बिहार में शिक्षकों को बड़ा ‘झटका’, रिटायरमेंट के बाद नहीं मिलेगा ‘आर्थिक लाभ’; जानें पूरा मामला

Big 'shock' to teachers in Bihar, they will not get 'economic benefits' after retirement; Know the whole matter
Big 'shock' to teachers in Bihar, they will not get 'economic benefits' after retirement; Know the whole matter
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सीतामढ़ी: बिहार के बहुत सारे शिक्षक और कर्मियों को सरकार की ओर से जोरदार ‘झटका’ लगा है। यानी इन्हें सेवा से रिटायर होने के बाद राज्य सरकार से कोई आर्थिक लाभ नहीं मिल पाएगा। सरकारी भाषा में कहे, तो इन्हें सेवांत लाभ देय नहीं होगा। हाईकोर्ट के एक फैसले के आलोक में एक वाद की सुनवाई के बाद शिक्षा विभाग ने जो फैसला सुनाया है, वह सूबे के सैकड़ों शिक्षक और कर्मियों को निराश करने वाला है। क्या है सेवांत लाभ नही देने का पूरा मामला, जानें डिटेल में।

सरकार ने संकल्प में किया सुधार
बिहार राज्य मदरसा संघ ने हाईकोर्ट में एक वाद दायर किया था, जिसमें 12 फरवरी 2024 को फैसला आया था। फैसले के आलोक में मोहिबुल हक और शोभा कांत झा ने संयुक्त रूप से शिक्षा विभाग को आवेदन दिया था, जिसकी सुनवाई एसीएस केके पाठक ने चार मार्च 23 को की थी। सुनवाई के दौरान दोनों वादी ने दावा किया कि विभागीय संकल्प संख्या- 237 के द्वारा गैर सरकारी संस्कृत स्कूल-मदरसा के शिक्षक और कर्मियों को भी वेतन के अतिरिक्त वे सुविधाएं प्रदान की गई थी, जो सरकारी विद्यालयों को उपलब्ध है। सुनवाई में दावे को माना गया, पर यह भी स्पष्ट किया गया कि सरकार ने आठ नवंबर 1990 को संकल्प में सुधार कर राज्य के मान्यता प्राप्त गैर सरकारी अल्पसंख्यक प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक और कर्मियों को ही वेतन समेत अन्य लाभ देने का निर्णय लिया गया था।

अराजकीय मदरसा और संस्कृत स्कूल निजी
सुनवाई के दौरान बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कहा कि अराजकीय मान्यता प्राप्त संस्कृत विद्यालय और मदरसा निजी विद्यालय की श्रेणी में आते हैं, जिसका संचालन, नियुक्ति, पदोन्नति और अनुशासनिक विद्यालय की प्रबंधकारिणी समिति करती है। यह समिति जो निर्णय लेती है, उसका अनुमोदन संस्कृत शिक्षा बोर्ड और मदरसा बोर्ड के स्तर से किए जाने का प्रावधान है। राज्य सरकार सिर्फ वैसे संस्कृत विद्यालय और मदरसा को वेतन और अनुदान प्रदान करती है, जिसमें शिक्षक और कर्मियों की नियुक्ति मानक के अनुरूप होती है और वे सभी मानकों और शर्तों को पूरा करते हैं।

सेवांत लाभ के भुगतान से इनकार
सुनवाई के क्रम में एसीएस केके पाठक ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में अराजकीय प्रस्विकृत मदरसा और संस्कृत विद्यालय के शिक्षक और कर्मियों को सेवांत लाभ के भुगतान की अनुमति देने से इनकार किया गया था। सुनवाई के बाद जारी आदेश में केके पाठक ने कहा है कि विभागीय संकल्प संख्या- 237, दिनांक -07/03/2019 के द्वारा राजकीय प्रस्विकृत 1128 मदरसा और 531 संस्कृत विद्यालयों के कर्मियों को षष्टम पुनरीक्षित वेतनमान में वेतन और राज्य सरकार द्वारा महंगाई भत्ता ही देय था। इसके आलावा कोई अन्य लाभ देय नहीं था।

सरकारी कर्मी की तरह सेवा नहीं
समीक्षा/सुनवाई के दौरान एसीएस केके पाठक ने कहा कि अराजकीय संस्कृत विद्यालय और मदरसा पूर्णत: निजी है। सभी शर्तों को पूरा करने वालों को ही राज्य सरकार अनुदान देने का विचार रखती है, जबकि अल्पसंख्यक विद्यालय संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत संचालित किए जाते हैं। संस्कृत विद्यालय/मदरसा को इसके समरूप नहीं माना जा सकता। इन कर्मियों की स्थिति सरकारी कर्मियों की तरह नहीं है। हाईकोर्ट के फैसले के आलोक में ऐसे संस्कृत विद्यालय और मदरसा के कर्मियों को सेवानिवृति के लाभों का भुगतान नहीं किया जा सकता है।