लखनऊ। कानपुर में ट्रैक्टर-ट्रॉली से 26 लोगों की मौत के बाद योगी सरकार एक्शन में आ गई है। योगी सरकार ने कृषि और गैर कृषि कार्य में इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का रंग बदलने का फैसला किया है। दोनों के रंग अलग-अलग होंगे, जिससे कि कृषि और गैर कृषि कार्य में इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली की पहचान की जा सकेगी। इसके लिए एक प्रस्ताव बनाया जा रहा है। दरअसल, ट्रैक्टर-ट्रॉली से लगातार हो हादसों के बाद नए नियम बनाए जाने की जरूरत महसूस हो रही थी। यहीं नहीं साल 2000 में बनाई गईं शर्तों में सुधार भी किया जाएगा। इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी निर्णय लेगी।
विभागीय लापरवाही के चलते ट्रैक्टर-ट्रॉली का व्यवसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ईंट, सीमेंट, सरिया, बालू, मौरंग ढोई जा रही है। ऐसे में जब शासन ने परिवहन विभाग के अधिकारियों से ट्रैक्टर-ट्रॉली पर की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा तो वह बगले झांकने लगे। इसके बाद नये सिरे से इसके लिए नियम बनाने की कवायद शुरू हो गई।
20 वर्ष में एक बार भी नहीं हुई ट्रैक्टर-ट्रॉली की जांच
तीन अगस्त 2000 में तत्कालीन परिवहन आयुक्त प्रेम नारायण ने बतौर ट्रैक्टर-ट्रॉली के नियम तैयार करके निगरानी करने के आदेश दिए थे। अधिकारी नियमों का हवाला देकर चेकिंग के नाम पर 20 वर्ष से जांच के नाम पर टालमटोल करते रहे। लिहाजा, ट्रैक्टर-ट्रॉली मनमाने तरीके से सड़कों पर चलकर हादसे करते रहे।
इन नियम और कायदे पर मंथन शुरू
कृषि और गैर कृषि ट्रैक्टर-ट्राली के रंग में बदलाव
वाहन फोर सॉफ्टवेयर में ट्रैक्टर का ब्योरा दर्ज होगा
हर दो साल में एक बार फिटनेस कराना जरूरी होगा
ट्रॉली के पीछे इंडीगेटर को अनिवार्य करने की तैयारी
परिवहन विभाग के अपर आयुक्त प्रवर्तन वीके सोनकिया का कहना है कि सुरक्षा के मद्देनजर नई गाइड लाइन तैयार की जा रही है। जिसमें रंग बदलने से लेकर अन्य जरूरी सुरक्षा उपकरण ट्रॉली के लिए अनिवार्य होंगे। शासन स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।