BSP ने यूपी की दो दर्जन सीटों पर बढ़ाई धड़कन, NDA या INDIA गुट में से किसके लिए ज्यादा संकट?

BSP increases its fight on two dozen seats in UP, for which group is there more trouble, NDA or INDIA?
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नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी ने अपने कैंडिडेट चुनने में अपने प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के मुकाबले ज्यादा हुनर दिखाया है. यही कारण है कि बीएसपी ने अब तक प्रदेश की करीब 2 दर्जन सीटों पर चुनावी गणित ही बदल दिया है. पहले बीएसपी पर आरोप था कि वो बीजेपी की बी टीम बनकर काम कर रही है. बाद में आरोप लगा कि बीएसपी समाजवादी पार्टी के साथ फ्रेंडली मैच खेल रही है. दरअसल बीएसपी ने ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं कि दोनों पार्टियों को दिन में तारे नजर आने लगे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीएसपी के प्रत्याशियों को समाजवादी पार्टी और बीजेपी से कमजोर समझना राजनीतिक विश्‍लेषकों के लिए भूल साबित होने वाला है. बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की मंगलवार को पांचवी लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में 11 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की गई है. इस लिस्ट में भी कई ऐसे नाम हैं जो बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए चिंता का कारण बनेंगे. जौनपुर से पूर्व सांसद रहे बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी का नाम भी इस लिस्ट में है. मायावती ने मैनपुरी सीट से अपना प्रत्याशी भी बदल दिया है.

बदायूं में मुस्लिम खां का मुकाबला समाजवादी पार्टी के आदित्य यादव और बीजेपी के दुर्विजय सिंह शाक्य से होगा. बदायूं में मुस्लिम खां निश्चित रूप से आदित्य यादव के लिए मुश्किल बनेंगे. यहां समाजवादी पार्टी से पहले टिकट न मिलने के चलते सलीम शेरवानी ने समाजवादी पार्टी से नाराज होकर पार्टी छोड़ चुके हैं. जाहिर है कि मुस्लिम खां उस नाराजगी को कैश करने की कोशिश करेंगे. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के लिए राहत की बात होगी.

डुमरियागंज में बीजेपी ने जगदम्बिका पाल को टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस ने कुशल तिवारी को मैदान में उतारा है. यहां बीएसपी ने मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाया है. डुमरियागंज में जगदम्बिका पाल बड़ी मुश्किल पिछली बार अपनी सीट बचा पाए थे. इस बार समाजवादी पार्टी ने पूर्वांचल के ब्राह्णण शिरोमणि माफिया डॉन हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी को टिकट दिया था. हरिशंकर तिवारी के नाम पर आज भी ब्राह्मण वोट एकजुट होते हैं. लग रहा था कि समाजवादी पार्टी के लिए यह सीट आसान बन जाएगी पर बीएसपी ने पेंच फंसा दिया है. बीएसपी ने मुस्लिम चेहरे ख्‍वाजा शम्सुद्दीन को टिकट देकर समाजवादी पार्टी की मुश्किल बढ़ाने का काम किया है.

जौनपुर में बीजेपी ने कृपाशंकर सिंह को टिकट दिया है, वहीं सपा ने बाबूलाल कुशवाहा को उतारा है. यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. बीजेपी ने कृपाशंकर सिंह को राजपूत वोटों की लालच में यहां लाया था. पर अब जब धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को बीएसपी से टिकट मिल गया है तो जाहिर है कि यहां मुकाबला टफ हो गया है. राजपूत वोटों को धनंजय सिंह के साथ जाने से बीजेपी रोक नहीं सकेगी. बाबूलाल कुशवाहा की स्थिति यहां मजबूत हो सकती है.

बरेली में बीएसपी उम्मीदवार छोटेलाल गंगवार का मुकाबला छत्रपाल गंगवार से हैं. बीजेपी ने इस बार संतोष गंगवार की जगह छत्रपाल गंगवार को टिकट दिया है. मतलब सीधा है कि यहां पर बीजेपी उम्मीदवार को अपनी जाति के ही पूरे वोट मिलने में मुश्किल होनी है.

सहारनपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट देकर बीएसी ने यहां त्रिकोणीय मुकाबला करा दिया है. भाजपा ने लोकसभा सीट से पूर्व सांसद राघव लखनपाल को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है. राघव ने 2014 में सहारनपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी. 2019 में यह सीट सपा-बसपा गठबंधन के तहत बसपा के पाले में गई बसपा के फजलुर्हमान ने इस सीट से जीत दर्ज की. कांग्रेस ने यहां से इमरान मसूद को कैंडिडेट बनाया है. बसपा ने यहां से माजिद अली को टिकट दिया है. बसपा ने यहां इमरान मसूद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सहारनपुर में बीजेपी नेता लगातार कांबिंग कर रहे हैं. यहां बीजेपी को बढ़त मिल सकती है.

कैराना में दिलचस्प है चुनावी मुकाबला.मुजफ्फरनगर में मायावती ने अपनी रैली में राजपूत समाज की नाराजगी का मुद्दा उठाकर कैराना की राजनीति को साधने की कोशिश है. दरअसल बीएसपी का कैंडिडेट राजपूत समाज के हैं. भाजपा ने एक बार फिर सांसद प्रदीप चौधरी पर दांव खेला है. प्रदीप चौधरी गुर्जर समाज से आते हैं. समाजवादी पार्टी ने इकरा हसन को कैडिडेट बनाया है.बीएसपी के श्रीपाल राणा निश्चित तौर पर बीजेपी का काम खराब कर रहे हैं.

मुरादाबाद लोकसभा सीट पर इस बार हसन फैक्टर के चलते बीएसपी के हाथ में जा सकती है. सपा ने डॉ. एसटी हसन का टिकट काट दिया. डॉ. हसन ने लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के सर्वेश सिंह से सीट छीनी थी. अखिलेश यादव ने आखिरी वक्त में व विधायक रुचि वीरा को चुनावी मैदान में उतार दिया. भाजपा ने एक बार फिर सर्वेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा. बसपा ने इरफान सैफी को चुनावी मैदान में उतार कर खेला कर दिया है.समाजवादी पार्टी के लिए अब यह सीट मुश्किल हो गई है.

रामपुर में होने वाले चुनावों में पिछले तीन दशकों में आजम खान की चलती रही है. अभी भी वे जेल में बंद हैं. रामपुर सीट पर भाजपा ने एक बार फिर घनश्याम सिंह लोधी पर दांव खेला है. घनश्याम लोधी ने लोकसभा उप चुनाव 2022 में जीत दर्ज की थी. अखिलेश ने रामपुर सीट पर मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को उम्मीदवार बनाया है. बसपा ने जीशान खान को अपना कैंडिडेट बनाया है. 52 फीसदी मुस्लिम मतदाता वाली इस लोकसभा सीट पर अखिलेश का काम खराब करने वाला है बसपा प्रत्याशी.

अमरोहा में 2024 के चुनाव के लिए भाजपा ने पिछली बार हारे कंवर सिंह तंवर को फिर से टिकट देते हुए भरोसा जताया है. 2019 में बसपा से जीते दानिश अली ने बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है. मायावती ने टिकट डॉ. मुजाहिद हुसैन उर्फ बाबू भाई को कैंडिडेट बनाया है. जाहिर है कि इस बार दानिश अली के लिए यह सीट आसान नहीं है.

एटा में बसपा ने पूर्व कांग्रेस नेता मोहम्मद इरफान को मैदान में उतारा है. यह सीट हिंदू हृदय सम्राट का दर्जा प्राप्त पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की रही है. अब उनके बेटे राजवीर सिंह यहां से प्रत्याशी होते हैं. एसपी ने इस सीट से एक शाक्य नेता को मैदान में उतारा है. जाहिर है कि बीएसपी का मुस्लिम कैंडिडेट एक बार फिर बीजेपी के लिए सुकून देने वाला होगा.

मुजफ्फरनगर मुस्लिम बहुल सीट है पर यहां किसी भी पार्टी ने मुस्लिम कैंडिडेट नहीं दिया है. यहां बसपा के उम्मीदवार दारा सिंह प्रजापति हैं, जो अति पिछड़ा वर्ग से हैं. भाजपा के संजीव बालियान जाट नेता हैं. जिन्हें राजपूतों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. सपा ने यहां एक जाट हरेंद्र मलिक को भी मैदान में उतारा है .बीएसपी यहां बीजेपी का काम खराब करने के लिए तैयार है.

बसपा ने कन्नौज से मौजूदा सांसद और भाजपा उम्मीदवार सुब्रत पाठक के खिलाफ इमरान बिन जाफर को मैदान में उतारा है. यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. बीएसपी एक बार फिर यह सीट समाजवादी पार्टी के हाथ में नहीं जाने का कारण बनेगी.

घोसी में बसपा ने मौजूदा सांसद अतुल राय का टिकट काटकर उनकी जगह बालकृष्ण चौहान को टिकट दिया है. एनडीए के उम्मीदवार यहां सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर हैं, जबकि एसपी ने इंडिया ब्लॉक के हिस्से के रूप में राजीव राय को मैदान में उतारा है. यहां बीएसपी का कैंडिडेट या तो चुनाव जीतेगा, नहीं तो समाजवादी पार्टी के जीत का कारण बन सकता है.

बसपा ने आज़मगढ़ में ऐसा कैंडिडेट दिया है जिससे बीजेपी कैंडिडेट भोजपुरी फिल्म स्टार निरहुआ यादव की स्थिति कमजोर हो सकती है.बीएसपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को प्रत्याशी बनाया है. जाहिर है कि बीएसपी कैंडिडेट के आने से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव की स्थिति मजबूत हो गई है.

चंदौली लोकसभा सीट पर 2019 में बीजेपी कैंडिडेट महेंद्र नाथ पांडेय को महज 13 हजार वोटों से जीत मिली थी. बीएसपी ने उनकी इस लड़ाई को और मुश्किल बना दिया है. बसपा ने सत्येंद्र मौर्य को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी को यहां और कमजोर कर दिया है. पूर्व के चुनावों में इस सीट पर मौर्य वोटर्स का खासा प्रभाव देखा गया है. ​समाजवादी पार्टी ने राजपूत वोटरों को देखते हुए इस बार 2 बार के विधायक और पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को टिकट देकर चुनाव को रोचक बना दिया है.

मेरठ लोकसभा सीट पर बीजेपी ने टीवी के राम अरुण गोविल को प्रत्याशी घोषित किया है तो समाजवादी पार्टी ने सुनीता वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. मेरठ में करीब 37 प्रतिशत वोटर मुस्लिम हैं .पर किसी भी पार्टी ने मुस्लिम कैंडिडेट नहीं दिया है. दलित वोट भी यहां निर्णायक हैं. समाजवादी पार्टी का कैंडिडेट दलित है .बहुजन समाजवादी पार्टी ने यहां से देवव्रत त्यागी को मैदान में उतारा है. देवव्रत त्यागी सवर्ण हिंदू हैं. जाहिर है कि यहां बीजेपी को नुकसान पहुंचने वाला है.

बिजनौर सीट पर बीजेपी के साथी आरएलडी से प्रत्याशी चंदन चौहान अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जबकि समाजवादी पार्टी ने दीपक सैनी को अपना उम्मीदवार बनाया है. बसपा ने यहां जाट प्रत्याशी चौधरी वीरेंद्र सिंह को टिकट देकर खेला कर दिया है. चूंकि एनडीए ने गुर्जर प्रत्याशी खड़ा किया है तो जाहिर है बसपा के जाट प्रत्याशी को स्थानीय जाटों का समर्थन मिल सकता है.

इसके अलावा पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, फर्रूखाबाद ,बांदा आदि में पार्टी कहीं बीजेपी तो कहीं समाजवादी पार्टी को चैलेंज कर रही है.