उत्तराखंड में तीर्थ यात्रियों के लिए खुशखबरी, केंद्र सरकार ने यमुनोत्री रोपवे परियोजना को दी मंजूरी

Good news for pilgrims in Uttarakhand, central government approves Yamunotri ropeway project
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यमुनोत्री: उत्तराखंड के चार धामों में शामिल यमुनोत्री के लिए रोपवे परियोजना को केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई है. इस प्रोजेक्ट का उत्तराखंडवासी लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने कहा कि खरसाली से यमुनोत्री तक 3.7 किमी रोपवे न सिर्फ हिमालय के मंदिर की दूरी को कम करेगा बल्कि तीर्थयात्रियों, विशेष रूप से बुजुर्गों को लगभग 5 किमी की कठिन यात्रा करने से भी बचाएगा. केंद्र सरकार ने एक दशक से भी ज्यादा समय से अटकी बहुप्रतीक्षित यमुनोत्री रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है. जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने कहा कि खरसाली से यमुनोत्री तक 3.7 किमी रोपवे न सिर्फ हिमालय के मंदिर की दूरी को कम करेगा बल्कि तीर्थयात्रियों, विशेष रूप से बुजुर्गों को लगभग 5 किमी की कठिन यात्रा करने से भी बचाएगा. उन्होंने कहा कि 1,200 करोड़ रुपये की परियोजना की आधारशिला 2011 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रखी थी.

राहुल चौबे ने आगे कहा कि खरसाली के ग्रामीणों ने परियोजना के लिए लगभग 14,880 वर्ग गज (62 नाली) जमीन दी थी. हालांकि, इस उद्देश्य के लिए वन भूमि के अधिग्रहण में अड़चनों के कारण इसे शुरू नहीं किया जा सका था. पर्यावरण और वन मंत्रालय ने अब परियोजना के लिए 3.8 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कर दी है.

फिलहाल काफी कठिन है रूट
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यमुनोत्री धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है. राज्य के चार धामों में गिना जाने वाले यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए फिलहाल लोगों को सड़क मार्ग से जानकी जट्टी तक पहुंचना होता है. इसके बाद यमुनोत्री धाम यानी मंदिर जाने के लिए करीब 5 किमी की पैदल खड़ी चढ़ाई करनी होती है. इस पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

2006 में पेश किया गया था प्रोजेक्ट का प्रस्ताव
मार्ग सकरा होने की वजह से यहां जाम भी लग जाता है. इन सब परेशानियों को देखते हुए साल 2006 में यमुनोत्री धाम को रोपवे से जोड़ने का प्रस्ताव बना था, जिसके लिए पर्यटन विभाग द्वारा 2012 में निविदा भी जारी की गई थी लेकिन सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में 15 साल बीत जाने के बाद भी ये रोपवे की परियोजना को मंजूरी नहीं मिल सकी. इस इलाके में रोपवे बनने से यात्रियों की रिकार्ड आमद होगी जिससे चारधाम यात्रा से जुड़े व्यापारियों को फायदा होने के साथ-साथ स्थानीय होटल, व्यवसायियों के आमदनी का जरिया भी बढ़ेगा. बता दें कि यमुनोत्री में रोप वे का इंतजार स्थानीय लोग ही नहीं देश- विदेश के आम श्रदालु भी कर रहे हैं.