मेरे पास आज तक घर नहीं है… कश्मीरियों के हाथों में तिरंगे का जिक्र कर प्रधानमंत्री पर बरसे राहुल गांधी

I don't have a house till date... Rahul Gandhi lashed out at the Prime Minister for mentioning the tricolor in the hands of Kashmiris
I don't have a house till date... Rahul Gandhi lashed out at the Prime Minister for mentioning the tricolor in the hands of Kashmiris
इस खबर को शेयर करें

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के रायपुर महाधिवेशन के आखिरी दिन आज राहुल गांधी काफी आक्रामक दिखे। उन्होंने पहले तो अपनी यात्रा के अनुभवों का जिक्र करते हुए लोगों की बातें बताईं। बाद में बड़ी संख्या में कश्मीरियों के तिरंगा लहराने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बरस पड़े। बोले कि प्रधानमंत्री कहते हैं मैंने भी लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। PM को फर्क समझ नहीं आया… नरेंद्र मोदी जी ने BJP के 15-20 लोगों के साथ लाल चौक पर तिरंगा फहराया। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने कश्मीर के लाखों युवाओं के हाथ से तिरंगा फहराया। उन्होंने कहा कि चार महीने कन्याकुमारी से कश्मीर तक मैंने यात्रा की। वीडियो में आपने मेरा चेहरा देखा लेकिन लाखों लोग चले थे। राहुल ने कहा कि जैसे ही हम किसानों, नौजवानों से हाथ मिलाते, गले लगते ट्रांसमिशन हो जाता था। शुरुआत में बोलते थे, पूछते थे क्या करते हो, क्या मुश्किलें हैं। ये एक महीना चला उसके बाद बोलने की जरूरत नहीं होती थी। जैसे ही हाथ पकड़ा। गले लगे। एक शब्द नहीं बोला जाता था मगर उनका दर्द, उनकी मेहनत थी, एक सेकंड में समझ में आ जाती थी। मैं जो उनसे कहना चाहता था वे समझ जाते थे।

राहुल ने बताया कि आपने केरल में बोट रेस देखी होगी। मैं जब बोट में बैठा था, पैर में भयंकर दर्द था। मैं उस फोटो में मुस्कुरा रहा हूं, लेकिन दिल में रोना आ रहा था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैं काफी फिट आदमी हूं। 10-12 किमी ऐसे ही दौड़ लेता हूं। घमंड था। मैंने सोचा था 10-12 किमी चल लेता हूं तो 20-25 किमी चलने में क्या बड़ी बात है। मेरे माइंड में ये था। पुरानी इंजरी थी। कॉलेज में फुटबॉल खेलते हुए चोट लगी थी। मैं दौड़ रहा था दोस्त ने पीछे से अड़ंगी मार दी और घुटने में चोट लगी।

राहुल बोले, ‘दर्द गायब था सालों के लिए और अचानक जैसे ही मैंने यात्रा शुरू की दर्द वापस आ गया। सुबह उठता था तो सोचता था कि कैसे चला जाए। 25 किमी नहीं 3500 किमी चलना है कैसे चलूंगा। फिर कंटेनर से उतरता था। चलना शुरू करता था। लोगों से मिलता। पहले 10-15 दिन में अहंकार या घमंड सारा गायब हो गया। क्यों गायब हुआ क्योंकि भारत माता ने मुझे मैसेज दिया। देखो तुम अगर निकले हो, अगर कन्याकुमारी से कश्मीर चलने निकले हो तो अपने दिल से अहंकार मिटाओ नहीं तो मत चलो। मुझे वो बात सुननी पड़ी।’

राहुल ने आगे बताया कि मैंने आगे नोटिस किया कि मेरी आवाज चुप होती गई। मैं सिर्फ सुनने लगा और जब मैं कश्मीर पहुंचा। वो भी अजीब सी बात थी। मैं बिल्कुल चुप हो गया था। थोड़ा रुककर राहुल ने कहा, ‘मां बैठी हैं… मैं छोटा सा था, 1977 की बात है। चुनाव आया। मुझे चुनाव के बारे में मालूम नहीं था। 6 साल का था मैं। एक दिन घर में अजीब सा माहौल था। मां के पास गया, मैंने पूछा कि मम्मी क्या हुआ। और मां कहती हैं कि हम घर छोड़ रहे हैं। तब तक मैं सोचता था कि वो घर हमारा था। मैंने मां से पूछा, मां हम अपने घर को क्यों छोड़ रहे हैं। पहली बार मां ने बताया कि राहुल ये हमारा घर नहीं है। सरकार का घर है। अब हमें यहां से जाना है। मैंने मां से पूछा, कहां जाना है। कहती हैं- नहीं मालूम। मैं हैरान हो गया। मैंने सोचा था कि वो हमारा घर था। 52 साल हो गए मेरे पास घर नहीं है। आज तक घर नहीं है और हमारे परिवार का जो घर है वो इलाहाबाद में है। वो भी हमारा घर नहीं है। तो जो घर होता है उसके साथ मेरा बड़ा अजीब सा रिश्ता है।’

राहुल ने कहा कि मैं 12 तुगलक लेन में रहता हूं लेकिन मेरे लिए वह घर नहीं है। जब मैं निकला कन्याकुमारी से, मैंने अपने आप से पूछा कि मेरी जिम्मेदारी क्या बनती है। मैं भारत का दर्शन करने, उसे समझने के लिए निकला हूं, हजारों-लाखों लोग चल रहे हैं। मेरी क्या जिम्मेदारी है? मैंने थोड़ी देर सोचा और एक आइडिया आया मैंने ऑफिस के लोगों से बुलाया और कहा कि देखिए यहां हजारों लोग चल रहे हैं। धक्का लगेगा, चोट लगेगी। हमें एक काम करना है। मेरे साइड में 20-25 फीट इधर-उधर खाली जगह रखिए जिसमें देश के लोग आएंगे। अगले 4-5 महीने के लिए ये हमारा घर है। मतलब अगले 3-4 महीने तक ये घर हमारे साथ चलेगा।

राहुल ने कहा कि मैंने यात्रा की अपनी टीम से कहा था कि इंसान हो या जानवर जो भी यहां आए उसे सड़क पर यात्रा के आगे वाली खाली जगह अपनी लगनी चाहिए। जिस दिन मैंने ये किया भारत जोड़ो यात्रा बदल गई। लोगों से मैंने क्या क्या सुना है। मैं बता भी नहीं सकता। महिलाओं ने क्या कहा है, मैं यहां बता नहीं सकता। युवा कितना बोझ उठा रहे हैं। बता-समझा नहीं सकता।

उन्होंने बताया कि एक दिन एक महिला ने हाथ हिलाया दूर से, मैंने उसे बुला लिया। मैंने हाथ पकड़ा, झट से पता चल गया कि कुछ न कुछ गलत है। जैसे मैं प्रियंका का हाथ पकड़ता हूं, वैसे ही उसका हाथ पकड़ा। अजीब सा लगा। वह कहती है, ‘भैया, मैं आपसे मिलने आई हूं।’ मैंने पूछा क्या बात है। उसने कहा कि मेरा पति मुझे पीट रहा है। मैंने पूछा कब- बोली अभी। मैं घर से भागी हूं। आपसे मिलने के लिए। मैंने कहा कि पुलिस को बुलाएं तो उसने कहा कि नहीं। बाद में बोली कि मैं फिर से पिटने जा रही हूं। बस मैं यह बताना चाहती थी कि क्या हो रहा है। यह महिला अकेली नहीं है। ऐसी लाखों-करोड़ों महिलाएं इस देश में हैं।

राहुल ने कहा कि कश्मीर में हम घुसते हैं तो बर्फ है, धूप है और हजारों लोग हमारे साथ चल रहे हैं। एक लड़का साथ में चलता है और कहता है कि राहुल जी एक सवाल पूछना चाहता हूं। राहुल जी जब कश्मीर के लोगों को दुख होता है, जब हमारे दिल में चोट लगती है तो बाकी हिंदुस्तान के लोगों को खुशी क्यों होती है। मैंने कहा, गलतफहमी में हो। ऐसी कोई बात नहीं है। मैं दावा कर सकता हूं कि करोड़ों लोगों के दिल में ये भावना नहीं है। हर हिंदुस्तानी के दर्द के साथ लोग खड़े हैं। मैंने कहा कि चुने हुए लोग हैं जो खुश होते हैं। हजारों में होंगे लेकिन देश में करोड़ों लोग हैं। वह मुझसे कहता है कि आपने मुझे खुश कर दिया।

घाटी में हजारों लोगों ने तिरंगा उठा रखा था। अनंतनाग, पुलवामा… जिसे आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र कहा जाता था। कश्मीरी युवाओं के हाथों में तिरंगा था।संसद में मैंने प्रधानमंत्री जी का भाषण सुना। कहते हैं कि मैंने भी जाकर लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। मैं सुन रहा था। मैंने सोचा, देखिए हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री को बात समझ नहीं आई। नरेंद्र मोदी जी ने बीजेपी के 15-20 लोगों के साथ जाकर लाल चौक पर तिरंगा फहराया। भारत जोड़ो यात्रा ने लाखों कश्मीरी युवाओं के हाथों से तिरंगा फहराया। प्रधानमंत्री को फर्क नहीं समझ आया। हमने हिंदुस्तान की भावना इस झंडे की भावना जम्मू-कश्मीर के युवाओं के अंदर डाल दी और आपने अपने झंडे की भावना जम्मू-कश्मीर के युवाओं से छीन ली।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी रायपुर महाअधिवेशन में कहा कि मैंने संसद में एक उद्योगपति पर आक्रमण किया। मैंने सिर्फ एक सवाल पूछा कि मोदी जी आपका अडानी जी से रिश्ता क्या है? पूरी भाजपा सरकार अडानी जी की रक्षा करने लग गई। वे कहते हैं कि जो अडानी जी पर आक्रमण करता वह देशद्रोही है… अडानी जी और मोदी जी एक हैं। विदेश मंत्री जयशंकर के बयान पर राहुल ने आगे कहा कि एक मंत्री ने इंटरव्यू में कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था भारत से बड़ी है तो हम उनसे कैसे लड़ें? जब अंग्रेज हम पर राज करते थे तो क्या उनकी अर्थव्यवस्था हमसे छोटी थी? यानी जो आपसे ताकतवर हैं उनसे लड़ें ही मत। इसको कायरता कहते हैं। आगे कांग्रेस नेता ने कहा कि सावरकर की विचारधारा है अगर जो आपके सामने आपसे ताकतवर, मजबूत है उसके सामने सिर झुका दो। हिंदुस्तान के मंत्री चीन से कह रहे हैं कि आपकी अर्थव्यवस्था हमसे बड़ी है इसलिए हम आपके सामने नहीं खड़े हो सकते। इसको देशभक्ति कहते हैं क्या? यह कौन सी देशभक्ति है?

प्रियंका गांधी ने कहा कि कांग्रेस का कार्यकर्ता कौन है, वो अनोखे लाल हैं जो कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक झंडे को लेकर चले। वो दिनेश हैं जो इसी तरह से देश के ध्वज को लेकर नंगे पाव चले। ऐसे कई नाम हैं। यूपी में हम मजाक में कहते हैं, ये लाइफ लॉन्ग कांग्रेस सफरर होता है। जो कार्यकर्ता आजीवन अपने वजूद के लिए संघर्ष करता है वो, मैं उसके पक्ष में बोलना चाहती हूं। जब भी हम इकट्ठे होते हैं। नए-नए प्रस्ताव लाते हैं। हमने कहा है कि मंडल, ब्लॉक तक संगठन बनाना है। लेकिन यह कागज पर ही नहीं होना चाहिए। भारत जोड़ो यात्रा निकली, श्री राहुल गांधी जी बैठे हैं। उन्होंने कांग्रेस की विचारधारा की लकीर खींचकर दिखाई। जो बहुत समय से नहीं हुआ था। उन्होंने करके दिखाया।