उद्धव ठाकरे को बड़ा झटकाः शिंदे गुट ही असली शिवसेना, हिंदुत्व छोडना पड रहा भारी

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मुंबई: शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले में उद्धव ठाकरे को करारा झटका लगा है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पिछले काफी महीनों से चर्चा का विषय इस मामले में अपना फैसला सुना दिया। सवा घंटे तक तमाम कानूनी पहलुओं और फैसलों का उल्लेख करने के बाद उन्होंने उद्धव गुट की उस मांग को खारिज दिया है। जिसमें सीएम शिंदे समेत 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। नार्वेकर के फैसले के बाद शिंदे सीएम की कुर्सी पर बरकरार रहेंगे तो वहीं उद्धव ठाकरे को बड़ी हार मिली है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने न सिर्फ उद्धव गुट की अपील खारिज की बल्कि पार्टी प्रमुख के तौर उनके द्वारा लिए गए फैसलों पर भी सवाल खड़े किए। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना (एकीकृत) के संविधान के मुताबिक शिवसेना अध्यक्ष (उद्धव ठाकरे) को शिंदे को नेता पद से हटाने का हक नहीं था।

आयोग के रेकॉर्ड को बनाया आधार
नार्वेकर ने अपने फैसले में पार्टी का संविधान क्या कहता है?, नेतृत्व किसके पास था?, विधानमंडल में बहुमत किसके पास था? को मुख्य आधार बनाया। इन सवालों का जवाब खोजने के लिए उन्होंने चुनाव आयोग के रेकॉर्ड को सही माना। इसके बाद उन्होंने शिंदे के साथ अलग हुए शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने से इंकार करते हुए उद्धव ठाकरे की अपील खारिज की दी। शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नार्वेकर को 10 जनवरी की डेडलाइन दी थी। राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में कहा कि मैंने अयोग्यता के मामले में निर्णय लेते वक्त चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखा।

उद्धव को नहीं था अधिकार
नार्वेकर ने कहा कि मैं चुनाव आयोग के फैसले से बाहर नहीं जा सकता था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना का 2018 का संविधान मान्य नहीं है, क्योंकि इसके बाद शिवसेना में कोई चुनाव नहीं हुआ। इसलिए पार्टी का आखिरी संविधान 1999 का ही है। उन्होंने कहा कि संविधान में हुआ संशोधन रेकॉर्ड में नहीं है। उन्होंने कहा कि 21 जून, 2022 को हुआ उसे समझना होगा। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना में फैसले लेने के लिए सबसे बड़ी संस्था राष्ट्रीय कार्यकारिणी है। नार्वेकर ने उद्धव अकेले फैसले नहं ले सकते थे। उन्होंने उनके फैसलों को भी गलत करार दिया।

क्या बोले महाराष्ट्र विधानसा स्पीकर?
1. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के 2018 के संशोधित संविधान के अनुसार शिवसेना के नेतृत्व ढांचे पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 2013 और 2019 में नेतृत्व चुनने के लिए शिवसेना में कोई चुनाव नहीं हुआ। इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं।

2. शिवसेना (यूबीटी) को पहला बड़ा झटका। महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के संशोधित संविधान को मानने से इनकार कर दिया, लेकिन पुराने और असंशोधित संविधान के आधार पर ही आदेश देने का फैसला किया।

3. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा ने कहा कि ईसीआई ने पार्टी के रूप में प्रस्तुत और स्वीकार किए गए संविधान पर विचार किया जाएगा, न कि हाल ही में 2018 में किए गए संशोधित संविधान पर। उन्होंने फैसला देते समय संशोधित संविधान पर विचार करने की शिवसेना (यूबीटी) की मांग को खारिज कर दिया।

4. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपने आदेश में कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद, यह स्पष्ट है कि संविधान और अन्य मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं है। निर्विवाद संविधान माना जाएगा न कि 2018 में किया गया संशोधित संविधान। यह संविधाना 1999 का है।

5. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों को उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों की रिपोर्ट इन विधायकों को निष्कासित करने का आधार नहीं हो सकती और उन्हें संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

6. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम एकनाथ शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराने का कोई वैध आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना और पार्टी के असली नेता हैं। शिंदे को डी व्हिप नियुक्त करने का भी अधिकार है।

7. शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का समर्थन है यानी बहुमत, तो शिंदे गुट ही असली शिव सेना और असली राजनीतिक दल है। इसलिए सचेतक के रूप में सुनील प्रभु की नियुक्ति को जब्त कर लिया गया है, इसलिए मुख्य सचेतक के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति वैध है।

8. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि एक पार्टी के रूप में नेतृत्व तय करने के लिए शिवसेना में सामग्री (मैटेरियल) का अभाव है और उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के रूप में होगा और उनकी और पार्टी की इच्छा के अनुसार उनके द्वारा नियुक्त व्हिप होगा।