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चंडीगढ़: हरियाणा में इस बार बोर्ड परीक्षा के परिणामों में देरी हो सकती है, क्योंकि बोर्ड इस बार डिजिटल मार्किंग की तैयारी में हैं, पर बड़ी बात ये है कि अध्यापकों को इसकी ट्रेनिंग नहीं दी गई है । वहीं, इस मामले को लेकर हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन ने कहा कि मैनुअली मार्किंग ही होनी चाहिए। एसोसिएशन का कहना है कि डिजिटल मार्किंग में समय भी अधिक लगता है, जिससे बच्चों को अगली कक्षा में दाखिला लेने में देरी हो सकती है । इससे बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा, साथ ही इसमें बोर्ड का खर्च भी अधिक होगा ।
वहीं, डिजिटल मार्किंग में खर्च भी अधिक आने का अनुमान हैं। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन ने चिंता जाहिर की है कि मैनुअली तौर पर मार्किंग करने पर हर साल 7 से 8 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, लेकिन यदि डिजिटल मार्किंग की जाती है तो खर्च 10 करोड़ तक होगा। वहीं, परीक्षा के एक हफ्ते बाद मार्किंग का कार्य शुरू हो जाता था, लेकिन इसमें देरी हुई है, जिससे परीक्षा को परिणाम आने में भी देरी हो सकती है।