजर आया हो लेकिन उसके सामने आने वाले दिन भी चुनौती भरे ही होंगे.