हिमाचल को केंद्र सरकार का दूसरा बड़ा झटका, विदेशी बैंकों से लोन लेने की सीमा अब 7 हजार करोड़ रुपए हुई

Central government's second big blow to Himachal, limit for taking loans from foreign banks is now Rs 7,000 crore
Central government's second big blow to Himachal, limit for taking loans from foreign banks is now Rs 7,000 crore
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शिमला। केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को लगातार दूसरा बड़ा झटका दिया है। सुक्खू सरकार की ऋण लेने की सीमा को 5500 करोड़ रुपये कम करने के बाद अब बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं यानी विदेशी बैंकों से ऋण लेने की सीमा को 7000 करोड़ रुपये कर दिया है। यह सीमा नई परियोजनाओं में इसी वित्तीय वर्ष से लागू हो जाएगी। हिमाचल सरकार विभिन्न परियोजनाओं को स्वीकृति के लिए केंद्र को भेजती है। ऐसे में अब विकास कार्यों को लेकर फिल्टर लगाना पड़ेगा और सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को ही स्वीकृति के लिए भेजना होगा। केंद्र सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि हिमाचल प्रदेश को 90:10 अनुपात के तहत सहायता राशि मिल रही है। ऐसे में केंद्र पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने अपने ऋण को कम करने के लिए बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए सीमा निर्धारित कर दी है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सीमा तय न करने की मांग की है। सुक्खू सरकार लेगी 800 करोड़ रुपये ऋण : सुक्खू सरकार 800 करोड़ रुपये का ऋण लेने जा रही है। इस वित्तीय वर्ष में पहली बार ऋण के लिए आवेदन किया गया है। विकास व अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऋण लिया जा रहा है। साल 2022-23 में 14,500 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपये का ऋण है।

हिमाचल के पास रहेंगे एनपीएस के 1780 करोड़ रुपये
राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत केंद्र के पास जमा होने वाले 1780 करोड़ रुपये के बदले ऋण भी नहीं दिया गया है। यह ऋण बीते वित्तीय वर्ष का है, जो एनपीएस की राशि के जमा होने पर दिया जाता है। अगले वर्ष से तो वैसे ही नहीं मिलेगा क्योंकि अब यह राशि हिमाचल के कोष में जमा होगी। इसका हिमाचल सरकार उपयोग कर सकती है।

अक्टूबर के बाद बढ़ेंगी मुश्किलें
हिमाचल की अक्टूबर के बाद मुश्किलें बढ़नी शुरू हो जाएंगी। इसका बड़ा कारण यह कि बीते साल 14500 करोड़ रुपये का ऋण लेने के बाद प्रदेश के विकास और अन्य खर्चों को पूरा किया गया था। ऐसे में अब 8500 करोड़ रुपये ही ऋण ले सकेंगे। प्रदेश की राजस्व प्राप्तियां 38 हजार करोड़ रुपये की हैं और बाकी ऋण और केंद्र से सहायता राशि के तहत चल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऋण की बैसाखियों पर चल रहे हिमाचल को आर्थिक मजबूत करने के द्वार खोजने के लिए यह स्थिति मजबूर करेगी, जो भविष्य के लिए बेहतर साबित हो सकती है।

वहीं प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि केंद्र सरकार ने बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं में ऋण लेने की सीमा को 7,000 करोड़ रुपये निर्धारित कर दिया है। इससे अब परियोजनाओं को सोच विचार कर प्राथमिकता तय कर भेजा जाएगा। अभी तक इन परियोजनाओं को भेजने के लिए रोक नहीं लगाई जाती थी।