केके पाठक के फरमान ने रोकी बेटियों की पढ़ाई? 8वीं के बाद एडमिशन नहीं ले रहीं छात्राएं

Did KK Pathak's order stop daughters' education? Girl students are not taking admission after 8th
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मुजफ्फरपुर: अपनी ही पंचायत के स्कूल में नामांकन की बाध्यता ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की सैकड़ों बेटियों की पढ़ाई रोक दी है। 8वीं के बाद नामांकन को लेकर अड़ंगा लग गया है। डीईओ कार्यालय पहुंचकर बच्चों ने बार-बार अनुरोध किया। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो शनिवार को अभिभावक भी पहुंचे और डीईओ से गुहार लगाई। अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश पर शिक्षा विभाग ने नियम बना दिया है कि बच्चे अपने ही पंचायत के स्कूलों में दाखिला लेंगे।

अभिभावकों ने कहा कि पढ़ाई को लेकर निर्धारित स्कूल में नामांकन की यह शर्त हमारे बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। जिले में हाल यह है कि टीसी मिलने के बाद भी औराई, पारू, मीनापुर समेत अन्य प्रखंडों के दर्जनों स्कूलों में 9वीं में नामांकन को बेटियां नहीं जा रही हैं। बेटियों ने कहा कि दूसरी पंचायत का एक किलोमीटर तो अपनी पंचायत का स्कूल पांच किलोमीटर की दूरी पर है। अभिभावकों ने कहा कि सुरक्षा की कीमत पर हम पढ़ाई नहीं कराएंगे। दर्जनों मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जहां के बच्चों ने टीसी मिलने के बाद भी 9वीं में नामांकन नहीं लिया है।

अभिभावक परेशान

औराई से आए अभिभावकों ने कहा कि मथुरापुर बुजुर्ग पंचायत के बच्चे आठवीं पास करने के बाद हाईस्कूल में नामांकन नहीं करा रहे हैं। यहां की पंचायत का हाईस्कूल जोंकी गांव में है जो चार-साढ़े चार किमी दूर है। इसी पंचायत के एक अन्य बसुआ बेसिक स्कूल में आठवीं तक की पढ़ाई होती है। इस स्कूल के बच्चों को भी नामांकन जोंकी गांव में ही कराना पड़ेगा। सुंदरखऊली म.वि. के बच्चे भी वहीं जाएंगे। इन स्कूल के सैकड़ों बच्चों को वहां पहुंचने को दुर्गम रास्ता पार करना पड़ेगा। सड़क टूटी है और लखनदेई नदी का तटबंध भी। 3 महीने रास्ता बाधित रहता है। इस पंचायत के लगभग 150 मीटर की दूरी पर एक अन्य हाईस्कूल है, जो दूसरी पंचायत विषणपुर गोखुल में है। इसी तरह शंभुता पंचायत में अपनी पंचायत का हाईस्कूल पांच से छह किमी की दूरी पर है वहीं दूसरी पंचायत विषणपुर गोखुल का स्कूल डेढ़ किमी पर है।

प्रवेशोत्सव शुरू, 9वीं में नामांकन का आंकड़ा 50 फीसदी भी नहीं

जिले में प्रवेशोत्सव शुरू है, लेकिन 9वीं में नामांकन का आंकड़ा अब तक 50 फीसदी भी नहीं पहुंच पाया है। विभिन्न स्कूलों के हेडमास्टर ने कहा कि हमलोग अभिभावकों को नामांकन को कह भी रहे हैं, लेकिन वे मना कर दे रहे हैं। इंतजार किया जा रहा है कि कहीं आदेश में बदलाव हो जाए।