- संभलकर! शरीर में न होने दें विटामिन D की कमी, इस गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते हैं आप - April 28, 2024
- ‘गरीबों के पसीने की बदबू आती है’, तेजस्वी ने नाक पर रखा रुमाल तो भाजपा ने कसा तंज - April 28, 2024
- Chanakya Niti: इन 4 लोगों से नाराज रहती है धन की देवी, साथ नहीं छोड़ती पैसों की तंगी! - April 28, 2024
शिमला: हिमाचल प्रदेश में मिशन रिपीट के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल तय माना जा रहा है। भाजपा प्रदेश में मिशन रिपीट करने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल करेगी। इसके अलावा संगठन में भी चुनाव से पहले जरूर बदलाव देखने को मिल सकता है। बताया जा रहा है तीन मौजूदा मंत्रियों का पता कट सकता है। इनमें दो मंत्री जिला कांगड़ा से संबंधित हैं, जबकि एक जनजातीय क्षेत्र से हैं। तीन में दो पहले भी मंत्री रह चुके हैं, जबकि तीसरे पहली बार मंत्री बने हैं। इन तीन मंत्रियाें की जगह नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।
बताया जा रहा है कांगड़ा से संबंध रखने वाले दो मंत्रियों को भाजपा संगठन में दायित्व दिया जा सकता है। नए संभावित मंत्रियों में कांगड़ा से ही संबंध रखने वाली भाजपा विधायक रीता धीमान के नाम पर भी विचार हो सकता है। इसके अलावा चंबा से विक्रम सिंह जरियाल का दर्जा बढ़ाकर उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है। मंडी जिला से एक नए चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। सुंदरनगर से विधायक राकेश जम्वाल का नाम इस फेहरिस्त में आगे माना जा रहा है।
भाजपा आलाकमान हिमाचल प्रदेश में मिशन रिपीट को धरातल पर उतारने के लिए कोई भी प्रयोग कर सकती है। इससे पूर्व भाजपा ने पहली बार चुनाव जीत कर आए राजेंद्र गर्ग को प्रदेश मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया था। इसी तर्ज पर पार्टी कई नए प्रयोग कर सकती है।
बिखरी कांग्रेस का लाभ उठाना चाहती है भाजपा
इस समय विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ है। कांग्रेस के पास मजबूत नेतृत्व की कमी है। वीरभद्र सिंह के देहांत के बाद कांग्रेस के पास कोई कदावर नेता मौजूद नहीं है, जो सभी को एक साथ लेकर पार्टी को विधानसभा चुनाव में जीत दिला सके। ऐसे में भाजपा विपक्ष की कमजोरी का लाभ उठाना चाहती है। जिसके लिए भाजपा कोई भी कदम उठा सकती है।
संगठन में भी बदलाव
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद प्रदेश भाजपा में भी बदलाव निश्चित है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के तौर पर कांगड़ा जिला से नया चेहरा लिया जा सकता है, ताकि प्रदेश के सबसे बड़े जिले में राजनीतिक समीकरण बिठाए जा सकें।