हिमाचल में जनता ने हर बार नकारा तीसरा विकल्‍प, ये नौ दल खा चुके हैं मात

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मंडी। देवभूमि हिमाचल की जनता हर चुनाव में तीसरे विकल्प को नकार चुकी है। ऐसे में आम आदमी पार्टी (आप) के लिए पहाड़ में झाड़ू लगाना आसान नहीं होगा। संगठन के नाम पर आप के पास हर हलके में चुनिंदा लोग हैं। जिला स्तर पर संगठन को सुदृढ़ करने के लिए अभी बहुत मेहनत की जरूरत है। तीसरे विकल्प के रूप में राष्ट्रीय स्तर की पार्टियोंं में समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), शिव सेना, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी), माकपा, भाकपा व प्रदेश स्तर की हिमाचल विकास कांग्रेस (हिविकां) हिमाचल लोक पार्टी (हिलोपा) सहित कई अन्य दल विधानसभा व लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। पहाड़ की जनता ने इन दलोंं को बुरी तरह से नकारा है।

भ्रष्टाचार के आरोपाें में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने कांग्रेस पार्टी से निकाले जाने के बाद हिविकां का गठन कर प्रदेश के सभी 68 हलकों में चुनाव लड़ा था। मंडी जिले के चार व लाहुल-स्पीति के एक हलके को छोड़ मतदाताओं ने हिविकां को पूरी तरह से नकार दिया था। पांच सीटें जीत हिविकां कांग्रेस पार्टी को सत्ता से दूर रखने में सफल जरूर रही थी। 2003 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मतदाताओं ने हिविकां को पूरी तरह से नकार दिया था।

भाजपा से रिश्तों में आई खटास के बाद मंडी संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने 2012 के विधानसभा चुनाव में हिमाचल लोकहित पार्टी का गठन किया था। सभी हलकों में विधानसभा चुनाव लड़ा था। खुद महेश्वर सिंह ही चुनाव जीत पाए थे। रामविलास पासवान की जनशक्ति पार्टी ने हिमाचल में अपनी जड़ें जमाने का प्रयास किया था, महेंद्र सिंह ठाकुर को छोड़ कोई अन्य प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया था।

हिम लोकतांत्रिक मोर्चा, हिमाचल स्वाभिमान पार्टी कई चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं। कांग्रेस व भाजपा को छोड़ मतदाताओं ने हर चुनाव में अन्य दलों के प्रत्याशियों की जमानत जब्त करवाई है। माकपा व भाकपा शिमला जिला के ठियोग को छाेड़ अन्य किसी हलके में अपना दमखम नहीं दिखा पाई हैं।

2007, 2012 व 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के अलावा अन्य दलों की झोली में मात्र एक से तीन प्रतिशत वोट आए हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 48.08, कांग्रेस को 41.07,निर्दलीयों को 6.3, माकपा को 1.5 प्रतिशत मत मिले थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 42.81 व भाजपा को 38.47 प्रतिशत वोट मिले थे। अन्य दलों को एक से तीन प्रतिशत वोटों से संतोष करना पड़ा था। 2007 के चुनाव में भाजपा को 43.78, कांग्रेस को 38.09, निर्दलीयों को 7.97, बसपा को 7.26 प्रतिशत मत मिले थे। पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों को देख खुद को तीसरे विकल्प के रूप में पेश करने वाली आम आदमी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में कोई बड़ा उल्टफेर कर पाएगी, इसकी संभावना पुराने आंकड़ों को देखकर तो कम ही लगती है। हालांकि अभी चुनाव में आठ महीने का समय है।