बिहार में BJP ने बदली स्ट्रेटजी, पकड़ी कट्टर हिंदुत्व की राह! 82% हिंदू वोट पर नजर

BJP changed strategy in Bihar, took the path of radical Hindutva! Eye on 82% Hindu vote
BJP changed strategy in Bihar, took the path of radical Hindutva! Eye on 82% Hindu vote
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पटना : बिहार में बीजेपी कट्टर हिंदुत्व के रास्ते पर आगे बढ़ चली है। इसके लिए बीजेपी ने गिरिराज सिंह को आगे कर दिया है। गिरिराज सिंह हों या प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, दोनों मुस्लिम तुष्टिकरण के मुद्दे को उठाते नजर आ रहे हैं। गिरिराज सिंह ने तो मोर्चा भी खोल दिया है। अपने आवास पर फलाहार और दुर्गा आरती के कार्यक्रम के साथ ही उन्होंने इस बात का ऐलान कर दिया कि भाजपा के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है। अगले दिन गिरिराज सिंह बलिया के हुसैनी चक पहुंचे। वहां उन्होंने जिस तेवर और जिस लहजे में चेतावनी दी। उसे देखकर ये साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी अब कट्टर हिंदुत्व के रास्ते पर आगे बढ़ चली है। जानकार मानते हैं कि भाजपा के सामने इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है। कास्ट सर्वे के आंकड़े जारी होने के बाद अगर बीजेपी जाति समूह को साधने की कोशिश की और सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर आगे बढ़ी तो परिणाम उसके पक्ष में नहीं हो सकता है।

कास्ट सर्वे के बाद बदला कैलकुलेशन

आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी लगभग एक साल पहले से शुरू हो गई थी। जातियों के आधार पर बिहार की तमाम प्रमुख पार्टियां अपने वोटरों को साधने की कोशिश करती नजर आ रही थीं। बिहार में जातियों के समीकरण को साधने की कोशिश करते राजनीतिक दलों को देखा जा रहा था। नीतीश कुमार ने तो जाति आधारित गणना के पहले से ही पिछड़े-अति पिछड़े वोट बैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश शुरू कर दी थी।

वहीं, बीजेपी नीतीश कुमार के कोर वोटरों कोइरी और कुर्मी को अपने साथ कर उनका समीकरण बिगड़ने की फिराक में थी। राजद के पास अपने मुस्लिम और यादव वोटर इंटैक्ट हैं। मगर, राजद की कोशिश थोड़े सवर्ण को भी अपने पाले में लेने की थी। ताकि वोट का परसेंटेज बढ़ाया जा सके। जातीय जनगणना के बाद जाति की राजनीति करने वालों का सारा गणित बिगड़ता नजर आया। पिछड़ी-अति पिछड़े समाज के लोगों का परसेंटेज सबसे अधिक निकाल कर आया।

कास्ट सर्वे के अनुसार सबसे बड़ी आबादी ओबीसी की है। 63 फीसदी ओबीसी में 27 फीसदी पिछड़ा और 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग है। अब बिहार की राजनीति पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा की तरफ घूमती हुई नजर आ रही है।

इधर, भाजपा को कमजोर करने की कोशिश में कांग्रेस भी सवर्ण, पिछड़ा, अति पिछड़ा वोटरों को रिझाने की कोशिश में जुटी हुई थी। मगर इन सबके बीच जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी होने के बाद बिहार में राजनीतिक खेल बदलता नजर आ रहा है। एक तरफ कास्ट पॉलिटिक्स का कार्ड चला जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी धर्म पॉलिटिक्स पर आगे बढ़ती नजर आ रही है।

कट्टर हिंदुत्व की तरफ बढ़ चली बीजेपी

जहां एक तरफ कांग्रेस सहित बिहार की तमाम राजनीतिक पार्टियां आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातियों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। वहीं, बीजेपी कट्टर हिंदुत्व की राह पर बढ़ती नजर आ रही है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि बीजेपी ने जाति आधारित जनगणना के आंकड़े आने के बाद अपना राजनीतिक पैंतरा बदला है।

जहां बिहार में सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर चलते हुए, नीतीश कुमार को डैमेज करने की कोशिश कर रही थी। इस कोशिश में वो कुर्मी और कोइरी वोटरों को साधने की फिराक में थी। बीजेपी के साथ पहले से ही सवर्ण और भूमिहार वोटर थे। जिनका साथ बीजेपी को हमेशा मिलता रहा है। मगर, सर्वे के बाद क्षेत्रीय पार्टियां फिलहाल जातियों को ही टारगेट करती नजर आ रही हैं। वहीं, बीजेपी अपना हिंदू कार्ड खेलना शुरू कर दिया है।

कट्टर हिंदुत्व बीजेपी की मजबूरी तो नहीं?

गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा के पास अब बिहार में अपनी सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि बदलना मजबूरी है। इसकी वजह ये है कि जाति आधारित गणना में मुस्लिम आबादी 17.70% और यादव 14.26% निकल कर आई। ये दोनों ही वोट बैंक बीजेपी के साथ नहीं है।

इसके बाद 19.65 फीसदी अनुसूचित जनजाति, 4.21% कोइरी, 3.65 प्रतिशत ब्राह्मण, 3.45 फीसदी राजपूत, 2.87% भूमिहार के अलावा मल्लाह, नाई, लोहार, कुम्हार, तेली बनिया, बढ़ाई, कुर्मी, कानू, धानुक, कहार एक से ढाई फीसदी वाली आबादियों को जोड़ना बीजेपी के सामने चुनौती है। ऐसे में बीजेपी के सामने कट्टर हिंदुत्व के रास्ते पर बढ़ने के अलावा कोई और रास्ता भी नहीं है।

81.99% हिंदू आबादी पर बीजेपी की नजर

बीजेपी ये जानती है कि बहुत बड़ी मुस्लिम आबादी का वोट उसे नहीं मिलने जा रहा है। हिंदुत्व के नाम पर वो यादव वोट बैंक में भी सेंध लगा सकती है। मगर, जाति के आधार पर नहीं। यहां बीजेपी के लिए अच्छी बात ये है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यादव समाज से आने वाले नए पढ़े-लिखे युवाओं ने बीजेपी को भी वोट किया था। हालांकि, उनका परसेंटेज कम था।

बिहार की राजनीति और चुनाव के पैटर्न को समझने वाले लोगों का ये मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार की जनता ने राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे पर दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा सभी को मिलाकर 81.99% हिंदू आबादी पर छाप छोड़ा जा सकता है।