उत्तराखंड की सियासत में भाजपा ने तोड़ डाले सारे मिथक, 2022 ने रचा इतिहास

BJP broke all the myths in the politics of Uttarakhand, 2022 created history
BJP broke all the myths in the politics of Uttarakhand, 2022 created history
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देहरादून: उत्तराखंड की सियासत में जब भी साल 2022 का​ जिक्र आएगा तो सबसे पहले उस मिथक की बात होगी जो कि भाजपा ने तोड़ कर इतिहास रच दिया। भाजपा ने 22 साल के अब तक के सारे मिथक तोड़ते हुए रिपीट करते हुए दोबारा सत्ता हासिल की। 5वीं विधानसभा के लिए जब मतदान हुआ तो सबसे पहले इस बात को लेकर ही दावा किया गया कि इस बार भाजपा मिथक तोड़ने जा रही है। उत्तराखंड के इतिहास में अब तक कोई दल दोबारा सत्ता रिपीट नहीं कर पाया। अंतरिम सरकार 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा की बनी। 2002 में पहला चुनाव हुआ तो कांग्रेस सत्ता में आई। 2007 में दूसरी विधानसभा भाजपा ने जीती। तीसरी बार 2012 में कांग्रेस सत्ता में पहुंची जबकि 2017 में भाजपा ने वापसी की। 2022 में कांग्रेस का दावा था लेकिन भाजपा ने मिथक तोड़ डाला।

भाजपा इतिहास बनाने में कामयाब हो गई
सत्ता में वापसी करते हुए भाजपा ने 2017 का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया। 2017 में 70 सीटों में भाजपा को 57 तो कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें मिली थीं। उस समय के मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी दोनों सीटों पर हार गए थे। 2022 में उत्तराखंड में कुल 70 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव हुए थे। 10 मार्च को आए नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को 47 सीटें हासिल हुई हैं। कांग्रेस ने 19 सीटें जीती हैं। बहुजन समाज पार्टी के खाते में 2 सीट आई हैं और दो सीट निर्दलीय जीते हैं। इस तरह भाजपा इतिहास बनाने में कामयाब हो गई।

कोई भी मुख्यमंत्री रहते विधानसभा का अपना चुनाव नहीं जीत पाया
लेकिन एक मिथक बरकरार रहा वो था उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बनने के बाद कोई भी मुख्यमंत्री रहते विधानसभा का अपना चुनाव नहीं जीत पाया। 2002 में एनडी तिवारी सीएम रहे, उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। 2007 में बीसी खंडूरी मुख्यमंत्री बने वे 2012 में हार गए। 2012 में पहले विजय बहुगुणा सीएम बने उन्होंने 2017 में चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन इसी कार्यकाल में हरीश रावत भी सीएम रहे, वे दो-दो जगह से चुनाव हार गए। 2017 में पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत और फिर तीरथ सिंह रावत सीएम बने, लेकिन दोनों ने चुनाव नहीं लड़ा। तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव लड़ा अब उन पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी, लेकिन धामी चुनाव हार गए। जो कि मिथक बरकरार रहा है।

चुनाव हारने के बाद भी धामी सीएम बन गए
हालांकि उत्तराखंड में भाजपा ने पुष्कर धामी को ही सीएम फेस बनाते हुए चुनाव लड़ा और जीता । राज्य में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला लेकिन मुख्यमंत्री धामी अपनी विधानसभा, खटीमा से चुनाव हार गए। बावजूद इसके भाजपा ने धामी पर ही विश्वास कायम रखा। यही कारण रहा कि चुनाव हारने के बाद भी धामी सीएम बन गए। ये भी नया रिकॉर्ड बना। इसके बाद उपचुनाव में धामी रिकॉर्ड मतों से जीते। 2022 का साल राजनीति के लिहाज से खास रहा। उत्तराखंड में पहली बार विधानसभा में ऋतु खंडूरी को पहली महिला स्पीकर के रूप में मौका दिया गया। भाजपा और कांग्रेस दोनों को नए प्रदेश अध्यक्ष मिले, भाजपा ने महेंद्र भट्ट तो कांग्रेस ने करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी। दोनों में खास बात ये रही कि दोनों विधायक का चुनाव हार गए थे।