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तवांग। अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई है। इसमें भारत के 6 जवान घायल हुए हैं, जबकि चीन के सैनिकों को हमसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। उनके कई सैनिकों की हड्डियां टूटी हैं। घायल भारतीय जवानों को गुवाहाटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
9 दिसंबर को 600 चीनी सैनिक तवांग के यंगस्टे में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय पोस्ट को हटाने के लिए घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। वे कंटीले लाठी डंडे और इलेक्ट्रिक बैटन से लैस थे। भारतीय सेना भी इस बार पूरी तरह तैयार बैठी थी। हमारी सेना ने भी कंटीले लाठी-डंडों से उनको जवाब दिया। इसमें दर्जनों चीनी सैनिकों की हड्डियां टूटी हैं।
भारत के जवाबी हमले के बाद फ्लैग मीटिंग हुई और मसला शांत हुआ। विवाद वाली जगह से फिलहाल दोनों देशों की सेनाएं हट गई हैं। इससे पहले 1975 में तवांग में विवाद हुआ था, तब भारत के 4 सैनिक शहीद हुए थे। इस क्षेत्र में दोनों सेनाएं कुछ हिस्सों पर अपना-अपना दावा ठोकती आई हैं। 2006 से यह विवाद जारी है।
इससे पहले 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने 4 सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी।
अब चीन को मुंहतोड़ जवाब मिला
दोनों देशों के बीच मिलिट्री लेवल पर एक समझौता है। इसके तहत दोनों देशों के सैनिक एक तय दायरे में फायरिंग आर्म्स यानी रायफल या ऐसे ही किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगे। अमूमन दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे को हाथों से ही पीछे धकेलते हैं। गलवान झड़प में चीनी सैनिकों ने कांटेदार डंडों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी इसी तरह के इलेक्ट्रिक बैटन और कांटेदार डंडों का इस्तेमाल शुरू कर दिया। लिहाजा, इस बार चीन को मुंहतोड़ जवाब मिला है।
भाजपा सांसद बोले- बॉर्डर से एक इंच नहीं हटेंगे
अरुणाचल के तवांग में भारत-चीन के आमने-सामने होने पर, अरुणाचल ईस्ट से भाजपा सांसद तपीर गाओ ने कहा कि बॉर्डर से हमारे सैनिक एक इंच भी नहीं हटेंगे। अगर चीनी सैनिक बॉर्डर के अंदर घुसने की कोशिश करते हैं तो हम उनको सबक सिखाएंगे। हम बॉर्डर पर मार नहीं खाएंगे, बल्कि मुंहतोड़ जवाब देंगे।
पिछले साल भी की थी हरकत
पिछले साल इसी क्षेत्र में 200 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। तब भी भारतीय सैनिकों ने इसे नाकाम कर दिया था। तब पेट्रोलिंग के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हो गए थे और कुछ घंटों तक यह सिलसिला चला था। हालांकि इसमें भारतीय जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ और प्रोटोकॉल के मुताबिक बातचीत से विवाद सुलझा लिया गया।
इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है भारत
केंद्र सरकार चीन के मंसूबों को स्थायी तौर पर काउंटर करने के लिए पूर्वोत्तर में 40 हजार करोड़ रुपए की लागत से फ्रंटियर हाईवे बनाने जा रही है। करीब 2 हजार किलोमीटर लंबा यह हाईवे अरुणाचल प्रदेश की लाइफ लाइन और चीन के सामने भारत की स्थायी ग्राउंड पोजिशन लाइन भी साबित करेगा।
सामरिक महत्व की बात करें तो यह भारत-तिब्बत के बीच खींची गई सीमा रेखा मैकमोहन लाइन से होकर गुजरेगा। अंग्रेजों के विदेश सचिव हेनरी मैकमोहन ने इसे सीमा के तौर पर पेश किया था और भारत इसे ही असली सीमा मानता है, जबकि चीन खारिज करता रहा है।
इस हाइवे का निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) और नेशनल हाईवे अथॉरिटी मिलकर करेंगे। सेना लॉजिस्टिक सपोर्ट देगी। फ्रंटियर हाईवे तवांग के बाद ईस्ट कामेंग, वेस्ट सियांग, देसाली, दोंग और हवाई के बाद म्यांमार तक जाएगा।