दुनिया में एक और खतरे की दस्तक! अब Powassan वायरस हुआ कातिल, Tick के काटने से शख्स की मौत, लक्षण-बचाव भी जानें

Another danger knocks on the world! Now Powassan virus became killer, person died due to tick bite, also know symptoms and prevention
Another danger knocks on the world! Now Powassan virus became killer, person died due to tick bite, also know symptoms and prevention
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दुनिया में तरह-तरह के वायरस सामने आ रहे हैं, जो इंसानों के लिए बेहद घातक हैं. कुछ वायरस के इलाज वैज्ञानिकों व चिकित्सकों के पास हैं तो कुछ वायरस से होने वाली बीमारी अभी भी लाइलाज हैं. इसी कड़ी में पोवासन वायरस दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चुनौती बना हुआ है. टिक्स के काटने से फैलने वाले इस वायरस से होने वाली बीमारी का अभी तक उपाय नहीं खोजा गया है. वहीं इस वायरस के चलते अमेरिका में एक मौत का मामला भी सामने आया है.

इसके चलते मेन सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा कि इस दुर्लभ वायरस से एक मौत के बाद स्वास्थ्य अधिकारी लोगों को घातक पोवासन वायरस बीमारी के बारे में सचेत कर रहे हैं, जो टिक से फैलने वाली एक लाइलाज बीमारी है. द इंडिपेंडेंट के अनुसार, अमेरिका में हर साल 25 लोग पोवासन वायरस से संक्रमित होते हैं. पोवासन वायरस आमतौर पर संक्रमित हिरण टिक, ग्राउंडहॉग टिक या गिलहरी की टिक के काटने से मनुष्यों में फैलता है. हालांकि पोवासन के मामले दुर्लभ हैं, लेकिन हाल के वर्षों में अधिक मामले सामने आए हैं. अमेरिका, कनाडा और रूस में इंसानों में पोवासन वायरस के संक्रमण की सूचना मिली है. आइए जानतें हैं पोवासन वायरस से किस तरह बचाव किया जा सकता है…

लक्षण
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, पोवासन वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों में बहुत कम लक्षण नजर आते हैं. जो लोग संक्रिमत होते हैं उनमें लक्षण सामने आने में 1 सप्ताह से 1 महीने तक का समय लग सकता है. शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, उल्टी और कमजोरी शामिल हो सकते हैं. पोवासन वायरस गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, जिसमें मस्तिष्क का संक्रमण (इंसेफ्लाइटिस) शामिल है. गंभीर बीमारी के लक्षणों में भ्रम, कोऑर्डिनेशन की कमी, बोलने में कठिनाई और दौरे शामिल हैं. गंभीर बीमारियों वाले 10 में से लगभग 1 व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.

इलाज
पोवासन वायरस के संक्रमण को रोकने या उसका इलाज करने के लिए कोई दवा नहीं है. एंटीबायोटिक्स वायरस का इलाज नहीं करते हैं. जो व्यक्ति वायरस से गंभीर संक्रमित होते हैं, उन्हें इलाज की सख्त जरूरत होती है.