जयपुर में मचा कोहराम, केमिकल फैक्ट्री के बॉयलर में हुआ ब्लास्ट, आग लगने से 5 मजदूर जिंदा जले

Chaos in Jaipur, blast in boiler of chemical factory, 5 workers burnt alive in fire
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जयपुर. राजधानी जयपुर के पास बस्सी कस्बे में बैनाड़ा रोड पर स्थित शालीमार केमिकल फैक्ट्री में शनिवार शाम को अचानक बॉयलर में विस्फोट हो गया. इससे फैक्ट्री में जबर्दस्त आग लग गई और पांच मजदूर उसमें जिंदा जल गए. स्थानीय लोगों ने जानकारी मिलते ही आग बुझाने के प्रयास शुरू कर दिए लेकिन वे सफल नहीं हो पाए. बाद में पुलिस और दमकलें मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया. लेकिन तब तक सबकुछ खाक हो चुका था.

स्थानीय लोगों ने बताया आग लगने के दौरान फैक्ट्री में मौके पर 9 मजदूर मौजूद थे. उनमें से दो महिलाएं आज से कुछ समय पहले फैक्ट्री से रवाना हो गईं थी. जबकि वहां मौजूद उनके साथी लोग इस आग की चपेट में आ गए. इनमें फैक्ट्री का सुपरवाइजर बाबूलाल मीणा भी शामिल था. बताया जा रहा है कि आग चपेट में आए लोगों में तीन एक ही परिवार के थे. इस आग में स्थानीय निवासी हीरालाल गुर्जर (40), कृष्ण लाल गुर्जर (32) गोकुल हरिजन (34) सुपरवाइजर बाबूलाल मीना (38) और यूपी के मजदूर भगवान दास की आग में जिंदा जल जाने से मौके पर ही मौत हो गई.

मजदूरों को भागने का मौका तक नहीं मिला
स्थानीय लोगों का कहना है कि आग शाम करीब 6 बजे लगी. आग लगने के कारणों का अभी तक पुख्ता तौर पर कुछ पता नहीं चल पाया है. लेकिन फैक्ट्री के बॉयलर में हुए जबर्दस्त ब्लास्ट की वजह इतना तेज धमाका हुआ कि वहां मौजूद लोगों को भगाने का मौका ही नहीं मिल पाया. लोगों ने पुलिस और दमकल को सूचना भी दी लेकिन वह काफी देर से पहुंचे. इसकी वजह से आग पर काबू पाने में काफी समय लगा. आग को देखकर वहां स्थानीय लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. आग लगने के बाद फैक्ट्री मालिक मौके से फरार हो गया.

फैक्ट्री की पहले भी शिकायत की जा चुकी है
हादसे में मारे गए पांच लोगों के अतिरिक्त मौके पर मौजूद दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. उनमें मनोहरलाल गुर्जर (33) और कालूराम को सवाई मानसिंह अस्पताल रेफर किया गया है. स्थानीय लोगों ने कहा कि वे पहले भी कई बार इस फैक्ट्री को लेकर शिकायत कर चुके हैं. लेकिन प्रशासन ने और पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. इसकी कीमत पांच लोगों की मौत से चुकानी पड़ी है.

आश्रितों को सरकारी नौकरी और मुआवजे की मांग
हादसे में मारे गए लोगों के आक्रोशित परिजन अब सरकार से मांग कर रहे हैं कि मृतक आश्रितों को सरकारी नौकरी और मुआवजा दिया जाए. जब तक सरकार की ओर से नौकरी और मुआवजे की मांग को लेकर के लिखित में कोई स्वीकृति नहीं दी जाएगी तब तक वह मौके से उन पांच शवों को नहीं उठाने देंगे. पुलिस और प्रशासन की ओर से लोगों की समझाइश और बातचीत का दौर अभी जारी है.