हरियाणा पंचायत चुनाव में बकाया से कई उम्मीदवारों के बिगड़े समीकरण, कर्जा पिता का असमर्थ बेटा

Due to dues in Haryana Panchayat elections, equations of many candidates deteriorated, unable son of Karja father
Due to dues in Haryana Panchayat elections, equations of many candidates deteriorated, unable son of Karja father
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कुरुक्षेत्र। हरियाणा में पंचायत चुनाव के लिए जाने वाले नो ड्यूज ने काफी भावी उम्मीदवारों के फ्यूज उड़ाए हुए हैं। परिवार के बकाया को लेकर संभावित उम्मीदवारों का तानाबाना ही उलझ गया है। अब इससे निपटाने के लिए परिवारों के बीच पंचायतों का दौर चल रहा है। काफी तो कानून विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं।

इन विभागों से लेना पड़ता है नो ड्यूज
पंचायत चुनाव यानी जिला परिषद, पंचायत समिति, सरपंच और पंच के लिए चुनावी समर में डटने से पहले संबंधित उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करने से पहले विभागों से नो ड्यूज लेनी आवश्यक है। विभाग लिखित में देगा कि संबंधित व्यक्ति की ओर किसी प्रकार का बकाया नहीं है। ऐसे संभावित उम्मीदवार काफी हैं जो कि कई साल से परिवार से अलग रह रहे हैं, मगर परिवार की ओर कई विभागों का बकाया खड़ा है।

इसमें बिजली निगम, सहकारी बैंक, केंद्रीय बैंक, मौरगेज बैंक के केस अधिक हैं। विभाग तभी नो ड्यूज दे रहे हैं जब उम्मीदवार व उसके पिता तथा महिला के मामले में पति व ससुर की ओर किसी प्रकार का बकाया ना हो। पति व उसके पिता की ओर पिछले बकाये को लेकर गांव दर गांव माहौल गर्माया हुआ है। विभागों में गहमागहमी का आलम है।

चुनाव से पहले ही परिवारों में खटास घुल रही है। काफी जगहों पर तो चुनावी खिचड़ी में ही अधिक नमक डल गया है। जहां बकाया का बोझ अधिक है, वहां मामला अधिक उलझा हुआ है। हालांकि लोग विभागों के पास पहुंच कर तर्क वितर्क दे रहे हैं। मगर सहकारी बैंक व बिजली अधिकारियों का कहना है कि जब तक बकाया है तब तक नो ड्यूज नहीं दिया जा सकता है। कुल मिलाकर चुनावी रस काफी गांवों में कड़वाहट देने लगा है।

तीन भाईयो के बकाया का बोझ एक पर
बाप ने कर्ज लिया। वह पूरी तरह से चुकता नहीं किया। अब उसके तीन बेटों में से एक चुनाव लड़ना चाहता है। चुनाव लड़ने वाले को दूसरे भाई हिस्सा देने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अकेला कर्ज चुकता करने का बोझ उठाने में असमर्थ है। ऐसे कई मामले गांव दर गांव सामने आ रहे हैं। भाई-भाई के बीच तारतम्य ना होने से काफी के चुनावी समीकरण बनने से पहले ही बिगड़ने लगे हैं। ऐसे में नो ड्यूज ने ही काफी लोगों का खेल बिगाड़ा हुआ है।