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ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, ऐसी ही कुछ विधाएं हैं जिनके प्रयोग से हम जीवन में आ रहे संकटों के रुख मोड़ सकते हैं। तकलीफ होने पर लोग इन शास्त्रीय उपायों का प्रयोग करते हैं, लेकिन आज जो हम आपको बताने जा रहे उसे जानने के बाद आप भी इन कामो को करने से पहले हज़ार बार सोचेंगे और कभी करने के बारे में सोचेंगे भी नहीं क्योंकी अगर ये काम आप करने का सोचे भी तो एक बार जरुर सोच ले आपके साथ क्या हो सकता है,.
ऋषियों ने अपने अनुभव के आधार पर जीवन के लिए कुछ नियमों का निर्माण किया है। इनमें कुछ नियम स्वास्थ्य से संबंधित हैं तो कई नियम अध्यात्म और नैतिकता को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।
महर्षि मनु ने भी अपनी संहिता में ऐसे चार कार्यों का उल्लेख किया है जो शाम के समय किसी भी स्त्री-पुरुष को नहीं करने चाहिए। जानिए उन कार्यों के बारे में।
1- शाम का वक्त ईश्वर की आराधना और मंत्रजाप के लिए है। माना जाता है कि इस दौरान माता लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। अतः डस समय शयन और निद्रा लेने से दुर्भाग्य की प्राप्ति होती है। इससे मनुष्य की सफलता में बाधाओं का आगमन होता है। इसलिए शाम के वक्त इस कार्य से दूर रहना चाहिए।
2- मनु ने संध्या काल में भोजन करने का भी निषेध किया है। माना जाता है कि इस समय पेट में पाचक रस प्रबल नहीं होते। इसलिए संध्या काल में ही भोजन करने से मनुष्य को दीर्घकाल में अनेक रोगों का सामना करना पड़ सकता है।
3- जब दिन ढले तो पूजा-पाठ, ध्यान आदि किया जा सकता है लेकिन वेदपाठ नहीं करना चाहिए। वेदों के पूजन-पठन के लिए ब्रह्म मुहूर्त या दिन का समय श्रेष्ठ होता है। सायंकाल में वेद पढ़ने से उनका पुण्य प्राप्त नहीं होता।
4- शास्त्रों के अनुसार यह समय प्रेम-प्रसंग के लिए उचित नहीं है। इस दौरान नैतिकता और मर्यादा का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही किसी भी प्रकार के मादक पदार्थ का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इन बातों का उल्लंघन करने वाला मनुष्य रोग व पाप का भागी होता है।